विश्व विख्यात भांगड़ा और पॉप गायक दलेर मेहंदी एक अरसे बाद इंडिपेंडेंट म्यूजिक से एक बार फिर दर्शकों को लुभा रहे हैं. ईरोज नाउ म्यूजिक के बैनर तले उनका गीत इश्क़ नचावे 21 जनवरी को रिलीज किया गया है. उनके इस म्यूजिक नंबर और मौजूदा संगीत परिपेक्ष्य पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत
इंडिपेंडेंट म्यूजिक की तरफ एक बार फिर से रुझान क्या वजह रही ?
सितंबर 1995 में बोलो तारा तारा रिलीज हुई थी आज 26 साल हो गए हैं. फिर 1996 में मैं डरती रब्ब रब्ब उसके बाद साड्डे नाल,काला कौवा सारे गाने आज 2021 में भी पार्टी होती है तो बजते हैं. खास बात है कि उस वक़्त आज की तरह प्रोमोशन नहीं था लेकिन 2021 में भी वो गाने चल रहे हैं. मैं लगातार बॉलीवुड फिल्मों में गा ही रहा हूं. बाहुबली, दंगल,उरी, गोल्ड,छलांग इसका उदाहरण हैं लेकिन लोग जब भी मुझसे मिलते वो मुझे मेरे एक डांसिंग नंबर की बात करते कि जैसे 90 में आप करते थे वैसा कुछ कीजिये. जिसके बाद मैंने इश्क़ नचावे गाना बनाया.
क्या खास अपने गाने से आप इस बार दर्शकों को आफर कर रहे हैं ?
इश्क़ नचावे में मैं 165 रिद्म का अलग अलग उपयोग किया है और लाइव सारी चीज़ें बजायी गयी हैं. कोई मशीन से काम नहीं है. गाना बैंकॉक में शूट हुआ है।ऐसा विजुअल और गाने के बोल है कि बच्चों और बुजुर्गों के साथ भी देख और सुन सकते हैं. मेरी कोशिश हमेशा ये रहती है कि मैं अपने गाने में नशा प्रमोट ना करूं. अश्लीलता ना हो. नयी जेनेरेशन को अच्छा मैसेज मिले. इस गाने को मैंने दो साल में तैयार किया। इश्क़ नचावे में भी आपको मेरे पिछले गानों की तरह सिग्नेचर स्टेप्स मिलेंगे. दम बदम का स्टेप्स कोई भी कर सकता है.
आजकल इंडिपेंडेंट म्यूजिक की बात करें तो कोई गाना रिलीज होता है तो उससे टैग जुड़ जाता है कि इतने मिलियन व्यूज हो गए हैं इस चलन पर क्या कहना है ?
हाँ तीन चार साल से लोग अपना यूट्यूब चैनल बना लेते हैं फिर उसमें अपना वीडियो डाल लेते हैं और झूठी तारीफें शुरू कर देते हैं कि इतने मिलियन्स व्यूज हो गया. इतने मिलियन्स व्यूज के बावजूद गाने दो से तीन महीने में भुला दिए जाते हैं. कंप्यूटर से म्यूजिक उठाकर बना रहे हैं.आजकल के बच्चे मेहनत ही नही करना चाहते हैं। बने बनाए आजकल म्यूजिक इंटरनेट पर मिलते हैं कोई पांच डॉलर का कोई दस डॉलर का लेकर उसको फिर उसमें अपने बोल फिट. मेहनत और शिद्दत से जो गाने बनते हैं वो याद रह जाते हैं.
आपने इश्क़ नचावे को गाया है कंपोज किया है और लिखा भी है क्या प्रोसेस होता है आपके इंडिपेंडेंट सांग बनाने का ?
मेरा तरीका बहुत ही अलग होता है. आमतौर पर लोग जब कोई गाना बनाते हैं तो उसे लोगों से छुपाते हैं कि कोई चुरा चुरू ना लें लेकिन मेरा तरीका अलग है. मैं अपने लाइव शोज में ही अपने इंडिपेंडेंट गानों की धुन या बोल सुना देता हूं और दर्शकों का रिएक्शन देखता हूं अगर उन्हें मज़ा आ रहा है तो फिर उसपर काम करता हूं. हर गाने का मुखड़ा मैं लिखता हूं लेकिन अंतरा में किसी शायर के साथ मिलकर बना देता हूं. कलर कॉम्बिनेशन, ड्रेस सब मैं चुनता हूं. इश्क़ नचावे में मैंने जो ड्रेस पहनी है. वो बैंगलोर के जो संगीत म्यूज़ियम उसमें लगी है।एल्बम आने से पहले ड्रेस को चुन लिया गया.
आपकी जो लिगेसी है क्या वो आप अपने बच्चों में भी पाते हैं ?
हां मेरे बच्चे अच्छा कर रहे हैं।गुरदीप मेहंदी मेरा बेटा है. वो लाइव शोज में बहुत बिजी रहता है. मुझे खुशी है कि मेरी तरह मेरा बेटा भी किसी भी तरह के नशे से दूर है. मेरी तरह उसे भी बस म्यूजिक की लत है. मेरी छोटी बेटी रबाब उसको भी संगीत की अच्छी समझ हो गयी है.
आप किसके म्यूजिक और आवाज़ को सुनना पसंद करते हैं ?
उस्ताद बड़े गुलाम अली खान साहब,मेहँदी हसन,छोटे गुलाम अली साहब,जगजीत,लता जी,आशा जी,रफी साहब,किशोर कुमार,मन्ना डे इनके गानों को मैं बहुत सुनता हूं. मेरा फेवरेट आशाजी का चुरा लिया तुमने,किशोर कुमार का मेरी सोनी मेरी तमन्ना ये दो गाने मैं अक्सर गुनगुनाते रहता हूं. मुझें अर्थपूर्ण और राग वाले गाने बहुत पसंद है.
नए सिंगर्स में कोई आपको पसंद हैं,पंजाब से कई सिंगर इनदिनों इंडिपेंडेंट म्यूजिक और बॉलीवुड में हैं ?
क्या बोलूं मुझे तो सबके म्यूजिक एक से लगते हैं।विजुअल भी एक सा लगता है. लोकेशन,कपड़ों के ब्रांड यही हाइलाइट होते हैं. बॉलीवुड की बात करूं तो आप मीका, सोनू निगम,कैलाश खेर, शान की आवाज़ को आप पहचान लेते हैं लेकिन बाकी जो नए हैं. उनको आप पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि वे कॉपी कर रहे होते हैं. अपनी ओरिजिनल आवाज़ को वे निखारते ही नहीं हैं.
2020 से आपने क्या सीख ली ?
मैं हमेशा से ही पर्यावरण प्रेमी रहा हूं.1998 में ही मैंने दिल्ली में 8 लाख पेड़ लगाए थे. खुद का पैसा लगाया था किसी एनजीओ की मदद नहीं ली थी. उस वक़्त सवा करोड़ रुपये मेरे खर्च हुए थे. लॉक डाउन में भी मैंने 30 हज़ार पेड़ लगाए. हर साल एक लाख पेड़ लगाते ही हैं. कभी इंदौर कभी कांगड़ा. जहां शो करने जाता हूं वहां लोगों को गुज़ारिश करता कि मेरा पेमेंट कम कर देना लेकिन इतने पेड़ लगाइए। मैंने 70 गाय भी पाली हैं. सभी भारतीय नस्ल वाली गाएं हैं. जो तीन लीटर दूध बड़ी मुश्किल से देती हैं. हरियाणवी, थार परकड गाएं हैं. जो लुप्त होती जा रही हैं. मुझे खुशी है कि प्रकृति को सुरक्षित रखने में मैं अपना योगदान दे पा रहा हूं.
2021 में क्या खास औऱ म्यूजिक फ्रंट में कर रहे हैं ?
बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों में मैं गा रहा हूं. जो लोगों को निश्तितौर पर झूमने को मजबूर करेंगे इसके साथ ही मेरी कोशिश है कि हर तीन महीने पर अपना एक सिंगल भी लेकर आऊं.
आपका जन्मस्थान पटना है उससे जुड़ी कुछ खास यादें ?
हमारी बातचीत शाहे शहंशाह गुरु महाराज जी के जन्मदिन के दिन हो रही है और पटना में यह बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. मेरा बचपन पटना में बीता है. बहुत ही शानदार माहौल होता था।दुर्गा पूजा,सरस्वती पूजा में संगीत की जुगलबंदी होती थी. परवीन सुल्ताना जी,गोदई महाराज,लछु महाराज,पंडित रविशंकर को सुनने को मिला है. दो साल पहले पटना गया था. गुरुद्वारा साहब बहुत सुंदर बन गया है. वहां जब भी जाता हूं कई यादें ताज़ा हो जाती हैं. एक डायलॉग भी है पटना सिटी घर बा कौन बात के डर बा मैं अक्सर बोलता हूं.
Posted BY: Shaurya Punj