झारखंड सरकार से पैसा नहीं मिलने पर बंद हो गयीं धनबाद की 3 राइस मिल, 2 बंदी के कगार पर

Jharkhand news, Dhanbad news : धनबाद जिला में राइस मिलों (Rice mills) की स्थिति बेहद खराब है. यहां संचालित 6 में से 3 राइस मिलें सरकार से बकाया राशि नहीं मिलने के कारण बंद हो गयी है. वहीं, 2 अन्य राइस मिल भी बंदी के कगार पर है. इसके अलावा एक अभी नया खुला है जो फिलहाल ट्रायल में चल रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2020 10:07 PM

Jharkhand news, Dhanbad news : धनबाद (संजीव झा) : धनबाद जिला में राइस मिलों (Rice mills) की स्थिति बेहद खराब है. यहां संचालित 6 में से 3 राइस मिलें सरकार से बकाया राशि नहीं मिलने के कारण बंद हो गयी है. वहीं, 2 अन्य राइस मिल भी बंदी के कगार पर है. इसके अलावा एक अभी नया खुला है जो फिलहाल ट्रायल में चल रहा है.

क्या है स्थिति

धनबाद जिला में 6 राइस मिल अब तक खुली. इसमें से प्रिया राइस मिल गोविंदपुर, हनुमान राइस मिल गोविंदपुर तथा जगदंबा एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड पंडुकी बरवाअड्डा बंद है. शिव शंभु राइस मिल तथा कल्याणी राइस मिल गोविंदपुर चल रहा है. लेकिन, इसके संचालक भी कह रहे हैं कि स्थिति नहीं बदली, तो मिल चलाना मुश्किल होगा. गोविंदपुर में ही एक नया राइस मिल खुला है कमल मिल के नाम से. यह मिल अभी ट्रायल स्टेज में है.

बताया जाता है कि सरकार द्वारा पैक्सों के माध्यम से चावल खरीदने की नीति तथा मिलों को समय पर सब्सिडी तथा मिलिंग चार्ज नहीं देने से राइस मिलों की स्थिति खराब हो गयी. यहां पर वित्तीय वर्ष 2011-12 से लेकर वित्तीय वर्ष 2019-20 तक में धान का मिलिंग चार्ज मिल संचालकों को नहीं मिला. बीच में सिर्फ वित्तीय वर्ष 2016-17 तथा 17-18 में मिलिंग चार्ज की एवज में कुछ राशि का भुगतान किया गया. चावल खरीदने वालों की संख्या घट रही.

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सूत्रों के अनुसार, सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों के लिए एक रुपये किलो चावल देने से बाजार में चावल के खरीदारों की संख्या कम हो गयी है. यही कारण है कि राइस मिल वालों को बाजार में साधारण किस्म के धान बेचने में परेशानी होती है. जो लोग चावल खरीद रहे हैं उनमें से अधिकांश की डिमांड उच्च क्वालिटी वाली चावल की होती है. यहां पर बेहद उम्दा किस्म के चावल का उत्पादन नहीं होता.

10 वर्ष बाद भी नहीं बढ़ा मिलिंग दर

मिल संचालकों का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2010-11 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल था. चालू वित्तीय वर्ष में यह दर बढ़ कर 2050 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. हर वर्ष समर्थन मूल्य में कुछ न कुछ बढ़ोतरी होती है. जबकि झारखंड में वर्ष 2010 में राइस मिलों के लिए 20 रुपये प्रति क्विंटल मिलिंग दर था. आज भी मिलिंग दर 20 रुपये प्रति क्विंटल ही है, जबकि पड़ोस के बंगाल में मिलिंग दर 60 रुपये, छत्तीसगढ़ में 80 तथा ओड़िशा में 75 रुपये प्रति क्विंटल है. यहां के मिल संचालक दूसरे राज्य में अपना व्यवसाय शिफ्ट करने लगे हैं.

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मिलिंग, ट्रांसपोर्टिंग व हैंडलिंग चार्ज का करोड़ों रुपया बकाया

मिल संचालकों ने बताया कि धानों के मिलिंग, ट्रांसपोर्टिंग एवं हैंडलिंग चार्ज के मद में राज्य सरकार पर यहां के मिलों का करोड़ों रुपया बकाया है. यहां अभी संचालित शिव शंभू तथा कल्याणी राइस मिल का ही विभाग पर एक करोड़ रुपये से अधिक बकाया है. इस वर्ष भी जिला प्रशासन की तरफ से इन्हीं दोनों राइस मिल को मिलिंग का काम दिया गया है.

सरकार से नहीं मिली सब्सिडी : कृष्ण मुरारी चौधरी

जगदंबा एग्रो फूड प्राइवेट लिमिटेड, पंडुकी बरवाअड्डा के निदेशक कृष्ण मुरारी चौधरी ने कहा कि सरकार की नीति के कारण राइस मिल बंद करना पड़ा. सरकार से सब्सिडी नहीं मिला. साथ ही सरकार से मिलिंग चार्ज एवं अन्य देय राशि का भुगतान भी समय से नहीं मिलने से परेशानी होती है. बिजली संकट तथा बिल भी अलग से परेशानी का सबब बना रहता है. राज्य सरकार को इन मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए.

मिल संचालकों से बकाये विपत्र की मांग की गयी : भोगेंद्र ठाकुर

वहीं धनबाद के जिला आपूर्ति पदाधिकारी भोगेंद्र ठाकुर ने कहा कि मिल संचालकों से बकाये विपत्र की मांग की गयी है. उसके बाद उसकी जांच होगी. फिर विभाग से राशि की मांग कर बकाये बिल का भुगतान करा दिया जायेगा.

Posted By : Samir Ranjan.

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