कोलकाता (नवीन कुमार राय) : बंगाल में जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस आक्रमक होती जा रही है. प्रचार की होड़ में वाममोर्चा-कांग्रेस गठबंधन पिछड़ता नजर आ रहा है. इसलिए उसने अपनी ताकत का अहसास कराने की सोची है.
बंगाल विधानसभा की लड़ाई एक तरह से भाजपा बनाम तृणमूल कांग्रेस हो रही है, जबकि कांग्रेस व वाम मोर्चा गठबंधन अभी तक सीटों के बारे में अंतिम फैसला भी नहीं ले सका है. प्रचार में खुद को पिछड़ता देख माकपा ने अपने बूते चुनावी समर में बिगुल फूंकना शुरू कर दिया है.
जिलावार सभा करने का फैसला लेते हुए माकपा और वाम मोर्चा ने भी चुनावी मैदान में ताल ठोंकना शुरू कर दिया है. कांग्रेस फिलहाल शाखा संगठनों को चंगा करने की दिशा में जुटी हुई है. लिहाजा, वह ब्रिगेड परेड ग्राउंड में होने वाली सभा को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है.
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ऐसी स्थिति में वामपंथियों को लगने लगा है कि कांग्रेस के भरोसे मैदान जीतना संभव नहीं है. इसलिए वह प्रचार के लिए जनता के बीच जाने व जिलावार सभा करने की रणनीति बनाकर मैदान में उतर गयी है. इसी कड़ी में माकपा ने एक तरफ त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार को मैदान में उतारकर चुनाव प्रचार का आगाज कर दिया है.
इसके तुरंत बाद हुगली में सुजन चक्रवर्ती की चुनावी सभा ने इस बात का संकेत दे दिया है कि कांग्रेस के भरोसे रहने की बजाय खुद पर भरोसा करना ज्यादा बेहतर होगा. बर्दवान व हुगली के बाद माकपा के निशाने पर अब हावड़ा जिला है. पिछले रविवार को डुमुरजला मैदान में भाजपा ने सभा की थी. रविवार को तृणमूल कांग्रेस उसी मैदान में जवाबी जनसभा करेगी.
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ऐसे में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के लिए माकपा और वाम मोर्चा ने तय किया है कि वह रविवार को ही हावड़ा में रविवार को विभिन्न कोने में चार जनसभाएं करेगा. इन चारों सभाओं में से दो में वाम मोर्चा विधायक दल के नेता सुजन चक्रवर्ती मुख्य वक्ता होंगे. शेष दो के मुख्य वक्ता माकपा के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्र होंगे.
इस तरह आक्रामक तेवर अपनाते हुए माकपा ने तय किया है कि वह लोग बगैर युद्ध के एक इंच भी जगह छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. अपनी सभाओं में माकपा और वाम मोर्चा राज्य की गिरती हुई कानून-व्यवस्था और लोगों के छिनते लोकतांत्रिक अधिकार के साथ स्थानीय स्तर पर तृणमूल कांग्रेस के भष्टाचार को मुद्दा बनायेगी, तो केंद्र सरकार के कृषि विरोधी कानूनों व बढ़ती महंगाई के साथ निजीकरण को मुद्दा बनायेगी.
Posted By : Mithilesh Jha