Coronavirus Update News (शीन अनवर, चक्रधरपुर) : झारखंड में 81 विधायक हैं. कोरोना संक्रमण के दौर में सभी विधायकों ने अपने-अपने स्तर से वैश्विक महामारी से लड़ने का प्रयास किया. इनमें पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक सुखराम उरांव एक ऐसे विधायक निकले, जिन्होंने कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर में अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता को बचाने और सेवा करने में 2 करोड़ 81 लाख रुपए यानी करीब 3 करोड़ रुपये खर्च कर दिये. इनमें से कुछ रकम विधायक कोष और कुछ उनके वेतन मद के थे. राशि देने के अलावे वह खुद भी शारीरिक रूप से उपस्थित रहकर जनता की सेवा में लीन रहे. यही कारण है कि भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी की ओर से उन्हें कोरोना योद्धा का सम्मान भी दिया गया.
कोरोना के प्रथम लहर में जब मजदूर दूसरे प्रदेशों में फंसे थे. उनके घर लौटने की उम्मीद दम तोड़ रही थी. वैसे समय में अपने बैंक अकाउंट से मजदूरों के खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर किये. बाद में राज्य सरकार ने भी इस तरीके को अपनाया और मजदूरों के खाते में ऐसे भेजे गये.
कोरोना संक्रमित मरीजों को लाने और ले जाने में जब वाहनों की कमी महसूस होने लगी, तो विधायक श्री उरांव ने चक्रधरपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए 8 एंबुलेंस खरीद डाले. पहली लहर में चार और दूसरी लहर में चार एंबुलेंस खरीदे गये. चार एंबुलेंस विधानसभा क्षेत्र के 4 थानों को सौंपा गया और 4 सामाजिक संस्थाओं के जिम्मे दिये गये. एंबुलेंस का लाभ भी मरीजों को मिला. पहले चार एंबुलेंस 89 लाख और दूसरे चार एंबुलेंस 52 लाख में खरीदे गये. 1 करोड़ 41 लाख रुपये एंबुलेंस में लगे.
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प्रथम लहर के दौरान जब मास्क और सैनिटाइजर की कमी महसूस की जाने लगी, तो श्री उरांव ने 10 लाख रुपये जिला प्रशासन को दिये. उक्त राशि से मास्क एवं सैनिटाइजर की खरीदारी कर स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को सौंपा गया. इससे संसाधन के अभाव में चल रहा सरकारी अस्पतालों को काफी फायदा पहुंचा.
पहली लहर के दौरान जब दूसरे प्रदेशों से प्रवासी मजदूर चक्रधरपुर पहुंचने लगे, तो उन्हें चक्रधरपुर शहर के 5 सेंटरों में रखा गया तथा ग्रामीण क्षेत्र के सभी 23 पंचायतों में सेंटर बनाकर उन्हें रोका गया. इन सेंटरों में विधायक श्री उरांव की ओर से डेढ़ माह तक तीन वक्त के भोजन की व्यवस्था की गयी. शहर के सेंटरों में पका हुआ भोजन परोसा गया, जबकि ग्रामीण क्षेत्र के सेंटरों में राशन की आपूर्ति की गयी. इसमें 80 लाख रुपये विधायक के निजी कोष से खर्च हुए. गांव में हर दिन 15 क्विंटल चावल भेजे जाते थे और शहरों में नॉन वेज भोजन परोसा जाता था.
कोरोना वायरस संक्रमण की पहली लहर में जब गरीबों के पास अनाज की कमी हो रही थी, तो दवाई खरीदना मुश्किल हो रहा था. विधायक सुखराम उरांव ने अपने विधानसभा क्षेत्र के तीन मेडिकल स्टोरों में 50-50 हजार रुपये दिये और फिर डॉक्टर की पर्ची दिखाने पर गरीबों को मेडिकल स्टोरों से मुफ्त में दवाएं दी जाने लगी. इससे गरीब, जो संक्रमित थे, उन्हें खासा फायदा हुआ.
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कोरोना काल की दूसरी लहर के शुरू में जब ऑक्सीजन की कमी से लोग मौत के गाल में समा रहे थे. वैसे समय में विधायक श्री उरांव ने 5 लाख रुपये जिला प्रशासन को दिये और ऑक्सीजन सिलिंडर मुहैया कराया.
कोरोना संक्रमण के इस दौर में जब निजी अस्पताल और चिकित्सकों ने सेवा करना बंद कर दिया, तो अंतिम सहारा सरकारी अस्पताल ही बचा. चक्रधरपुर का अनुमंडल अस्पताल सुविधाओं से महरूम था. विधायक की ओर से अस्पताल में सैनिटाइजर और मास्क मुहैया कराये गये. 15 लाख रुपये देकर दांत जांच करने की मशीन दी गयी. डेढ़ लाख खर्च कर कोरोना वायरस जांच के लिए एक प्रयोगशाला बनाया गया. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर कोरोना वायरस जांच के लिए दो ट्रूनेट मशीन उपलब्ध करायी गयी. इन सुविधाओं के बाद जांच की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ी.
कोरोना संक्रमण बीमारी से ठीक होकर घर जाने वाले मरीजों को विधायक ने अपने स्तर से कीट मुहैया कराया. जिसमें विटामिन की दवा, ड्राई फ्रूट्स, हॉर्लिक्स और खाने-पीने के अन्य सामान दिये गये. कोविड-19 की दूसरी लहर में जब लोग एक-दूसरे की मदद से गुरेज करने लगे, तो श्री उरांव ने स्वयं संक्रमित परिवारों के घरों में जाकर खाद्य सामग्री उपलब्ध कराया. विधायक ने इसके लिए दो लाख रुपये निजी तौर पर खर्च किये.
Posted By : Samir Ranjan.