Darul Uloom: देवबंद दारुल उलूम ने अंग्रेजी पढ़ने पर लगाया प्रतिबंध, नियम नहीं माने तो छात्र का होगा निष्कासन
दारुल उलूम द्वारा जारी हुए इस फरमान का सोशल मीडिया पर खूब विरोध हुआ. फिर संस्थान ने सफाई देते हुए कहा कि फरमान उन छात्रों के लिए जारी किया गया है जो दारुल उलूम में दीनी तालीम लेते हैं लेकिन बाहर कंप्यूटर और अंग्रेजी सीखने के लिए जाते हैं.
सहारनपुरः उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित देवबंद दारूल उलूम का नया फरमान फिर से विवादों में आ गया है. जारी हुए इस फरमान में यह कहा गया है कि दीनी तालीम के दौरान उर्दू, अरबी और फारसी के अलावा किसी और भाषा मुख्यतः अंग्रेजी की शिक्षा न ली जाए. इस फरमान में यह चेतावनी दी गई है कि अगर कोई छात्र दीनी तालीम के दौरान यदि अंग्रेजी आदि भाषा सीखते हुए पाया जाता है. तो उसका दाखिला रद्द कर दिया जाएगा.
दारुल उलूम द्वारा जारी हुए इस फरमान का सोशल मीडिया पर खूब विरोध हुआ. फिर संस्थान ने सफाई देते हुए कहा कि फरमान उन छात्रों के लिए जारी किया गया है. जो दारुल उलूम में दीनी तालीम लेते हैं लेकिन बाहर कंप्यूटर और अंग्रेजी सीखने के लिए जाते हैं.
राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने क्या
जारी हुए फरमान में दारुल उलूम ने कहा था कि यहां दीनी तालीम के दौरान तलबा को अंग्रेजी आदि दीगर तालीम से दूर रहना होगा. यदि कोई छात्र इसमें संलिप्त पाया जाता है तो उसका निष्कासन कर दिया जाएगा. यहां कई ऐसे छात्र थे जो दीनी तालीम तो दारुल उलूम से हासिल करते थे और बाहर अंग्रेजी और कंप्यूटर की कक्षाएं भी करते थे. यह चेतावनी ऐसे छात्रों को ही दी गई है. इसके साथ ही कक्षा में अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के लिए भी चेतावनी जारी की गई है.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का इस विषय में कहना है कि दारुल उलूम इंग्लिश या फिर कंप्यूटर की शिक्षा का विरोध नहीं करता बल्कि यहां तो इनके विभाग हैं, जिसमें इसकी तालीम हासिल की जा सकती है. लेकिन छात्र पहले आलिम-ए-दीन बनें और फिर उसके बाद डॉक्टर, इंजिनियर या वकील बनें.