जानिये क्यों काशी के गंगाघाट की मिट्टी से बनीं मूर्तियों की मांग रहती है देश-विदेश में

वाराणसी में बनने वाले इन मूर्तियों की डिमांड पूर्वांचल के अलावा दिल्ली, मुंबई और बिहार के साथ ही नेपाल तक है. इन मूर्तियों की कीमत 25 रुपये से लेकर 2500 तक की है...

By Prabhat Khabar News Desk | October 29, 2021 9:34 AM

Varanasi Diwali News : दीपावली पर्व के नजदीक आते ही बाजारों में लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां बिकनी शुरू हो गई हैं. वाराणसी आध्यात्म की नगरी है. इसलिए यहां पूजा और पर्व का विधान भी अलग है. यहां की मिट्टी से ही भक्ति की खुशबू आती है. दीपावली के लिए तैयार की जाने वाली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां शुद्ध गंगा की मिट्टी और सिंदूर से बनाई जाती है. वाराणसी में बनने वाले इन मूर्तियों की डिमांड पूर्वांचल के अलावा दिल्ली, मुंबई और बिहार के साथ ही नेपाल तक है. इन मूर्तियों की कीमत 25 रुपये से लेकर 2500 तक की है.

वाराणसी में दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी के पूजन का विधान है. घरों से लेकर दुकानों तक इस दिन गणेश लक्ष्मी की पूजा होती है. ऐसे में धर्म की नगरी काशी में दीपवाली के लिए गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमा को खास तरह से तैयार किया जाता है. इन मूर्तियों को गंगा की शुद्ध मिट्टी और सिंदूर से तैयार किया जाता है. इनकी डिमांड बाज़ार में बहुत तेजी से होती है. यूपी के अलग-अलग जिलों के अलावा कोलकाता, मुंबई, दिल्ली, बिहार सहित नेपाल तक इन मूर्तियों की डिमांड है.

जानिये क्यों काशी के गंगाघाट की मिट्टी से बनीं मूर्तियों की मांग रहती है देश-विदेश में 3

मूर्तिकार स्नेहलता प्रजापति ने कहा कि यह मूर्ति एक बार में बनकर तैयार नहीं होती हैं. काफ़ी लंबा समय लगता है. कम से कम 100 बार इसको उठाना पड़ता है तब जाकर यह मूर्ति बनती हैं. इसे जनवरी या मार्च से ही बनाना शुरू कर देते हैं हम लोग क्योंकि इसमें काफ़ी वक्त लगता है. इस मूर्ति की खासियत यह है कि यह औरतों द्वारा लगाने वाले पीले सिंदूर से बनता है. इसलिए वाराणसी में इसकी खास डिमांड रहती है.

जानिये क्यों काशी के गंगाघाट की मिट्टी से बनीं मूर्तियों की मांग रहती है देश-विदेश में 4

मूर्तिकार अशोक कुमार प्रजापति का भी यही कहना है कि यह शुद्ध गंगाघाटों से लाई गई मिट्टी से निर्मित होता है. बनारस के अस्सी घाट पर से इस मूर्ति को बनाने के लिए मिट्टी लेकर आते हैं. हमलोग के परिवार में कम से कम तीन पीढ़ियों से यह मूर्ति बनाने की परंपरा चल रही हैं. इसको बनाने में बहुत मेहनत लगती हैं. कभी मिट्टी मिलती हैं कभी नहीं मिलती यह समस्या भी कभी कभी होती हैं. यह मूर्ति सिर्फ बनारस में ही मिलती है. इसलिए इसकी डिमांड पूर्वांचल समेत आस-पास के अन्य जिलों में भी होती है. इस मूर्ति की कीमत 25 रुपये से 25 सौ रुपये तक होती है.

Also Read: UP News: सीएम योगी ने दीपावली मेला का किया शुभारंभ, बोले- ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए ‘वोकल फॉर लोकल’ जरूरी

रिपोर्ट : विपिन सिंह

Next Article

Exit mobile version