Jharkhand News (गढ़वा), रिपोर्ट- पीयूष तिवारी : सरकार और प्रशासन द्वारा बनाये गये जलेबी की वजह से इस बार गढ़वा जिले के किसान अनुदान पर मिलनेवाले कृषि यंत्र का लाभ लेने से वंचित रह गये हैं, जबकि जिला कृषि विभाग एवं भूमि संरक्षण विभाग में अनुदान पर मिलनेवाले कृषि यंत्र मद में आयी करोड़ों रुपये की राशि सरेंडर कर दी गयी. इससे किसान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
जिला कृषि विभाग के माध्यम से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM) के तहत दलहन योजना एवं तिलहन योजना में अनुदान पर कृषि यंत्र लेने के लिए विज्ञापन प्रकाशित करते हुए किसानों से आवेदन जमा कराये गये थे. जिले के बड़ी संख्या में किसानों ने आवेदन भी जमा किये, लेकिन इसमें इस बार नया शर्त लगा दिया गया कि किसानों को कृषि यंत्र का पहले पूरा पैसा देना होगा. बाद में अनुदान की राशि उनके खाते में भेजी जायेगी. कृषि यंत्र क्रय करने के बाद उसका बिल जमा करते हुए अपने खेत के पास का जीओ टैगिंग भी कराना अनिवार्य कर दिया गया था.
इसके अलावे एक शर्त यह भी लगायी गयी कि किसान टेंडर लेनेवाले दुकानदार से ही कृषि यंत्र लेंगे. दूसरे दुकानदार का बिल स्वीकार नहीं किया जायेगा. इस पूरी प्रक्रिया के लिए किसानों को करीब 20 दिनों का ही समय दिया गया क्योंकि किसानों का चयन ही मार्च माह के पहले सप्ताह में जिला चयन समिति ने किया था. इस वजह से काफी कम किसान ही महंगे कृषि यंत्र का पूरा पैसा देकर उसे ले सके जबकि शेष राशि 31 मार्च को सरेंडर कर दी गयी. जबकि इसके पूर्व के साल तक इस प्रकार की शर्त नहीं लगायी गयी थी. किसान सिर्फ अनुदान के बाद की ही शेष राशि देकर कृषि यंत्र लेते रहे हैं.
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जिला कृषि विभाग की ओर से दहलन योजना में पंप सेट 180 लक्ष्य के खिलाफ मात्र 51 किसान ही ले सके जबकि तिलहन योजना में 58 के बजाय मात्र 9 किसानों ने ही पंप सेट लिया है. शेष 178 पंप सेट (129 एवं 51) की राशि सरेंडर करनी पड़ी जबकि किसान मिनी दाल मिल, ट्रैक्टर चालित फार्म यंत्र, मैनुअल स्पेयर, मैनुअल फार्म यंत्र, जिप्सम, सल्फर, बायोफर्टिलाइजर, पीपी केमिकल्स, बायो कीटनाशी, मोबाइल रेनगन, लाइम, विडीसाइड आदि का लाभ किसान नहीं ले सके. ये सभी यंत्र 50 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को दिये जाने थे. इसी तरह भूमि संरक्षण विभाग में 90 प्रतिशत अनुदान पर किसानों को मिलनेवाले पंपसेट का वितरण भी लक्ष्य से काफी पीछे रहा है. भूमि संरक्षण विभाग में 350 पंप सेट का वितरण करना था, लेकिन इसके खिलाफ मात्र 52 किसानों ने ही पंप सेट का क्रय किया.
इस संबंध में प्रगतिशील किसान राजदेव कुशवाहा ने बताया कि जब किसानों के पास पूरा पैसा देकर कृषि यंत्र खरीदने का सामर्थ्य रहता, तो वे कृषि विभाग के भरोसे क्यों रहते. विभाग यदि किसानों की हितैषी है, तो उसे पहले अनुदान की राशि भेजकर बाद में कृषि यंत्र के साथ बिल और जीओ टैगिंग कराना चाहिए थे. उन्होंने कहा कि फार्म जमा करने के लिए पूरी लंबी प्रक्रिया कराने के बाद भी किसानों को कृषि यंत्र नहीं मिलना विभाग की विफलता है.
इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी लक्ष्मण उरांव ने बताया कि विभाग के वरीय पदाधिकारियों से मिले निर्देश का ही उन्होंने पालन किया है. निर्देश और राज्यादेश के खिलाफ जाकर वे कोई कार्य कैसे कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि इस बार इसे सरल करने के लिए वे वरीय पदाधिकारियों से बात करेंगे.
Posted By : Samir Ranjan.