धान खरीद का खेल : झारखंड से 1400 में खरीदकर ओड़िशा में 2040 रुपये में बेच रहे माफिया, किसानों को इतना कमीशन
किसानों ने इसकी विधिवत जांच कराकर इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने की मांग जिला प्रशासन से की है. किसानों ने बताया कि नुआगांव, सोरडा, हातीबाड़ी, बिसरा, कुआरामुंडा सहित जिले के कुछ अन्य लैंपसों में इस प्रकार की गड़बड़ी कर लैंपस कर्मी व माफिया मालामाल हो रहे हैं.
ओड़िशा के सुंदरगढ़ जिले के अलग-अलग ब्लाॅकों में धान संग्रह (Paddy Procurement in Odisha) का लक्ष्य पूरा करने के लिए लैंपस के कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों व दलालों की सांठगांव से सरकारी राशि के गबन का बड़ा खेल हो रहा है. लक्ष्य पूरा करने के लिए झारखंड से 1400 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदकर ओड़िशा में 2040 रुपये प्रति क्विंटल बेचा जा रहा है. एक क्विंटल धान पर 640 रुपये का मुनाफा दलाल व लैंपस के भ्रष्ट कर्मचारी कमा रहे हैं. किसानों का टोकन हासिल करने के लिए किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपये कमीशन भी दिया जा रहा है. धान बिक्री के लिए अब तक टोकन हासिल नहीं करने वाले किसानों ने यह आरोप लगाया है.
किसानों ने की धान खरीद में भ्रष्टाचार की जांच की मांग
किसानों ने इसकी विधिवत जांच कराकर इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने की मांग जिला प्रशासन से की है. किसानों ने बताया कि नुआगांव, सोरडा, हातीबाड़ी, बिसरा, कुआरामुंडा सहित जिले के कुछ अन्य लैंपसों में इस प्रकार की गड़बड़ी कर लैंपस कर्मी व माफिया मालामाल हो रहे हैं. ओड़िशा की अपेक्षा झारखंड में धान की कीमत कम है. दलाल इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं. झारखंड में 1400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान मिल जा रहा है. वहां से धान लाकर माफिया ओड़िशा के लैंपसों में 2040 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच रहे हैं.
एक क्विंटल पर 540 रुपये कमा रहे दलाल-अधिकारी
इस सौदे से प्रति क्विंटल 640 रुपये की बचत हो जाती है. किसानों को लाभ में से 100 रुपये प्रति क्विंटल का कमीशन देकर भी इनकी जेब में 540 रुपये आ जाते हैं. पकड़े जाने से बचने के लिए वे किसान को साथ लेकर लैंपस जा रहे हैं. एक किसान के नाम पर 200 से 300 क्विंटल धान बेचा जा रहा है. नुआगांव, सोरडा और बिसरा लैंपस में 20 से ज्यादा दलाल इस तरह के काम में व्यस्त हैं.
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झारखंड के इन इलाकों से हो रही है धान की खरीदारी
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, झारखंड के हुरदा, ओडगा, पनियासाल, मनोहरपुर जैसी जगहों से दलाल सैकड़ों क्विंटल धान खरीदकर ट्रकों से अपने गोदामों में जमा कर रहे हैं. दलालों से कमीशन मिलने की लालच में किसान भी झारखंड के अनाज को अपना बताकर लैंपस में बेच रहे हैं. यह सही है कि बिके धान का पैसा किसान के खाते में आ रहा है, लेकिन दलाल किसानों के बैंक पासबुक व एटीएम कार्ड अपने पास रख ले रहे हैं. किसान के खाते में पैसा पहुंचते ही दलाल उठा लेते हैं.
धान खरीद का लक्ष्य पूरा करने के लिए चल रहा गोरखधंधा
पिछले साल की तुलना में इस बार ज्यादातर जगहों पर धान की फसल अच्छी नहीं हुई है. इससे लक्ष्य पूरा करने के लिए पर यह गोरखधंधा चल रहा है. नुआगांव लैंपस ने पिछले साल 28 हजार क्विंटल धान की खरीद की थी. इस बार 29 हजार 200 क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य है. अभी तक 29 हजार क्विंटल धान की खरीद हो चुकी है. नुआगांव प्रखंड में इस बार धान की इतनी फसल नहीं हुई, तो लक्ष्य कैसे पूरा हुआ?
18843 क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य
इसी प्रकार कुआरमुंडा लैंपस ने पिछले साल 28 हजार 23 क्विंटल धान की खरीद की थी. 853 किसानों को टोकन मिले थे. 611 टोकन किसानों से धान की खरीदी की गयी. इस बार 863 किसानों को टोकन दिया गया है. इनमें से 428 टोकन किसानों से अनाज खरीदा है. शेष 435 किसानों से धान खरीदी का लक्ष्य है. अभी तक 18 हजार 843 क्विंटल अनाज की खरीद हो चुकी है. लक्ष्य 27 हजार 580 क्विंटल है.
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3260 क्विंटल धान की पिछले साल हुई थी खरीद
पिछले साल सिर्फ बिसरा लैंपस से 3260 क्विंटल धान की खरीद हुई थी. इस बार अब तक तीन हजार क्विंटल अनाज की खरीद हो चुकी है. नुआगांव, सोरड़ा की भांति बिसरा प्रखंड में भी धान की फसल इतनी अच्छी नहीं हुई है. टोकन नहीं मिलने से धान बेचने से वंचित कुछ किसानों का कहना है कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इसकी उचित जांच की जाये, तो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का खुलासा होगा.