Jharkhand News (पीयूष तिवारी, गढ़वा) : एक तरफ जहां गढ़वा जिले में मनरेगा से प्रतिवर्ष सैकड़ों एकड़ जमीन का समतलीकरण कर उसे खेती योग्य बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग के पास जोत का आंकड़ा करीब 10 साल से स्थिर बना हुआ है.
विभागों के आपस में समन्वय के अभाव में दस्तावेजों में खेती योग्य जमीन का आंकड़ा नहीं बढ़ रहा है. इस वजह से उस हिसाब से गढ़वा जिले में किसानों को खाद, बीज, कृषि यंत्र आदि का लाभ नहीं मिल पा रहा है. पुराने आंकड़े के हिसाब से ही जिला कृषि विभाग जिले में किसान और खेती योग्य जमीन के लिए सुविधाओं की मांग करता है और उसे राज्य व केंद्र सरकार की ओर से मदद मिलती है.
वर्तमान में कृषि विभाग के आंकड़े के अनुसार, गढ़वा जिले का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 4,22,540 हेक्टेयर है. इसमें खेती योग्य भूमि मात्र 1,84,677.91 हेक्टेयर है, लेकिन खेती मात्र 1,48,112 हेक्टेयर में ही होती है. खेती के लिए भूमि के हिसाब से ही जिला कृषि विभाग अपनी खेती से संबंधित रिपोर्ट तैयार करता है.
लेकिन, यदि इसमें हाल के दिनों में मनरेगा से योजना लेकर ग्रामीणों व किसानों द्वारा तैयार किये गये जमीन (समतलीकरण व मेड़बंधी) के आंकड़े को शामिल किया जाये, तो खेती योग्य जमीन का रकबा वर्तमान रकबा से काफी बढ़ जायेगा. लेकिन, कृषि विभाग अपने दस्तावेजों में इसे शामिल करने की जहमत नहीं उठा रहा है.
सरकारी आंकड़े के हिसाब से जिले में मनरेगा से वित्तीय साल 2019-20 में भूमि समतलीकरण की 2490 योजनाएं ली गयी थी, जबकि 2020-21 में 126 योजनाएं एवं वर्तमान वित्तीय साल 2021-22 में 45 योजनाएं ली गयी है. यद्यपि इसमें से सभी योजनाएं पूरी नहीं हो सकी है. उल्लेखनीय है कि भूमि समतलीकरण योजना से उबड़-खाबड़ व ऊंची-नीची जमीन को तैयार कर समतल व खेती लायक बनाया जाता है. लेकिन, कृषि विभाग इसे अपने दस्तावेज में शामिल नहीं कर सकी है.
जिले में मनरेगा, भूमि संरक्षण विभाग, लघु सिंचाई विभाग आदि के माध्यम से जिले में सिंचित क्षेत्र बढ़ाने की योजनाएं ली जाती है. इसमें कूप निर्माण, डोभा निर्माण, तालाब, आहर, डीप बोर, छोटे चेकडैम आदि की योजनाएं शामिल है. लेकिन, सिंचित क्षेत्रों का क्षेत्रफल भी कृषि विभाग के आंकड़ों में कई सालों से स्थिर है. वर्तमान में कृषि विभाग के आंकड़ों के हिसाब से सिंचित क्षेत्र का क्षेत्रफल मात्र 41812.2 हेक्टेयर ही है.
बताया गया कि विभागों के आपसी तालमेल एवं पुराने तौर-तरीके से काम करने के अभाव में कृषि विभाग को यह पता ही नहीं चल पा रहा है कि जिले में प्रतिवर्ष सिंचित क्षेत्रों की संख्या व कृषि योग्य जमीन का आंकड़ा कितनी बढ़ रहा है.
Posted By : Samir Ranjan.