West Bengal Election 2021: बंगाल में दल बदल की संस्कृति, ममता बनर्जी ने 40 से अधिक विधायकों को तृणमूल में शामिल करवाया
पश्चिम बंगाल (West Bengal Election 2021) में कभी दल-बदल (Defection) को बहुत बुरा माना जाता था. आज दल-बदल की संस्कृति बढ़ रही है. एक दशक पहले तक बंगाल में दल बदलने वालों का उपहास होता था. आज इसे बुरा नहीं माना जाता. भाजपा (BJP) पर अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाने वाली ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की तृणमूल कांग्रेस (All India Trinamool Congress) ने एक दशक के अपने शासन में 40 से अधिक विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करवाया.
West Bengal Election 2021: कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कभी दल-बदल को बहुत बुरा माना जाता था. आज दल-बदल की संस्कृति बढ़ रही है. एक दशक पहले तक बंगाल में दल बदलने वालों का उपहास होता था. आज इसे बुरा नहीं माना जाता. भाजपा पर अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाने वाली ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने एक दशक के अपने शासन में 40 से अधिक विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करवाया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पैसे का लालच और केंद्रीय जांच एजेंसियों का डर दिखाकर तृणमूल नेताओं को अपने पाले में करने के आरोपों पर भाजपा के प्रदेश दिलीप घोष ने ममता बनर्जी को आड़े हाथ लिया, तो कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने भी उन्हें नहीं बख्शा कांग्रेस व वामदलों ने तृणमूल पर राज्य में दल बदलने की संस्कृति को लाने का आरोप लगाया.
वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही कांग्रेस और वामदलों के कई नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शुरू की गयी ‘विकास की प्रक्रिया’ में भाग लेने के लिए तृणमूल का दामन थामा. अब चूंकि, तृणमूल कांग्रेस के नेता पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं, ऐसे में सत्ताधारी दल को अपनी ही कड़वी दवा का स्वाद चखना पड़ रहा है.
पिछले साल के लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी समेत तृणमूल के 15 अन्य विधायक और सांसद भाजपा में शामिल हो चुके हैं. मेदिनीपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की शनिवार को हुई रैली के दौरान राज्य सरकार में पूर्व मंत्री अधिकारी समेत 34 अन्य नेता भाजपा में शामिल हो गये थे. जिससे तृणमूल को तगड़ा झटका लगा था.
इसके जवाब में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदेश अध्यक्ष और विष्णुपुर से सांसद सौमित्र खान की पत्नी सुजाता मंडल खान, सोमवार को भाजपा का साथ छोड़कर तृणमूल में शामिल हो गयीं. एक दशक तक दार्जीलिंग में भाजपा का समर्थन करने वाले गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के बिमल गुरुंग ने आगामी चुनाव में तृणमूल कांग्रेस का साथ देने का फैसला लिया है.
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नाम उजागर न करने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी को ‘आया राम गया राम’ की संस्कृति को बढ़ावा नहीं देना चाहिए था. उन्होंने कहा, ‘हमारी पार्टी द्वारा कांग्रेस और वामदलों से ढेर सारे विधायकों को अपने दल में शामिल करना गलत था. वह अनैतिक राजनीति थी और हमें ऐसा नहीं करना चाहिए था. कभी-कभी अपने समर्थन का आधार बढ़ाने के लिए आपको ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं, जो आगे जाकर आपको प्रभावित करते हैं.’
पश्चिम बंगाल जैसे राज्य में जहां नेता की पहचान विचारधारा से होती थी, पार्टी छोड़ देने की घटनाएं दुर्लभ थीं. तृणमूल और भाजपा के सूत्रों के अनुसार, दोनों पार्टियों से अभी और नेता पाला बदलते नजर आयेंगे. हालांकि, तृणमूल का कहना है कि पार्टी छोड़ने वाले विधायक ‘गद्दार’ हैं, लेकिन विपक्षी दलों और राजनीति के विशेषज्ञों का मानना है कि तृणमूल ने वही काटा है, जो उसने बोया था.
तृणमूल का भी एक वर्ग इससे सहमत है. पार्टी के सांसद सुखेंदु शेखर रॉय कहते हैं कि ऐसी कोई भी पार्टी नहीं है, जो ‘आया राम गया राम’ की संस्कृति से मुक्त हो. उन्होंने कहा कि यह भारत की राजनीति की वास्तविकता है. उन्होंने भाजपा पर तृणमूल सांसदों को धमकाने का भी आरोप लगाया. तृणमूल की दल बदलने की संस्कृति का मजाक उड़ाते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि तृणमूल को इस पर ज्ञान नहीं देना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘दल बदलने की संस्कृति पर बात करने वाली तृणमूल अंतिम पार्टी होगी. पिछले 10 सालों में तृणमूल ने पैसे और बाहुबल के प्रयोग से 40 से ज्यादा विधायकों को अपने पाले में किया है. क्या यह लोकतांत्रिक तरीके से किया गया है? तृणमूल को पहले इसका जवाब देना होगा, इसके बाद हमें ज्ञान दें.’ विपक्षी दल कांग्रेस और वामपंथी पार्टियों ने तृणमूल पर राज्य में दल बदलने की संस्कृति को लाने का आरोप लगाया है.
Posted By : Mithilesh Jha