Agra News: डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में ऑनलाइन आवेदन के बावजूद डिग्री के लिए छात्र-छात्राएं चक्कर काट रहे हैं. समय से डिग्री नहीं मिलने के कारण उनको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. विश्वविद्यालय में वर्ष 2015 से ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू हो गई थी, जिसके तहत छात्र-छात्राएं नामांकन संख्या, मार्कशीट, डिग्री व अन्य कागजात ऑनलाइन आवेदन कर प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की लापरवाही के चलते इस प्रक्रिया को भी बट्टा लग रहा है. ऑनलाइन आवेदन के बावजूद छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है. यहां तक की डिग्री आवेदन के क्रम अनुसार नहीं बनाई जाती. जबकि जान पहचान वालों को डिग्री जल्द ही दे दी जाती है. अगर किसी छात्र को विश्वविद्यालय से अपनी डिग्री लेनी है तो क्या प्रक्रिया है और कितने समय में ये पूरी हो जानी चाहिए, कहने को इसकी पूरी व्यवस्था है, लेकिन विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से इस प्रक्रिया में काफी समय लग रह है.
किसी विद्यार्थी को स्नातक या परास्नातक की डिग्री लेनी है तो सर्वप्रथम उसे डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना पड़ेगा. इसके बाद डिग्री बनवाने के ऑप्शन का चयन करना पड़ेगा और विश्वविद्यालय द्वारा जो फीस प्रोविजनल व ओरिजिनल डिग्री के लिए तय की गई है उसे ऑनलाइन जमा करना पड़ेगा. इस ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद आपको रसीद मिल जाएगी और आपका काम शुरू हो जाएगा.
ऑनलाइन प्रक्रिया के बाद जो डॉक्यूमेंट आपने ऑनलाइन जमा किए गए हैं. वह सर्वप्रथम विश्वविद्यालय के नामांकन विभाग में जाएंगे. जहां छात्र-छात्रा की नामांकन संख्या का सत्यापन होगा. इसके सही होने पर डिग्री संबंधित विभाग में जाएगी. और सभी मार्कशीट का वेरिफिकेशन होगा. अगर यहां भी सब कुछ सही निकला तो डिग्री को प्रिंट कर लिया जाएगा और एक बार फिर से यह डिग्री विभाग में चली जाएगी. जहां वेरिफिकेशन होने के बाद डिग्री को ओएस के पास भेजा जाएगा. और उनके द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. ओएस के हस्ताक्षर होने के बाद आपकी डिग्री को डाक से डिस्पैच कर दिया जाएगा. और करीब 45 दिन के अंदर आपकी डिग्री संबंधित छात्र या छात्रा के घर पहुंच जानी चाहिए.
विश्वविद्यालय में डिग्री तैयार होने का करीब 15 से 20 दिन का समय होता है, लेकिन रोजाना तमाम छात्र डिग्री के लिए विश्वविद्यालय के चक्कर काटते नजर आते हैं. कई छात्र तो ऐसे होते हैं, जिनकी डिग्री सालों से विश्वविद्यालय में अटकी पड़ी है. जबकि वह लोग कई बार इसके लिए आवेदन भी कर चुके होते हैं.
विश्वविद्यालय में ऑनलाइन आवेदन होने के बावजूद डिग्री क्रमानुसार नहीं बनाई जाती हैं. अगर किसी छात्र-छात्रा की कोई जान पहचान है तो उसकी डिग्री को जल्दी ही प्रिंट करा कर डिस्पैच करा दिया जाता है. भले ही अन्य छात्रों के बाद उसने डिग्री के लिए आवेदन किया हो. विश्वविद्यालय ने अभी तक डिग्री के कार्य को कम अनुसार करने की कोशिश भी नहीं की है.
सूत्रों की मानें तो विश्वविद्यालय में सुविधा शुल्क देने वाले छात्र-छात्राओं की डिग्री आसानी से बना कर दे दी जाती है, लेकिन अगर आप सुविधा शुल्क नहीं देते तो आपको विश्वविद्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ेगा. हालांकि कई बार छात्र-छात्राओं द्वारा डिग्री के लिए आवश्यकता अनुसार कागजात ऑनलाइन अपलोड नहीं किए जाते. इसकी वजह से भी कई डिग्री विभाग में ही फंसी रह जाती हैं. हालांकि विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर ओमप्रकाश का कहना है कि ऑनलाइन आवेदन के बाद डिग्री समय पर प्रिंट कराई जा रही है. वहीं महाविद्यालयों को हजारों की संख्या में डिग्री कैंप लगाकर वितरित कर दी गई है. इसके साथ ही ऑनलाइन प्रक्रिया को और ज्यादा व्यवस्थित किया जा रहा है, जिससे कि तय समय में छात्र-छात्राओं को उनके कागजात मिल सकें.