अलीगढ़: संगोल को अयोध्या के राममंदिर में स्थापित करने की मांग, बौद्ध महासभा करेगा जंतर मंतर पर प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री और राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम आनंद ने संसद भवन में रखें संगोल को अयोध्या के राम मंदिर में रखने की मांग की है. अलीगढ़ में एक निजी होटल में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि संगोल लोकतंत्र का प्रतीक नहीं है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्य मंत्री और राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम आनंद ने संसद भवन में रखें संगोल को अयोध्या के राम मंदिर में रखने की मांग की है. गुरुवार को अलीगढ़ में एक निजी होटल में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि संगोल लोकतंत्र का प्रतीक नहीं है. उन्होंने कहा कि 28 मई को जब यह नए संसद भवन में रखा गया था तो यह बताया गया था कि दक्षिण भारत के चोल राजा इसे रखते थे. संगोल का इतिहास बहुत शानदार नहीं है, बल्कि डार्कनेस और पराजय का इतिहास है. वर्तमान सरकार की संगोल में आस्था है और लोकतंत्र के मंदिर में स्थापित किया है. पूर्व राज्य मंत्री ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ा खतरा है, क्योंकि लोकतंत्र संविधान से चलता है. संविधान के विपरीत अगर संगोल रखना चाहते हैं, तो इस देश को राजतंत्र में ले जाना चाहते हैं. जहां न कोर्ट होती थी, न कचहरी होती थी, न जज होता था. यह बहुत बड़ा खतरा है और इसे तत्काल नए संसद भवन से हटाया जाना चाहिए.
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संगोल को अयोध्या के राम मंदिर में करें स्थापित
पूर्व राज्य मंत्री राजाराम आनंद ने कहा कि अगर वर्तमान सरकार की संगोल में आस्था है, तो इसे और अच्छी जगह रख सकते हैं. संगोल को अयोध्या के राम मंदिर में स्थापित कर सकते हैं. अगर अयोध्या में भी उचित न लगे तो, संघ के कार्यालय में स्थापित किया जा सकता है. यहां कोई खतरा नहीं है. जिसको संगोल का दर्शन करना होगा. वह नागपुर चला जायेगा. उन्होंने कहा की अयोध्या भी आस्था की जगह है. वहां पर संगोल रखा जाना चाहिए, लेकिन लोकतंत्र के मंदिर में संगोल के लिए उचित जगह नहीं है. वहां संविधान ही होना चाहिए.
बौद्ध धर्म का अपना पर्सनल ला बोर्ड बोना चाहिए
पूर्व राज्य मंत्री राजाराम आनंद ने कहा कि बौद्ध धर्म का अपना कोई पर्सनल ला बोर्ड नहीं है. संविधान में धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर अनुच्छेद लिखे गए हैं. सिखों का भी नहीं था. लेकिन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय सिक्खों ने अपना कानून बनाया. उन्होंने कहा कि सभी धर्म का जब अपना पर्सनल लॉ है, तो बौद्ध धर्म का भी अपना पर्सनल लॉ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म की एक बड़ी आबादी है. कभी बिहार में 10 हजार बौद्ध धर्म के लोग सूचीबद्ध किये गये थे, लेकिन अभी जनगणना हुई तो उसमें बौद्ध धर्म मानने वालों की संख्या लाखों में पहुंच गई है. यूपी में भी बौद्ध धर्म मानने वालों की संख्या करोड़ों में होगी. उन्होंने कहा कि पूरे देश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. संख्या सब की गिनी जानी चाहिए. जब पेड़ों, जानवरों, पशुओं की संख्या मालूम है तो जातीय गणना भी होनी चाहिए. सवर्णों की भी गिनती होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के पास सारे संसाधनों पर कब्जा है. राष्ट्रीय बौद्ध सभा ने सामान नागरिक संहिता को भी समाप्त किए जाने की मांग की है.
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आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन से मांगा इस्तीफा
वही राष्ट्रीय बौद्ध महासभा ने आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देव राय से इस्तीफे की मांग की है. राजाराम आनंद ने कहा कि आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष 15 अगस्त को कहते हैं कि संविधान बदल देना चाहिए. वहीं, सरकार इनको सपोर्ट कर रही है. सरकार को विवेक देव राय के खिलाफ पद से हटाकर मुकदमा करना चाहिए था.
26 नवम्बर को 30 राज्यों के लोग जतंर मंतर पर करेंगे प्रदर्शन
राष्ट्रीय बौद्ध महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम आनंद ने बताया कि 26 नवंबर को जंतर मंतर पर आठ सूत्री मांगों को लेकर प्रदर्शन किया जाएगा. जिसमें 30 राज्यों के प्रतिनिधि पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि जंतर मंतर पर जम्मू कश्मीर से लेकर अंडमान निकोबार दीप समूह के लोग पहुंचेंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को चौकन्ना करना है कि लोकतंत्र में आप वह काम नहीं कर सकते, जो एक राजा राजतंत्र में करता है .