16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ देने की फिर से उठी मांग

दिल्ली : पूर्व और वर्तमान हॉकी खिलाड़ियों ने दिग्गज मेजर ध्यानचंद (Major Dhyanchand) को उनके 115वें जन्मदिन से पूर्व देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) देने की मांग की है. राष्ट्रीय खेल दिवस से पहले गुरबख्श सिंह, हरविंदर सिंह, अशोक कुमार और वर्तमान खिलाड़ी युवराज वाल्मिकी ने शनिवार को इस महान खिलाड़ी के जीवन और करियर का लेकर वर्चुअल चर्चा में हिस्सा लिया.

दिल्ली : पूर्व और वर्तमान हॉकी खिलाड़ियों ने दिग्गज मेजर ध्यानचंद (Major Dhyanchand) को उनके 115वें जन्मदिन से पूर्व देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (Bharat Ratna) देने की मांग की है. राष्ट्रीय खेल दिवस से पहले गुरबख्श सिंह, हरविंदर सिंह, अशोक कुमार और वर्तमान खिलाड़ी युवराज वाल्मिकी ने शनिवार को इस महान खिलाड़ी के जीवन और करियर का लेकर वर्चुअल चर्चा में हिस्सा लिया.

राष्ट्रीय खेल दिवस ध्यानचंद के जन्मदिन 29 अगस्त को मनाया जाता है. यह चर्चा उस डिजीटल अभियान का हिस्सा थी जिसे मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न देने की मांग को लेकर पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरव गांगुली, अभिनेता बाबुशान मोहंती और राचेल व्हाइट ने पिछले साल शुरू किया था.

अर्जुन पुरस्कार विजेता गुरबख्श सिंह ने कहा, ‘ध्यानचंद हमारे लिए भगवान थे. हम भाग्यशाली थे कि हमने उनके साथ पूर्वी अफ्रीका और यूरोप का एक महीने का दौरा किया था. उस तरह का भला इंसान ढूंढना मुश्किल होता है. वह संपूर्ण खिलाड़ी थे.’ हरिंदर सिंह ने ध्यानचंद के बारे में कहा, ‘मैं दादा का बहुत सम्मान करता हूं. मेरा 100 मीटर में सर्वश्रेष्ठ समय 10.8 सेकेंड था इसलिए मुझे अपनी गति का फायदा मिलता है.

Also Read: एमएस धौनी ने फिर जीता फैंस का दिल, इकॉनमी क्लास के पैसेंजर से बदली अपनी बिजनेस क्लास की सीट, ये था कारण

उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे गेंद को अपने आगे रखना चाहिए. इससे उसे आगे ले जाने में मदद मिलेगी लेकिन मुझे नियंत्रण भी बनाये रखना होगा. मैंने इसे गुरुमंत्र के तौर पर लिया और इसका काफी अभ्यास किया था.’ अर्जुन पुरस्कार विजेता और ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार ने अपने पिताजी के बारे में कुछ नयी बातें बतायी.

अशोक ने कहा, ‘उन्होंने मुझे और मेरे बड़े भाई को हॉकी खेलने से रोक दिया था. हमें बाद में अहसास हुआ कि इसका कारण उनकी इस खेल में वित्तीय प्रोत्साहन की कमी को लेकर चिंता थी.’ जर्मन लीग में खेलने वाले वाल्मिकी ने ध्यानचंद के प्रभाव के बारे में कहा, ‘भारत में हॉकी और मेजर ध्यानचंद पर्याय हैं. यहां तक कि 100 साल बाद भी ऐसा ही रहेगा. यह मेरे लिए सबसे बड़ा गर्व है. जब मैं जर्मनी में खेलता था तो हर कोई मुझसे कहता कि मैं मेजर ध्यानचंद के देश से आया हूं.’

Posted By: Amlesh Nandan Sinha.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें