झारखंड: धालभूमगढ़ में नहीं बनेगा एयरपोर्ट, केंद्र सरकार ने रद्द किया प्रस्ताव, क्या बोले विधायक रामदास सोरेन ?

पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ान के तहत जमशेदपुर में टाटा स्टील के स्वामित्व वाले सोनारी हवाई अड्डा से उड़ानों का संचालन शुरू हो चुका है. धालभूमगढ़ में द्वितीय विश्वयुद्ध का परित्यक्त हवाई अड्डा है, जो जर्जर हालत में है तथा संचालन के लिए उपयुक्त नहीं है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2023 9:02 PM
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धालभूमगढ़ (पूर्वी सिंहभूम), परवेज. लंबे इंतजार के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने धालभूमगढ़ में एयरपोर्ट निर्माण के प्रस्ताव को रद्द कर दिया है. पर्यावरण संरक्षण एवं एलीफेंट कोरिडोर होने का कारण दर्शाते हुए केंद्रीय नागर विमानन एवं इस्पात मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस संबंध में 27 फरवरी को पत्र जारी कर एयरपोर्ट निर्माण के अध्याय का पटाक्षेप कर दिया. पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना उड़ान के तहत जमशेदपुर में टाटा स्टील के स्वामित्व वाले सोनारी हवाई अड्डा से उड़ानों का संचालन शुरू हो चुका है. धालभूमगढ़ में द्वितीय विश्वयुद्ध का परित्यक्त हवाई अड्डा है जो वर्तमान में जर्जर हालत में है तथा संचालन के लिए उपयुक्त नहीं है.

इस वजह से रद्द किया प्रस्ताव

धालभूमगढ़ एयरपोर्ट लिमिटेड को झारखंड में हवाई अड्डे के विकास के लिए संयुक्त उद्यम कंपनी बनाया गया था. इसके लिए राज्य सरकार को एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भार मुक्त भूमि उपलब्ध करानी थी. पर्यावरण मूल्यांकन समिति ने पाया कि प्रस्तावित स्थल जंगलों में पड़ता है तथा बड़ी संख्या में हाथियों का निवास स्थान है तथा हाथी गलियारे के रूप में जाना जाता है. प्रस्तावित स्थल हवाई अड्डे के विकास के लिए उपयुक्त नहीं है. समिति वर्तमान स्थल चयन में सहमत नहीं थी तथा वैकल्पिक स्थल का पता लगाने के लिए कहा गया था. राज्य सरकार द्वारा एएआई को कोई जमीन नहीं सौंपी गई. साथ ही वन मंजूरी भी प्राप्त नहीं हुई. एयरपोर्ट निर्माण के लिए अभी तक एक ईंट भी नहीं जोड़ी गई है. इसके कारण प्राधिकरण ने धालभूमगढ़ एयरपोर्ट लिमिटेड को बंद करने का निर्णय लिया है.

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केंद्रीय मंत्री की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने किया था भूमि पूजन

धालभूमगढ़ में द्वितीय विश्वयुद्ध काल के एयरपोर्ट को चालू करने के लिए रघुवर सरकार ने पहल की थी. एयरपोर्ट का भूमि पूजन 24 जनवरी 2019 को किया गया था. केंद्र सरकार द्वारा एयरपोर्ट के लिए 100 करोड़ की राशि भेजने के बाद भी 4 साल में एक ईंट तक नहीं जुड़ी है. राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति नहीं मिलने के कारण काम अधर में अटका हुआ था.

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विधायक रामदास सोरेन ने लगाया आरोप

विधायक रामदास सोरेन ने बयान जारी कर कहा कि 2019 में संसदीय चुनाव को देखते हुए वोट की राजनीति को लेकर भाजपा ने भूमि पूजन किया था. तब इन्हें क्या नहीं पता था कि पर्यावरण संरक्षण को धक्का पहुंचेगा और एलीफैंट कोरिडोर नष्ट होगा. 4 साल बाद इन्हें पता चला. भाजपा ऐसा कर जनता को 4 साल तक गुमराह करती रही.

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