भाई-बहन के पवित्र प्रेम का पर्व रक्षाबंधन ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है, बाजार में रौनक बढ़ती जा रही है. अपने भैया की कलाई पर सबसे बेहतरीन राखी बांधने के लिए बहनें उसकी तलाश में एक दुकान से दूसरी दुकान का चक्कर लगा रही हैं. लिहाजा बाजार गुलजार हो रहा है. उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर लगाए गए लॉकडउन की वजह से पिछले दो साल व्यापार पर खासा असर पड़ा था. शहर के चौक-चौराहा, टावर, बाजार, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, मंदिर आदि जगह पर ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी राखी की दुकानें जगह-जगह सज गई हैं. 12 अगस्त को भाई-बहन का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन मनाया जाएगा.
रंग-बिरंगी राखियों से बाजार सज गये हैं. बुधवार को बाजार में महिलाएं राखियों की खरीदारी करती नजर आयी. इन दुकानों में ज्यादातर राखियों की खरीदारी उन्हीं महिलाओं के द्वारा की गई जिन्हें दूर बैठे भाइयों को डाक से राखी भेजनी थी. लिहाजा बाजार में विशेष तेजी नहीं थी, लेकिन पिछले तीन-चार दिनों से राखियों की बिक्री में तेजी आयी है.
बाजार में राखियों की दुकानें सजी है. जहां हर वर्ग के लिए राखियों की वैरायटी उपलब्ध है जो लोगों को लुभा रही है. वैसे ठेला,फुटपाथ व अस्थायी दुकानों पर बिक्री के लिए विभिन्न प्रकार की राखियां सजी हुई है. इस दुकानों में दस रुपए से लेकर दो सौ रुपये और कहीं-कहीं इससे भी ज्यादा कीमत की राखियां बिक रही है. सोने-चांदी की राखी की भी बिक्री हो रही है. आभूषण विक्रेताओं के यहां पर भी नई-नई डिजाइन में सोने-चांदी की आकर्षक राखियां बाजार में उपलब्ध है.
घर परिवार का खर्च चलाने के लिए राज्य से बाहर के लोग भी शहर में आकर गली-मोहल्लों में फेरी के माध्यम से घर-घर विभिन्न प्रकार की आकर्षक डोरे व अन्य डिजाइन ओं की राखियां बेच रहे हैं.
बाजार में श्री, शुभ, सज्जन, काव्या एवं विष्णु ब्रांड राखी की मांग अधिक है. इन ब्रांडों की प्रति राखी की कीमत 50 रुपए से लेकर 250 रुपये के बीच है. हालांकि बाजार में रानी, बंधन एवं ओम ब्रांड की राखी भी 10 से लेकर 25 रुपए के बीच है. परंतु इसकी मांग कम हो रही है. बाकरगंज पालीराम चौक राखी विक्रेता अमित पटवा ने बताया कि राखी का व्यापार मूल रूप से कोलकाता, गुजरात, दिल्ली आदि बाजार से होता है. लगभग तीन वर्षों से राखी कारोबार पर बुरा असर पड़ा था. पिछले वर्ष कहीं-कहीं राखी की कुछ दुकानें खुली थी. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष राखी के दामों में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी है. इस वर्ष बिक्री अधिक होने की संभावना है.
दरभंगा टावर पर राखी विक्रेता शमशेर ने बताया कि बाजार में दुकाने सजी है, परंतु अधिकांश वैसी महिला दुकान पर आती हैं, जिनको दूरदराज में रहने वाले भाइयों को कुरियर अथवा डाक से राखी भेजनी है. लगभग तीन वर्ष इस व्यापार से लगभग हाथ ही धोना पड़ गया था. महाजन का पूंजी भी नहीं निकाल पाए थे. चूंकि महाजन से खरीदा गया राखी वापस नहीं होता है. उम्मीद है कि इस वर्ष व्यापार अच्छा चलेगा. बाजार में आम लोगों के लिए सभी प्रकार की राखी उपलब्ध है.