पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में हुई शीतलकुची फायरिंग पर सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले की जांच में जुटी सीआईडी की एसआईटी ने सीआईएसएफ के छह अधिकारियों और जवानों को पूछताछ के लिए तलब किया. इसको लेकर बीजेपी ने ममता सरकार पर राजनीति के आरोप भी लगा दिए. शीतलकुची फायरिंग की जांच में जुटी सीआईडी ने माथाभंगा के आईसी से आठ घंटे तक की पूछताछ की. जबकि, शीतलकुची फायरिंग के बाद कूचबिहार जिले के सस्पेंड एसपी देवाशीष धर को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है.
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बड़ी बात यह है कि सीआईडी ने सीआईएसएफ के छह अधिकारियों और जवानों को भी पूछताछ के लिए मुख्यालय में तलब किया था. सीआईएसएफ ने पूछताछ में वर्चुअली रूप से मौजूद होने की पेशकश की थी. जिसे सीआईडी ने खारिज कर दिया. सीआईएसएफ के अधिकारियों और जवानों को सीआरपीसी की धारा-160 के तहत नोटिस दिया गया है. इस मामले पर बीजेपी का कहना है सीआईएसएफ केंद्रीय बल है. वो केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है. उसे नोटिस देने का अधिकार राज्य सरकार के अधीन किसी भी एजेंसी को नहीं है.
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के चौथे चरण के मतदान के दौरान 10 अप्रैल को कूच बिहार के शीतलकुची में फायरिंग की घटना हुई थी. इसमें चार लोगों की मौत के बाद सियासी घमासान मच गया था. तत्कालीन ममता सरकार ने मामले की जांच का जिम्मा सीआईडी को दिया था. जबकि, फायरिंग में मारे गए लोगों के लिए मुआवजे और सरकारी नौकरी देने की बात भी कही थी. फायरिंग की घटना के बाद सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी का एक कथित ऑडियो टेप भी वायरल हुआ था. जिसमें वो पार्टी उम्मीदवार पार्थ प्रतिम राय को मारे गए लोगों के शवों का जुलूस निकालने का निर्देश देती सुनी गई थीं.
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कूचबिहार जिले के शीतलकुची में फायरिंग की घटना पर आज भी पश्चिम बंगाल में राजनीति की जा रही है. शीतलकुची फायरिंग की घटना के लिए सीएम ममता बनर्जी पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहरा चुकी हैं. दूसरी तरफ बीजेपी ने सीएम ममता बनर्जी के भड़काऊ भाषण की वजह से शीतलकुची फायरिंग की घटना होने की बात कही है. अब, मामले की जांच में जुटी सीआईडी के सीआईएसएफ अधिकारियों और जवानों को नोटिस भेजे जाने पर भी सियासी बवंडर उठ चुका है. फिलहाल, शीतलकुची फायरिंग के मामले की सीआईडी जांच जारी है. वहीं, राजनीतिक बयानबाजी भी काफी तेज हो चुकी है.