लोहरदगा, संजय कुमार : देसी टेक्नोलॉजी से तैयार किया गया एक ऐसी चार पहिया वाहन हाल के दिनों में लोहरदगा जिले की सड़कों पर फर्राटे के साथ दौड़ लगा रही है. इस वाहन का दिलचस्प पहलू यह है कि आमतौर पर अन्य कार बनाने वाली ब्रांडेड कंपनी की तुलना में इस चार पहिया वाली वाहन में भी एक ड्राइविंग सीट और स्टेयरिंग व गियर के साथ-साथ एक्सलेटर है, जो अन्य किसी भी ऑटो की स्पीड से इस वाहन का स्पीड कम नहीं है. बावजूद ग्रामीण देशी जुगाड़ू टेक्नोलॉजी से बनाए गए इस वाहन में ना तो नम्बर प्लेट की आवश्यकता है और न ही इंजन नंबर व चेचिस नंबर की जरूरत.
इसके साथ ही किसी भी जिले के परिवहन विभाग में निबंधित कराने की ही आवश्यकता नहीं है. बस वाहन खरीदें और धड़ल्ले के साथ वाहनों को सड़कों पर दौड़ाए. धीरे-धीरे ऐसे वाहनों की संख्या में जिले में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. फिलहाल पांच दर्जन से अधिक ऐसे वाहन लोहरदगा की सड़कों पर दौड़ लगा रही है. और इन सभी वाहनों का उपयोग व्यवसायिक रूप में किया जा रहा है. इससे कहीं न कहीं सरकार को परिवहन विभाग से प्राप्त होने वाली राजस्व के रूप में बड़ी राशि का नुकसान हो रहा है. बावजूद इस दिशा में अभी तक न तो प्रशासन और नही सरकार ने ही संज्ञान लिया है.
यहां उलेखनीय हो कि डीजल इंजन से चलने वाली इस चार चक्के वाली वाहन उत्तर प्रदेश से मंगाया जा रहा है. जिसका इस्तेमाल गन्ने के जूस निकालने में की जा रही हैं. इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि यूपी में यह वाहन एक लाख 60 हजार में मिलता हैं. औए इस वाहन को ट्रकों के माध्यम से मांगने पर 10 से 15 हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च पड़ता हैं. यानी कुल खर्च तकरीबन पौने दो लाख आता है. और उसके बाद वाहनों के रजिस्ट्रेशन तथा अन्य टैक्स अदा करने से भी हमेशा के लिए निजात मिलता है. इस व्यवसाय से जुड़े वाहन चालकों ने बताया कि लोहरदगा जिला के अलावा झारखंड के विभिन्न जिलों में भी गन्ने के जूस निकालने में वाहनों का उपयोग किया जा रहा है.