विश्व चैंपियन बनी निकहत जरीन की देश के लिए और पदक जीतने की भूख बरकरार हैं और उन्हें उम्मीद है कि 28 जुलाई से शुरू हो रहे बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय मुक्केबाजी दल रिकॉर्ड चार स्वर्ण पदक जीतेगा. गोल्ड कोस्ट में 2018 भारतीय मुक्केबाजों के लिए अब तक का सबसे अच्छा राष्ट्रमंडल खेल रहा था. भारत ने इसमें तीन स्वर्ण, तीन रजत और तीन कांस्य पदक जीते थे. इन खेलों में दिग्गज मैरीकॉम चैंपियन बनने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थी.
तेलंगाना की नयी मुक्केबाजी सनसनी निकहत बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में पदार्पण करेंगी और उन्हें 12 सदस्यीय भारतीय मुक्केबाजी टीम से ‘कम से कम आठ पदक’ की उम्मीद है. मई में तुर्की में विश्व चैंपियनशिप में 52 किग्रा (फ्लाईवेट) में स्वर्ण पदक जीतने वाली इस 26 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा कि मुझे कम से कम आठ पदक की उम्मीद है, जिसमें से चार स्वर्ण पदक होंगे. देखते हैं क्या होता है.
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भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा आयोजित ऑनलाइन मीडिया सत्र में निकहत ने कहा कि हम सभी अनुभवी मुक्केबाज हैं. हमारे पास विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता और ओलंपियन हैं. मुझे आशा है कि सभी को स्वर्ण मिलेगा. देश के लिए पदक जीतने की मेरी अब भी वही भूख है. उन्होंने कहा कि ड्रॉ जारी होने से पहले पदक की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, क्योंकि कभी-कभी आपको मुश्किल ड्रॉ दिया जाता है और पहले दौर में बाहर होने का खतरा रहता है.
बर्मिंघम में, भारत के आठ पुरुष और चार महिला मुक्केबाजों का दल होगा. निकहत के अलावा भारतीय महिला मुक्केबाजी टीम में ओलंपिक कांस्य पदक विजेता लवलीना बोरगोहेन (70 किग्रा), 2021 एशियाई युवा कांस्य पदक विजेता जैस्मीन (60 किग्रा) और दो बार की पूर्व युवा विश्व चैंपियन नीतू होंगी. ओलंपियन अमित पंघाल (51 किग्रा) और शिव थापा (63.5 किग्रा) पुरुषों की मुक्केबाजी टीम का नेतृत्व करेंगे, जिसमें छह अन्य मुक्केबाज मोहम्मद हुसामुद्दीन (57 किग्रा), रोहित टोकस (67 किग्रा), सुमित कुंडू (75 किग्रा), आशीष चौधरी (80 किग्रा), संजीत (92 किग्रा), और सागर (92 किग्रा से अधिक) शामिल हैं.
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पेरिस ओलंपिक के लिए नयी भार श्रेणियों की घोषणा के बाद निकहत को 50 किग्रा भार वर्ग में खेलने के लिए मजबूर होना पड़ा जो उनके लिए नया अनुभव होगा. उन्होंने कहा कि मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था. वजन कम कर के 50 किग्रा तक आना मुश्किल था, लेकिन इतना कठिन नहीं था. मुझे सिर्फ दो किग्रा वजन कम करना था. मैं वजन कम करना पसंद करती हूं और उच्च भार वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने के बजाय उस श्रेणी में खेलना पसंद करती हूं.
बैंटमवेट (54 किग्रा) में प्रतिस्पर्धा नहीं करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए निकहत कहा कि मेरा शरीर वजन कम करने के बाद खेलने के लिए अनुकूल हो गया है. अगर मैं उच्च (54 किग्रा) श्रेणी में खेलती हूं, तो उसे अधिक मांसपेशियों और ताकत की आवश्यकता होगी. इसके साथ ही इस वर्ग में कई ऐसे मुक्केबाज होंगे जो वजन कम कर के आये होंगे, उनका कद मुझसे लंबा होगा. निकहत राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी के लिए दो सप्ताह के लंबे आयरलैंड शिविर के लिए रवाना होंगी और उन्हें उम्मीद है कि इस दौरान उन्हें और आयरलैंड के मुक्केबाजों का आकलन करने का मौका मिलेगा.