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गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पेड सीट की व्यवस्था शुरू होने से पहले ही हुई समाप्त, नए कुलपति ने छात्रों की मांग मानी

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में हर पाठ्यक्रम में कुल सीटों के सापेक्ष 10% सीटों पर अतिरिक्त धनराशि लेकर प्रवेश लेने की व्यवस्था समाप्त कर दी गई है. इस सत्र में इसे लागू होना था. लेकिन लागू होने से पहले ही इसे समाप्त कर दिया गया.

Gorakhpur: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय में पेड सीट की व्यवस्था को बंद कर दिया है. विश्वविद्यालय प्रशासन में थर्ड पाठ्यक्रम में कुल सीटों के सापेक्ष 10% सीटों पर अतिरिक्त धनराशि लेकर प्रवेश लेने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है. यानी विश्वविद्यालय की पेड सीट पर प्रवेश की व्यवस्था शुरू होने से पहले ही समाप्त हो गई हैं. विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.राजेश सिंह ने इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए पहल शुरू की थी. लेकिन वो अभी तक लागू नहीं हो पाया था.

पूर्व कुलपति ने लागू किया था यह फार्मूला

अब इन अतिरिक्त सीटों पर प्रवेश तो होगा लेकिन नियमित सीट के निर्धारित शुल्क लेकर के ही विद्यार्थियों को इन अतिरिक्त सीटों पर प्रवेश के लिए नियमित सीट के निर्धारित शुल्क का दोगुना या तीन गुना शुल्क नहीं देना होगा. इस निर्णय से सीटों में 10% की बढ़ोतरी भी हो गई है. गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर राजेश सिंह सभी लोकप्रिय पाठ्यक्रमों के लिए निर्धारित सीटों के सापेक्ष 10% अतिरिक्त सीट पर पेड सीट फार्मूला लागू किया था. पेड सीट पर नियमित सीट से दो या तीन गुना फीस लेने का निर्णय लिया गया था. जो इस नए सत्र से लागू होना था.

लेकिन इसी बीच कुलपति के बदले जाने से अभ्यर्थियों में पेड सीटों की व्यवस्था को समाप्त करने और सीटों की वृद्धि करने की मांग उठाई. नई कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने विद्यार्थियों की मांग पर विचार करने के लिए अधिष्टताओं की समिति गठित कर दी. समिति विचार विमर्श कर पेड सीट व्यवस्था समाप्त करने की सिफारिश दी.जिसे कुलपति ने मंजूर कर लिया. 10% सीटों की बढ़ोतरी का विश्वविद्यालय प्रशासन का यह निर्णय वर्तमान शैक्षणिक सत्र में केवल एक विषय पाठ्यक्रम पर ही लागू होगा.

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इन कोर्स में लागू नहीं किया जा सकेगा

एक से अधिक विषयों वाले पाठ्यक्रम जैसे बीए, बीएससी में इस निर्णय का वर्तमान सत्र में लागू नहीं किया जा सकेगा. क्योंकि प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाने के चलते इसमें इसे लागू करने से विषयों की आवंटन की विसंगति आएगी. फिलहाल नया पाठ्यक्रम स्नातक विधि व वाणिज्य के अलावा परास्नातक पाठ्यक्रमों पर ही लागू होगा. अब विधि इन पाठ्यक्रमों में पेड सीट के लिए आरक्षित सीटों पर भी प्रवेश ले सकेगा.

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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