22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

भाजपा व तृणमूल को हराने के लिए अपने हिस्से की सीटें भी कांग्रेस को देने को तैयार माकपा, ये है इनसाइड स्टोरी

West Bengal Election 2021, Congress-Left Alliance in West Bengal: पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और उसे कड़ी टक्कर दे रही भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए वाम मोर्चा अपने हिस्से की सीटें भी अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को देने के लिए तैयार है. कांग्रेस-वाम मोर्चा एक बार फिर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है.

कोलकाता : पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस और उसे कड़ी टक्कर दे रही भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए वाम मोर्चा अपने हिस्से की सीटें भी अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को देने के लिए तैयार है. कांग्रेस-वाम मोर्चा एक बार फिर गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रही है.

कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन की सीटों का फॉर्मूला अभी तय नहीं हो पाया है. वाम मोर्चा चाहती है कि इस मामले में घटक दलों के बीच आम सहमति बन जाये, ताकि कार्यकर्ता और नेता पूरी ताकत के साथ चुनाव प्रचार में उतर जायें. इसके लिए जरूरत पड़ने पर माकपा अपने हिस्से की सीट भी कांग्रेस के लिए छोड़ने को तैयार है.

वाम मोर्चा ने गठबंधन के तहत कांग्रेस के लिए कम से कम 100 सीटें छोड़ने का मन बना लिया है. हालांकि, कांग्रेस की राय जाने बगैर इस मामले में आगे बढ़ना वाम मोर्चा के लिए संभव नहीं है.

Also Read: ममता बनर्जी की सरकार को समर्थन दे रहे 41 विधायक भाजपा में शामिल होंगे! कैलाश ने कही ये बात

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और वामपंथी दल वर्ष 2016 के विधानसभा चुनावों में मिलकर चुनाव लड़े थे और सीटों के बंटवारे पर उनके बीच सहमति बन गयी थी. अलीमुद्दीन (माकपा मुख्यालय) के सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने 92 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जबकि माकपा 147 सीटों पर चुनाव लड़ी थी.

वाम मोर्चा के घटक दल फॉरवर्ड ब्लॉक ने 25 सीटों पर, आरएसपी ने 19 सीटों और माकपा ने 11 सीटों पर चुनाव लड़ा था. लगभग 15-16 सीटें ऐसी थीं, जहां कांग्रेस और वामदलों के बीच दोस्ताना लड़ाई हुई थी.

Also Read: Bengal Election 2021: बंगाल चुनाव पर दिल्ली में भाजपा की बैठक, ममता को झटका देकर ‍BJP में शामिल हो सकती हैं TMC सांसद शताब्दी रॉय

वर्ष 2016 के चुनाव पर गौर करें, तो पायेंगे कि 294 सीटों पर वाम मोर्चा और कांग्रेस के कुल 309 उम्मीदवार थे. इस बार माकपा, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के खिलाफ लोकतांत्रिक गठबंधन की ओर से एक सीट पर एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रही है.

राजद, एनसीपी को भी सीट देने के पक्ष में माकपा

पिछले कुछ वर्षों में वाम मोर्चा और आंदोलन में अन्य सहयोगियों के साथ 18 दलों का गठबंधन बना है. अलीमुद्दीन स्ट्रीट का विचार है कि सीपीआइ (एम-एल) लिबरेशन, पीडीएस, आरजेडी, एनसीपी जैसे दलों को सीटें दी जानी चाहिए. माकपा को पिछली बार के मुकाबले कम सीटों पर चुनाव लड़ने में कोई आपत्ति नहीं है.

वे कांग्रेस और गठबंधन के लिए वाम सहयोगियों को ‘लचीला’ बनाने के लिए कह रहे हैं. माकपा के राज्य सचिवालय के एक सदस्य के शब्दों में, ‘पिछली बार तृणमूल के साथ वाम दलों और कांग्रेस के बीच लगभग सीधी लड़ाई थी. इस बार भाजपा को रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है.’

Also Read: West Bengal Election 2021: ममता बनर्जी सरकार से शुभेंदु अधिकारी की जान को खतरा, हाइकोर्ट की शरण में पहुंचे

इसलिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बाहर, जहां भी उनके पास जितनी शक्ति है, वे एक छत के नीचे आकर दोनों दलों को हराने का हर संभव प्रयास करेंगे. पिछली बार कई स्वतंत्र उम्मीदवारों को भी समर्थन कांग्रेस व वाममोर्चा की ओर से दिया गया था.

अब्बास सिद्दीकी की भी मदद से परहेज नहीं

इस बार भी, माकपा लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष व्यक्तियों या संगठनों के लिए जगह बनाना चाहती है. अगर फुरफुरा शरीफ के अब्बास सिद्दीकी स्वीकार्य शर्तों पर एक समझौते पर आते हैं, तो उनके लिए जगह आरक्षित होगी. लेकिन, सब कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कांग्रेस आखिर में कितनी सीटों की मांग करती है.

Also Read: West Bengal Election 2021: शनिवार को ममता बनर्जी को लगेंगे कई झटके, अमित शाह की रैली में शुभेंदु, शीलभद्र समेत कई नेता थामेंगे भाजपा का दामन

विमान बसु और सूर्यकांत मिश्रा अब कांग्रेस का पक्ष जानने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि जटिलताओं को खत्म करने पर काम शुरू किया जा सके. एआईसीसी ने प्रदेश कांग्रेस को जनवरी तक गठबंधन की प्रक्रिया पूरी करने का संदेश दिया है.

बहुत ज्यादा सीटों पर कांग्रेस का फोकस नहीं

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, बिहार चुनाव के बाद एआईसीसी का रवैया यह है कि वे बहुत अधिक सीटों पर जोर न दें. कांग्रेस के लिए सकारात्मक सीटों पर ध्यान केंद्रित करें. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा बातचीत के लिए नियुक्त समिति के दो सदस्य अब्दुल मन्नान और प्रदीप भट्टाचार्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी की मौजूदगी में सीटों पर पुख्ता निर्णय करना चाहते हैं, ताकि बार-बार बेनतीजा बैठक न हो, क्योंकि इससे जनता में गलत संदेश जाता है.

Posted By : Mithilesh Jha

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें