दरभंगा, कमतौल से शिवेंद्र कुमार शर्मा की रिपोर्ट : कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए देश भर में लॉकडाउन घोषित है. लॉकडाउन में ढ़ील के बावजूद साग-सब्जी, मेडिसिन, खाद्य सामग्री आदि के अलावा बाकी सभी तरह की दुकान, मॉल व शौरूम बंद है. इधर, बिहार में दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी जिले के कोरोना संक्रमण की श्रेणी में आ जाने से लोगों की चिंता और बढ़ गयी हैं. लॉकडाउन से जहां अधिकांश लोग खाने-पीने और दवा जैसे आवश्यक सामानों की खरीदारी करने में परेशानी महसूस करने लगे हैं. वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो ऐशो आराम के लिए फिलहाल गैर जरूरी घोषित वस्तुओं की खरीदारी करने में भी जुटे हैं.
दुकानदार भी चोरी-छिपे इन वस्तुओं की बिक्री कर मुनाफा कमाने में लगे हुए है. लेकिन, लॉकडाउन में बिक्री करने से अपने को बचाने और खरीदार की पहचान छुपाने के लिए दुकानदारों द्वारा सादा कागज पर सिर्फ खरीदार का नाम लिख कर होम डिलिवरी के लिए भेज रहे है. इससे सामानों की डोर डिलिवरी करने पहुंच रहे लोगों को परेशानी हो रही है. पर्ची पर खरीदार का पता या मोबाइल नंबर नहीं लिखा होने से उन्हें कई गांव का चक्कर लगाना पड़ता है.
वहीं, लोग कहते हैं कि रामायण व महाभारत का एपिसोड शुरू होने से अचानक टीवी व फ्री डीटीएच केबल की मांग बढ़ी थी. जबकि, गर्मी बढ़ने के साथ ही अब फ्रीज व कूलर की डिमांड भी बढ़ गयी है. इससे दिनभर सन्नाटा छाये रहने वाले बाजार में सुबह और शाम के वक्त रौनक दिखने लगी है. टीवी, फ्रीज, कूलर सहित अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान की भी डिमांड के अनुसार आपूर्ति की जा रही है. ग्राहक मोबाइल पर दुकानदार से संपर्क कर सामान की खरीदारी कर अपने घर मंगवा रहे हैं.
इधर, इलेक्ट्रॉनिक शोरूम के मालिक डिमांड के अनुसार ग्राहक को सामान कभी सुबह या तो कभी शाम में उपलब्ध करा दे रहे हैं, लेकिन पक्का बिल नहीं दे रहे हैं. गारंटी कार्ड पर भी मुहर मारने व तिथि अंकित करने से दुकानदार हिचक रहे हैं. ग्राहक को लॉकडाउन के बाद रसीद व करेंट डेट में गारंटी कार्ड बनाने की बात कह सामानों की बिक्री किये जा रहे हैं.
इलेक्ट्रॉनिक सामान की आपूर्ति करने वाले एक दुकानदार के मुताबिक, अगर सामान के साथ रास्ते में पुलिस पकड़ती है, ऐसे में हम पक्का रसीद दे देंगे तो दुकान के साथ-साथ मेरे ऊपर भी प्राथमिकी दर्ज हो सकती है. इसलिए लॉकडाउन के बाद कि अवधि में रसीद सहित गारंटी कार्ड ग्राहक को उपलब्ध कराया जायेगा. इससे ग्राहक ही फायदे में रहेंगे.
कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन नहीं होता तो अभी बाजार में परवल, भिंडी, करैला, टमाटर और खीरा 40 से 50 रुपये प्रति किलो बिकता. लेकिन, लॉकडाउन के कारण खीरा और टमाटर 10 से 15 रुपये, भिंडी 20 से 25 रुपये तथा परवल और करैला 30 से 40 रुपये प्रति किलो लोगों को घर बैठे ही मिल रहा है. बाजार के सब्जी व्यवसायियों द्वारा सब्जियों की उचित कीमत नहीं मिलते देख, कई सब्जी उत्पादक खेत से हरी सब्जी तोड़ने के बाद सीधे ग्राहकों के घर तक पहुंचा रहे हैं. दो कप चाय के दाम में एक किलो खीरा, टमाटर और एक किलो नमक के दाम में एक किलो ताजा भिंडी मिलने से लोग फुले नहीं समा रहे हैं. लेकिन कोरोना और मौसम की दोहरी मार से सब्जी उत्पादक किसान परेशान हैं. बाजार में सब्जियों की उचित कीमत नहीं मिलने से कई सब्जी उत्पादक किसान परेशान है.
तततैला के सुबोध महतो, कैलाश महतो, अरुण महतो आदि किसानों ने बताया कि लॉकडाउन के कारण बैगन, हरा और लाल साग, पालक, धनिया आदि की खेती करने वाले किसानों की पूंजी डूब गयी. अन्य सब्जियों की खेती करने वाले किसान भी परेशान है. लॉकडाउन के चलते बिक्री बंद हो गयी. अंततः किसानों ने फसल को खेतों में ही छोड़ देने का निर्णय लिया. वहीं कुछ किसानों ने खेतों की जुताई कर दूसरी फसल लगाया.
ततैला के ही संजय महतो, बिन्दु महतो, केदार महतो, रामसजीवन महतो, जोगिंदर सहनी, रामश्रृष्ठ महतो आदि किसानों ने बताया लॉकडाउन के कारण ससमय छिड़काव नहीं हो सका. कीटों के प्रकोप से फसलों को बचाया नहीं जा सका, जिसका असर उत्पादन पर पड़ा. अब उत्पादन हो भी रहा तो कीमत नहीं मिल रही.
राम उदगार महतो ने बताया की लॉकडाउन के कारण व्यापारी खेत तक आ नहीं पा रहे, किसान बाजार तक पहुंच नहीं पा रहे. किसी तरह पहुंच भी जाते है तो उचित कीमत नहीं मिलती. गांव में घूमघूम कर सब्जी की बिक्री करना टेढ़ी खीर है. लेकिन, पूंजी ऊपर करने के लिए गांव में घूम कर बिक्री करना विवशता है. बाढ़, सुखाड़ और मौसम की मार के अलावे सब्जी उत्पादक किसानों को इस वर्ष लॉकडाउन ने दोहरी परेशानी में डाल दिया है.
कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में आशा कार्यकर्ता, एएनएम, बीसीएम और अन्य स्वास्थ्य कर्मी एक योद्धा की तरह कार्य कर रही है. लोगों के दरवाजे पर पहुंचकर उनसे स्वास्थ्य संबंधी पूछताछ करती है. सर्वे के दौरान जो सूचनाएं मिलती है, उसे दिये गये कॉलम में भरती है. ये आपके परिवार की जानकारी लेने पहुंचती है. इनके अपने घर में क्या हो रहा है, इसका फिक्र तनिक भी नहीं दिखता. इस विषम परिस्थिति में एक योद्धा की तरह कार्य कर रहे हैं.
कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए लड़ रहे जंग में आशा वर्कर, एएनएम, बीसीएम और स्वास्थ्य कर्मी डोर टू डोर सर्वे कर रहे है. ये लोगों का यात्रा वृत्तांत पूछती है. आपके घर कोई देश के अन्य राज्यों से आया है या फिर कोई विदेश से आया है. ये आपके स्वास्थ्य की जानकारी भी लेती है. शरीर का तापमान कितना है. सर्दी, खांसी या बुखार है कि नहीं. सभी जानकारी लेकर दिए गये कॉलम में भरती है तथा इस रिपोर्ट को जमा करती है.
सर्वे के कार्य में जुटी आशा वर्कर, एएनएम और स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा चुनौती भरा है काम, लेकिन जो जिम्मेदारी मिली है उसे ईमानदारी से निभा रही हूं. इस समय यह काम चुनौती भरा है, लेकिन किसी बात की परवाह किये बगैर सेवा दे रही हूं. अपना ख्याल रखते हुए डोर टू डोर जाकर सर्वे कर रही हूं. विभिन्न जानकारी लेकर लोगों को जागरूक भी कर रही हूं.
बता दे कि दरभंगा जिला के बहेड़ी, बिरौल, तारडीह दरभंगा (ग्रा) और दरभंगा (श) में आज से स्वास्थ्य विभाग का सर्वे शुरू हुआ है. शेष प्रखंड में शुक्रवार को सर्वे का काम शुरु हुआ था. जिसके तहत 16,996 घरों के सर्वे में 86,999 लोग पाये गये. जिसमें बेनीपुर में दो लोग सर्दी, जुकाम से पीड़ित मिलने की बात सामने आयी थी. वहीं, दूसरे दिन शनिवार को जिला के सभी प्रखंडों में डोर टू डोर सर्वे का काम हुआ.
दूसरे दिन स्वास्थ्य कर्मियों ने 72 हजार 399 घरों का सर्वे कर 3 लाख 73 हजार 239 लोगों के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी लिया. जिसमें तीन लोग सर्दी, बुखार और सांस में तकलीफ होने की शिकायत दर्ज करायी. शुक्रवार और शनिवार को मिलाकर दो दिनों में स्वास्थ्य कर्मियों ने कुल 89 हजार घरों का सर्वे कर 4 लाख 60 हजार 239 लोगों के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जुटा लिया. जिसमें कुल पांच लोगों को सर्दी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने की शिकायत दर्ज किया गया.