देश में कोरोनावायरस का कहर लगातार बढ़ता ही जा रहा है. ऐसे में 21 दिन के लॉकडाउन को कभी भी बढ़ाने की घोषणा की जा सकती है. इस पूरे प्रक्रिया में सबसे ज्यादा वो लोग पीसे हैं जो बाहर के राज्यों में गए थे पैसे कमाने. एक तो उनका जॉब छूटा उपर से लॉकडाउन में घर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिसके वजह से उन्हें खाने के लाले पड़ गए है. पैसे पॉकेट में बचे नहीं और है भी तो कोई दुकान खुला नहीं. ऐसे में झारखंड ने एक पहल की है, जो सभी राज्यों को अपनाना चाहिए.
दरअसल, इस राज्य में पहले से ही दाल-भात केंद्र कई इलाकों में चलाए जा रहे थे. रविवार से ऑनलाइन कर दिया गया है. यानी जियो मैपिंग करके केंद्रों को गुगल पर चिन्हित कर दिया गया है.
हालांकि, इससे झारखंडवासी को कम प्रवासियों को ज्यादा फायदा होने की संभावना है. उनके लिए वरदान साबित होगी ये छोटी सी पहल. जो लोग, रांची समेत झारखंड के अन्य जिलों में काम करने के लिए बाहर से आये थे और लॉकडाउन में यहीं फंस कर रह गए हैं उन्हें अब आसानी से भोजन उपलब्ध हो पायेगा. गुगल में उन्हें मुख्यमंत्री दाल-भात केंद्र या सिर्फ दाल-भात केंद्र भी सर्च करने से सही लोकेशन की जानकारी प्राप्त हो पाएगी. जहां जाकर वे अपनी भूख मिटा सकते हैं. इसमें आपको केंद्रों के खुलने से लेकर बंद होने तक के समय की पूरी जानकारी मिलेगी.
दरअसल मुख्यमंत्री दाल-भात योजना एक ऐसी योजना है जिसके तहत पांच रुपये में मिलेगी दाल-भात और सब्ज़ी. बतौर मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इस योजना की शुरुआत साल 2011 में कराई थी जिसके तहत गरीबों को दिन का भोजन कराया जाता था. तब राज्य में इसके 100 केंद्र खोले गए थे. इसके लिए सरकार रियायती दरों पर चावल उपलब्ध कराती है. यह चावल अंत्योदय योजना के तहत केंद्र से मिलता है. झारखंड के 24 जिलों में 400 से ज्यादा दाल-भात केंद्र चलाए जा रहे हैं.
आपको बता दें कि विभाग ने दाल-भात केंद्रों में लगातार फर्जीवाड़े की शिकायत मिलने की वजह से इन केंद्रों पर कड़ी निगरानी के लिए जियो मैपिंग के माध्यम से मॉनिटरिंग करने का निर्णय लिया है.