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हमने सरकार से कभी भी देव आनंद के लिए किसी खास सम्मान को देने की गुजारिश नहीं की है,बेटे सुनील ने ऐसा क्यों कहा

देव आनंद की जन्मशताब्दी आज मनायी जा रही है. उनके बेटे सुनील आनंद ने अपने पिता को यादकर बताया कि, मुझे याद है कि हम नवकेतन के ऑफिस में केक काटते थे और सबको बांटते थे. ऑफिस के बाहर लगभग एक किलोमीटर की लम्बी लाइन उनके प्रसंशकों की लगती थी.

Dev Anand 100th Birth Anniversary: लीजेंड एक्टर देव आनंद की जन्मशताब्दी आज मनायी जा रही है. उनके बेटे सुनील आनंद अपने पिता को एक संस्थान करार देते हैं, जिन्होंने उन्हें ही नहीं पूरी दुनिया के सिनेमाप्रेमियों को कई खास यादें दी हैं. जो आनेवाले कई दशकों तक दर्शकों को लुभाता रहेगा. देव आनंद की जन्मशताब्दी पर उनके बेटे सुनील आनंद से हुई उर्मिला कोरी की खास बातचीत.

उनके जन्मदिन से जुड़ी क्या खास यादें रही हैं?

मुझे याद है कि हम नवकेतन के ऑफिस में केक काटते थे और सबको बांटते थे. ऑफिस के बाहर लगभग एक किलोमीटर की लम्बी लाइन उनके प्रसंशकों की लगती थी. जिसमें गुजरात, पंजाब से लेकर केरल, तमिलनाडु से लोग आते थे. सिर्फ उनके जन्मदिन पर उन्हें शुभकामनायें देने इतनी दूर से आते थे. कई बार भीड़ को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता था. पुलिस की मदद लेनी पडती थी हालांकि डैड को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं था. वे अपने फैन्स को बहुत चाहते थे इसलिए वह इस बात की कोशिश करते कि कम से कम कुछ सेकेंडस के लिए ही सही वह सबसे मिल लें. मैं इस याद के साथ उनके आखिरी जन्मदिन की भी एक बात शेयर करना चाहूंगा. उनके 88 बर्थडे पर जन्मदिन के एक रात पहले उनके फ़ोन में कुछ समस्या हो गयी थी. रात 12 के बाद उन्हें विश करने के लिए उनके करीबी लोगों और दोस्तों का फोन और मैसेज आना शुरू हो गया, जिसके बाद मैं सो नहीं पाया था.

अपने जन्मदिन पर वह कुछ खास खाना पसंद करते थे?

सच कहूं तो डैड खाने के उतने शौक़ीन नहीं थे. वह पेट भरने के लिए खाने वाले लोगों में से थे. उसमें भी वह सिम्पल खाने दाल, रोटी और सब्जी को ही खाना पसंद करते थे. सब्जी में वह हरी सब्जी खाना पसंद करते थे चिकन वह मुश्किल से खाते थे, उन्हें बोलना पड़ता था कि प्रोटीन के लिए ये जरूरी है, तो वो खाते थे,वह खाने के शौक़ीन भले ही ना हो, लेकिन खाने की अहमियत को बखूबी समझते थे. वह कई बार मुंबई में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते थे. जब उनके पास खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे.

वह अपने दौर के स्टाइलिस्ट एक्टर रहे हैं, बर्थडे पर वह कुछ खास खरी थे?

डैड अपने दौर के फैशन आइकॉन थे. उन्हें पता था कि वह सुपरस्टार हैं, तो उन्हें खुद को उसी ढंग से प्रस्तुत करना पड़ेगा. वह अपने लुक्स का बहुत ख्याल रखते थे. वे अक्सर से अपने जूतों, स्कार्फ और घड़ियों की शॉपिंग करते थे. पेरिस तो वह खासकर शॉपिंग के लिए जाते थे. अपने कपड़ों का भी चयन वही करते थे. हेयरस्टाइल का भी. वे एकलौते ऐसे स्टार थे जिन्होने पफ हेयर स्टाइल का फैशन शुरू किया था फिर बालों को माथे पर गिराकर जो उस वक़्त के नौजवानों में काफी प्रसिद्ध था.

अपने पिता के साथ आपकी सबसे खास यादें क्या रही हैं?

उनके साथ ट्रैवेलिंग करना मुझे बहुत पसंद था. उस दौरान वह अपनी जिंदगी से जुड़ी कई खास बातें शेयर करते थे.निर्देशक के तौर पर हमेशा कोई अनदेखा लोकेशन वह अपनी फिल्मों में दिखाना चाहते थे. उसकी रेकी के लिए वह अलग से कई सप्ताह निकालते थे. जहां मैं उनके साथ होता था. पिता ने यशराज फिल्म्स से पहले स्विट्ज़रलैंड में अपने फ़िल्म की शूटिंग की थी. मैं बताना चाहूंगा कि रेकी के दौरान कई बार लोगों को मालूम पड़ जाता था और होटल के बाहर भीड़ जुट जाती थी.

आपके पिता ने सफलता के साथ साथ असफलता भी देखी है क्या वह उन्हें परेशान करती थी ?

उनकी सोच योगी जैसी थी लेकिन थे, तो इंसान ही वह भी परेशान होते थे, जिस फिल्म को आप अपनी इतनी मेहनत और समर्पण देते हैं वह नहीं चलती है तो बुरा लगता है .ऐसे में डैड खुद को एक कमरे में बंद कर अकेला कुछ समय के लिए रख लेते थे लेकिन एक दो दिन में सब भूलकर वह फिर से काम में जुट जाते थे.काम ही उनकी सबसे बड़ी ख़ुशी थी वह छुट्टी लेना बिल्कुल पसंद नहीं करते थे और दूसरों को भी नहीं लेने की सलाह देते थे.

नवकेतन बैनर को लेकर आगे की योजना क्या है?

हम डैड की कई फिल्मों को टेक्निक्ली रिवाइव कर रहे है. गाइड और हमदोनों को हमने रंगीन और 4 के में रिस्टोर कर रिलीज किया है. उनकी दूसरी कई फिल्मों को भी 4 के में रिस्टोर करने की तैयारी है. इसके साथ ही नवकेतन बैनर के तले जल्द ही एक नयी फ़िल्म की भी योजना है. यह फ़िल्म हॉलीवुड और बॉलीवुड के मेल से बनने वाली है. डैड की तरह मैं भी फ़िल्म में अभिनय के साथ – साथ निर्देशन की जिम्मेदारी निभाउंगा.

बीते दिनों खबरें आयी थी कि देव आनंद का जुहू स्थित बंगला बिकने वाला है?

मैं आपके अखबार के माध्यम से इस खबर का खंडन करना चाहूंगा. मेरे डैड मेरे लिए एक धरोहर की तरह हैं और उनसे जुडी हर चीज मेरे लिए खास है.जिसे मैं हमेशा संभाल कर रखना चाहूंगा.

यह सिनेमा के लीजेंड देव आनंद की जन्मशताब्दी है क्या सरकार की तरफ से अपने पिता के लिए कुछ खास सम्मान की उम्मीद है?

हमने कभी भी ऐसा कुछ मांगा नहीं है, अगर सरकार इस खास मौके पर कुछ सम्मान डैड को देगी, तो हमें ख़ुशी होंगी और अगर नहीं भी देगी, तो मुझे कोई शिकायत नहीं होंगीय पूरा भारत डैड की जन्मशताब्दी मना रहा हैय खास उनके जन्मदिन पर देश भर के थिएटर्स में उनकी फ़िल्में दिखायी जा रही हैं. छह दशक से भी ज़्यादा समय से लोगों का इतना प्यार उन्हें मिला हैय वही सबसे बड़ी चीज है.

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