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Pitru Paksha 2022: धनबाद में अब कौवे भी हो रहे विलुप्त, पितृपक्ष में खाना खिलाना हुआ मुश्किल

पितृ पक्ष में कौओं को खाना खिलाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन धनबाद में कौओं की संख्या लगातार घट रही है. ऐसे में पितृपक्ष में लोगों को खाना खिलाने के लिए काैवे नहीं मिल रहे है, जो की चिंता का विषय बना हुआ है. लोग पत्ते में कौओं के लिए खाना रख छोड़ने को विवश है.

Pitru Paksha 2022: धनबाद में हाल के दिनों में कौओं की संख्या लगातार घट रही है. कभी खुले आसमान में मंडराने वाले, पेड़ों, घर की छत, आंगन के आसपास देखे जाने वाले कौवे लगभग विलुप्त हाेते जा रहे हैं. वर्तमान में मुश्किल से देखने को मिल रहे हैं, जो कि एक चिंता का विषय बनते जा रहा है. 10 सितंबर से पितृ पक्ष चल रहा है, जो 25 सितंबर तक चलेगा. पितृ पक्ष में पितरों की आत्म तृप्ति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. पितरों की तिथि के दिन श्राद्ध किया जाता है, पितरों की पसंद का भोजन बनाया जाता है. इस दिन ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं और दान दक्षिणा भी देते हैं. इस दिन एक और काम करते हैं, भोजन का एक हिस्सा निकालकर कौआ को खिला देते हैं. नदी, तालाबों में पितृों की आत्मा के शांति के लिए लोग नियम व परंपरा को पूरा करने के लिए पत्ते में कौओं के लिए खाना रख छोड़ने को विवश है.

तेजी से हो रहे शहरीकरण और पेड़ों की कटाई से घट रही संख्या

धनबाद तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहा है. शहरीकरण को बढ़ावा देने के लिए तेजी से जंगलों को साफ किया जा रहा है. बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई की जा रही है. वनों की घटती संख्या भी पक्षियों के विलुप्त होने की एक मुख्य वजह है. इसके अलावा बढ़ती तकनीक के कारण विभिन्न माध्यमों से निकलने वाले रेडिएशन भी पक्षियों की घटती संख्या का प्रमुख कारण माना जा रहा है.

मान्यता : कौवे में विराजती है पितरों की आत्मा

पितृ पक्ष के समय में या फिर अमावस्या को या किसी के श्राद्ध कर्म में भोजन का कुछ अंश कौआ को खिला देते हैं. इससे जुड़ी मान्यता यह है कि यदि कौआ उस भोजन के अंश को ग्रहण कर लेता है तो आपके पितर तृप्त हो जाते हैं. कहा जाता है कि कौआ के द्वारा खाया गया भोजन सीधे पितरों को प्राप्त होता है.15 दिनों तक चलने वाले पितृपक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान आदि अनुष्ठान किए जाते हैं. पंचबलि को भोज कराना आवश्यक : पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण करना आवश्यक होता है. मान्यता है यदि व्यक्ति इस दौरान अपने पूर्वजों का श्राद्ध नहीं करते हैं तो उनसे पितृ रुष्ट हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध करने के बाद हम ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं, लेकिन इसके साथ ही हम कौवे को भी भोज कराते हैं. ब्राह्मण भोज से पूर्व गाय, कुत्ते, कौवे, देवता और चींटी यानी पंचबलि को भोज कराना आवश्यक है. माना जाता है कि कौवे इस समय में पितरों के रूप में हमारे आसपास विराजमान रहते हैं.

रिपोर्ट: विक्की प्रसाद, धनबाद

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