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भाकपा माले के स्थापना दिवस पर बोले वक्ता, त्याग, बलिदान और संघर्ष के लिए जानी जाती है ये पार्टी

माले जिला सचिव ने कहा कि माले का जन्म उस समय हुआ था, जब पूरे देश में इंदिरा गांधी की निरंकुश सरकार चल रही थी. चारों तरफ किसान मजदूरों पर दमन हो रहा था. उसी दौर में बंगाल की धरती से नक्सलबाड़ी आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें सैकड़ों किसान व मजदूरों ने अपनी जान दे दी थी.

बरवाडीह (लातेहार): भाकपा माले ने पार्टी के 54 वें स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान प्रखंड के उक्कामाड़, बहेराटांड़, होरिलोंग, चपरी, मुरु, अखरा, कंचनपुर, केचकी, कुटमू समेत कई गांवों में रैली निकाली गयी, जिसका नेतृत्व जिला सचिव बिरजू राम ने किया. मौके पर आइसा के जिला प्रभारी रंजीत सिंह ने कहा कि नौजवानों को संकल्प लेना होगा कि देश में चल रही जनविरोधी नरेंद्र मोदी की सरकार को हर हाल में उखाड़ फेंकना है.

माले जिला सचिव बिरजू राम ने कहा कि माले का जन्म उस समय हुआ था, जब पूरे देश में इंदिरा गांधी की निरंकुश सरकार चल रही थी. चारों तरफ किसान व मजदूरों पर दमन हो रहा था. उसी दौर में बंगाल की धरती से नक्सलबाड़ी आंदोलन शुरू हुआ, जिसमें सैकड़ों किसान व मजदूरों ने अपनी जान दे दी. ये आंदोलन चारु मजूमदार के नेतृत्व में हुआ था. इसके बाद 22 अप्रैल 1969 को हुआ पार्टी की स्थापना हुई.

भाकपा माले को पूरे देश में त्याग, बलिदान और संघर्ष के रूप में जाना जाता है. कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रवण कुमार सिंह ने की. इस अवसर पर प्रखंड सचिव कमलेश सिंह, रंजीत सिंह चेरो, लुरुक सिंह, कृष्णा सिंह, डॉ रमेश कुमार, घनश्याम राम, नंदलाल सिंह, दशरथ सिंह, दिहल सिंह, श्रवण कुमार सिंह, रवींद्र सिंह, फूनी देवी, सुदामा राम, श्यामदेव सिंह, फुलदेव सिंह, प्रह्लाद सिंह आदि उपस्थित थे.

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