बिहार के बगहा में सड़कों पर घूमते हैं मगरमच्छ, शाम होते ही घरों में बंद हो जाते हैं लोग

पश्चिम चंपारण के बगहा में लोगों के बीच मगरमच्छों के झुंड ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है. मगरमच्छ के रिहाइशी इलाकों में प्रवेश करने से लोग शाम में ही घरों में बंद हो जाते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 15, 2021 11:27 AM
an image

बिहार में पश्चिमी चंपारण के बगहा में मगरमच्छों ने लोगों की नींद उड़ा दी है. आए दिन कभी सड़कों पर तो कभी रिहाइशी इलाकों में लोग मगरमच्छ को घूमते हुए देखते हैं. जिससे स्थानीय लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. मगरमच्छ के हमला से एक युवक की मौत भी हो चुकी है. वहीं रेस्क्यू के नाम पर केवल खानापूर्ती की शिकायत आम लोग करते रहे हैं.

बगहा में लोग शाम होते ही घरों के अंदर पैक होने पर मजबूर हो गये हैं. मगरमच्छ गंडक नदी तथा नदी किनारे के नालों से निकलकर रिहाइशी इलाके में घुस जाते हैं. पिछले महीने लोगों ने पाया कि मगरमच्छ पंचायत निधि से निर्मित पीसीसी सड़क पर घूम रहा है. जिसके बाद लोगों में हड़कंप मच गया था. वहीं मगरमच्छ की दशहत अधिकारियों में भी है. हाल में ही जब जल संसाधन विभाग के अभियंताआ तटबंध का जायजा लेने निकले थे तो मगरमच्छों ने उनपर हमला बोल दिया था. वो किसी तरह जान बचाने में सफल रहे थे.

हाल में ही रामनगर के भावल गांव में तब कौतूहल मचा जब एक मगरमच्छ किसी के निजी पोखर में जाकर घुस गया. जब लोगों की नजर मगरमच्छ पर पड़ी तो हड़कंप मच गया. काफी मशक्कत के बाद मगरमच्छ को पकड़ा गया. लोगों ने बताया कि किसी भी अनहोनी की शंका से वो हमेसा परेशान रहते हैं. बताया गया कि आये दिन मगरमच्छ हमारे तालाब में आ जाता है. मगरमच्छ को पकड़कर वन विभाग को सौंप दिया जाता है लेकिन इसका स्थायी समाधान नहीं हो सका है.

Also Read: RJD मेरे पिताजी की पार्टी…,पूर्व सांसद रामा सिंह के बयान पर तेज प्रताप यादव का पलटवार, जानें पूरा विवाद

स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां गंडक नदी के किनारे पीपी तटबंध के बगल में एक नाले में मगरमच्छों का एक झुंड एक दशक से रहता है.नाले में लगभग 50 मगरमच्छ रहते हैं. नाले के आसपास परसौनी गांव निवासी कई परिवार घर छोड़कर दूसरे गांव में जाकर बस चुके हैं. वहीं कुछ ही दूरी पर पिपरासी थाना भी है. मगरमच्छों के कारण पुलिस कर्मियों में भी दशहत रहता है. मगरमच्छों को नाले से निकालकर गंडक नदी में छोड़ने की मांग होती है.

Published By: Thakur Shaktilochan

Exit mobile version