हरितालिका तीज से पहले नेपाली समाज का त्योहार , दरखाने उत्सव में सुहागिनों ने की मस्ती
यह व्रत विशेष कर सुहागिनें अपने जीवनसाथी की दीर्घायु के लिए करती हैं. साथ ही भगवान से परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन आत्माशुद्धि के लिए सुहागिनें मंदिर में जाती हैं. इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने की परंपरा है.
राउरकेला नेपाली सेवा समिति के तत्वावधान में राउरकेला के सेक्टर-6 लक्ष्मीनारायण मंदिर के दो शाखा युवा समिति और महिला समिति के तत्वावधान में तीज के दो दिन पहले शुक्रवार को दरखाने उत्सव मनाया गया. उत्सव में लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये गये. समें बड़ी संख्या में नेपाली समुदाय की महिलाओं ने हिस्सा लिया. महिलाओं ने दरखाने उत्सव के गीतों पर नृत्य-संगीत पेश किया. उत्सव में राउरकेला नेपाली सेवा समिति के पदम बहादुर थापा, बीर बहादुर छेत्री,ज्ञानू सिंह,ओम श्रेष्ठ,पवन कुमार श्रेष्ठ और महिला समिति की सुमित्रा प्रधान,पुष्पा सिंह, परजू पौडेल आदि उपस्थित थे.नेपाली समुदाय में दरखाने उत्सव हरतालिका तीज से दो दिन पहले मनाया जाता है. इसे समुदाय के लोग मिलजुल कर मनाते हैं. पारंपरिक नृत्य-संगीत पेश करते हैं और एक-दूसरे को दरखाने की बधाई देते हैं.
तीज व्रत में सेल रोटी खाने की है परंपरा
हरियाली तीज व्रत में सुहागिन महिलाएं सेल रोटी का सेवन करती हैं है. सेल रोटी मैदा, चीनी और चावल से बनायी जाती है. इसके साथ काले चने, आलू की सब्जी और हरी मिर्च के साथ अन्य कई तरह के व्यंजन भी होते हैं.
सोलह शृंगार करती हैं तीज व्रत करने वाली सुहागिनें
लक्ष्मीनारायण मंदिर की पुष्पा सिंह ने बताया कि यह व्रत विशेष कर सुहागिनें अपने जीवनसाथी की दीर्घायु के लिए करती हैं. साथ ही भगवान से परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. इस दिन आत्माशुद्धि के लिए सुहागिनें मंदिर में जाती हैं. इस दिन लाल रंग के वस्त्र पहनने की परंपरा है. लाल रंग शक्ति का प्रतीक है. लाल रंग का परिधान दुल्हनें इस्तेमाल करती हैं. तीज के दिन सुहागिनें आभूषण व सोलह शृंगार करती हैं. नाचती, गाती व जश्न मनाती हैं.
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