Jharkhand: रिटायरमेंट के बाद कोलकर्मियों के इलाज पर संकट
कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां रिटायर कोल कर्मियों के चिकित्सा सेवा कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम (सीपीआरएमएस-एनइ) के मद की राशि स्कीम के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (बीओटी) के खाते में जमा नहीं कर रही हैं. इस वजह से रिटायरमेंट के बाद कोल कर्मियों के इलाज पर संकट उत्पन्न हो जायेगा.
कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनियां रिटायर कोल कर्मियों के चिकित्सा सेवा कंट्रीब्यूटरी पोस्ट रिटायरमेंट मेडिकेयर स्कीम (सीपीआरएमएस-एनइ) के मद की राशि स्कीम के बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (बीओटी) के खाते में जमा नहीं कर रही हैं. इस वजह से रिटायरमेंट के बाद कोल कर्मियों के इलाज पर संकट उत्पन्न हो जायेगा. बीओटी के निर्देश पर कोल इंडिया के मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) व ट्रस्ट के सदस्य सुनील कुमार मेहता ने फरवरी में कोल इंडिया के सभी अनुषंगी इकाइयों को पत्र लिख कर स्कीम के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी थी.
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आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक अनुषंगी इकाइयों से 30 मार्च तक स्कीम के मद में जमा पैसे को ट्रस्ट के खाते में जमा करने के लिए भी निर्देश दिया गया था. पर अभी तक यह जानकारी उपलब्ध नहीं करायी गयी है. जानकारी के मुताबिक 23 फरवरी 2022 तक इस मद में कुल 3059 .15 करोड़ कंपनियों को जमा करने थे, जिसमें से कंपनियों ने 625.44 करोड़ ही जमा किये थे. ताजा जानकारी के मुताबिक 20 सितंबर 2022 तक कुल 1242.06 करोड़ ही जमा हुआ है. कंपनियों के इस रवैये से बीओटी के यूनियन प्रतिनिधियों में रोष है. उनके अनुसार कई कंपनियों ने इस मद के पैसे को दूसरे मद में खर्च कर दिया है.
क्या है मामला
सीपीआरएमएस-एनइ बोर्ड ऑफ ट्रस्टी का निबंधन जनवरी 2021 में हुआ. इस स्कीम के तहत कर्मियों से 40 हजार रुपये काटे गये है. प्रबंधन को प्रति कर्मचारी 18 हजार का सहयोग देना है, यानी एक कर्मी के मद में 58 हजार रुपया ट्रस्ट के खाते में जमा करना है. जमा पैसे को एलआइसी निवेश करने का निर्णय बीओटी में हुआ है. इस स्कीम के तहत रिटायर कर्मियों व उनकी पत्नी को जीवन भर में 8 लाख का इलाज, 12 गंभीर बीमारियों में असीमित खर्च व दिव्यांग बच्चे को 2.50 लाख का इलाज की सुविधा का प्रावधान है.
फंड डाइवर्ट
ट्रस्टी बोर्ड के एक सदस्य ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि कंपनियों ने सीपीआरएमएस-एनइ के मद में काटे गये पैसे ट्रस्ट में जमा नहीं किया. कहीं स्कीम के पैसे को दूसरे जगह डाइवर्ट तो नहीं कर दिया गया है? कम्पनियां तो मूल रकम देंगी, ब्याज तो देंगी नहीं. इसका हर्जाना कौन देगा ? वहीं सीटू नेता व ट्रस्ट के सदस्य वीएम मनोहर कहते हैं कंपनियों से 30 मार्च तक पैसे जमा करने को कहा गया है. कुल पैसे खाते में जमा हो तब निवेश होगा. कंपनियों द्वारा ट्रस्ट के खाते में पैसा जमा नहीं करने से नुकसान हो रहा है.
कंपनी -देनदारी -जमा हुआ
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इसीएल -637.59 -125.00
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बीसीसीएल -498.77 -142.94
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सीसीएल -381.24 -205.98
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एनसीएल -174.32 -75.69
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डब्ल्यूसीएल -543.67 -222.66
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एसइसीएल -584 .30 -284.84
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एमसीएल -168.50 -122.24
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सीएमपीडीआई -26.12 -26.52
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सीआइएल -44.64 -36.20
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कुल -3059.15 -1242.06
… तो बंद हो जायेगी स्कीम
सीटू नेता व बीओटी सदस्य वीएम मनोहर ने कहा कि मजदूरों के वेतन से पैसा काट कर कंपनियां बीओटी के बैंक खाते में जमा नहीं कर रही हैं. इससे मजदूरों को घाटा हो रहा है. अगर पूरा पैसा जमा नहीं हुआ, तो यह स्कीम बंद हो जायेगी. प्रबंधन को बीओटी की अविलंब बैठक बुलानी चाहिए.