डीए मामला : राज्य सरकार को फिर लगा हाईकोर्ट से झटका, 3 महीने के अंदर बकाया का भुगतान करने का निर्देश

आर्थिक बदहाली का हवाला देकर राज्य सरकार ने की थी पुर्नविचार की अर्जी . कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले फैसले को बरकरार रखते हुए डीए मामले में फैसले पर पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 22, 2022 1:00 PM

पश्चिम बंगाल में कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले फैसले को बरकरार रखते हुए डीए मामले में फैसले पर पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दिया है. न्यायमूर्ति हरीश टंडन और न्यायमूर्ति रवींद्रनाथ सामंत की खंडपीठ ने पहले के आदेश को बरकरार रखा है. अदालत ने तीसरी बार फैसले की समीक्षा करने के राज्य सरकार के अनुरोध को खारिज कर दिया. नतीजा यह हुआ कि यह फैसला राज्य सरकार के कर्मचारियों के पक्ष में गया. अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य की याचिका में कोई दम नहीं है.

3 महीने के अंदर बकाया का भुगतान करने का निर्देश

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सरकारी कर्मचारियों का बकाया वेतन तीन महीने के भीतर देना होगा. राज्य सरकार के आवेदन की कोई दम नहीं है. इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से कहा कि डीए को अधिक दर पर नहीं दिया जा सकता क्योंकि फंड में पैसा नहीं है. लेकिन राज्य की इस दलील को खंडपीठ ने स्वीकार नहीं किया है.उनका कहना है कि राज्य सरकार को डीए देना ही होगा यह कर्मचारियों का हक है.

कर्मचारी संगठनों का डीए की मांग लंबे समय से चल रही है

राज्य सरकार के कर्मचारी संगठनों का केंद्रीय दर पर डीए की मांग लंबे समय से चल रही है. इसको लेकर कोर्ट में केस भी किया गया था. हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने महंगाई भत्ते को श्रमिकों के न्यायसंगत अधिकार के रूप में स्वीकार किया. इसी साल 20 मई को हाईकोर्ट की खंडपीठ ने राज्य सरकार को बकाया महंगाई भत्ता तीन महीने के अंदर देने का आदेश दिया था. जिससे राज्य के सरकारी कर्मचारियों को 31 प्रतिशत की दर से डीए देना होगा. लेकिन उस अवधि की समाप्ति के बाद डीए नहीं दिए जाने पर हाईकोर्ट में अवमानना ​​का मामला दायर किया गया था.लेकिन एक बार फिर हाईकोर्ट का फैसला कर्मचारियों के पक्ष में आया है. राज्य सरकार को जल्द से जल्द डीए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है.

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