केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) से वरिष्ठ वैज्ञानिक पद से सेवानिवृत्त अभिजीत कुमार विश्वास (83) ने सोमवार को ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली. हीरापुर दुर्गा मंदिर के समीप भुवन संध्या अपार्टमेंट के बी-3 फ्लैट में रहनेवाले अभिजीत का शव सोमवार को बरमसिया के समीप रेलवे ट्रैक पर मिला. सिर ट्रैक के बीच में था, वहीं धड़ लाइन के किनारे पड़ा था. घटना दोपहर करीब 1.20 बजे की है. अभिजीत की जेब से एक सुसाइडल नोट मिला. जिसमें लिखा है-‘मेरी मौत के पीछे किसी का दोष नहीं है. अपनी मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं.’ सूचना मिलने पर धनबाद रेल पुलिस मौके पर पहुंची और जेब से बरामद आधार कार्ड, पैन कार्ड व सिंफर धनबाद के आइडी कार्ड से उनकी पहचान की. रेल पुलिस ने लखनऊ में रहनेवाले अभिजीत के दामाद को फोन कर घटना की सूचना दी. रेल पुलिस ने शव का पंचनामा बना उसे पोस्टमार्टम के लिए एसएनएमएमसीएच भेज दिया. रेलवे की ओर से जीआरपी को सूचना दी गयी कि धनबाद जंक्शन व डोकरा हॉल्ट के बीच किलोमीटर-269/14 पर डाउन मेन लाइन के पास एक वृद्ध व्यक्ति रनओवर हो गया है. एएसआइ अभिमन्यु सिंह स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे. दाेपहर 2.50 बजे जीआरपी के एसआइ सुधीर राम स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे.
भूलने की बीमारी से पीड़ित हैं पत्नी निभा विश्वास
गोरा दा की पत्नी निभा विश्वास एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय में जियोलॉजी विभाग की एचओडी रह चुकी है. वह बीते कुछ सालों से डिमेंशिया बीमारी से ग्रस्त हैं. उनकी बेटी दिल्ली में रहती है. वहीं दामाद लखनऊ में मेडिकल सेक्टर में एरिया मैनेजर हैं. दामाद ने गोरा दा के भाई संजय विश्वास को फाेन कर घटना की जानकारी दी. संजय कुछ लोगों के साथ गोरा दा की खोज में जुट गये. अपार्टमेंट के नीचे उनका स्कूटर मिला. ये लोग जीआरपी पहुंचे और शव की पहचान की. वहीं पर जवान ने सुसाइडल नोट परिजनों को दिखाया.
विश्वास दंपती के साथ रहते हैं बेटी के बच्चे
गोरा दा के निधन के बाद तीन भाई रह गये हैं. अपार्टमेंट के तीन फ्लोर पर सभी रहते हैं. एक भाई को छोड़ सभी सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हुए. अभिजीत के भाई पार्थो सारथी विश्वास पूर्व में मीडिया हाउस से जुड़े हुए थे. तीसरे नंबर के भाई संजय विश्वास यूको बैंक से सेवानिवृत्त हैं. वहीं चौथे नंबर के भाई शांतनु विश्वास बीएसएनएल से सेवानिवृत्त हैं. बी-3 में गोरा दा अपनी पत्नी निभा और नाती व नतिनी के साथ रहते थे. घर में रौनक रहे, इसके लिए उन्होंने बेटी अनमुना गुप्ता के दोनों बच्चों को धनबाद बुला लिया था. दोनों बच्चे यहीं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर रहते थे गोरा दा
गोरा दा सिंफर से वर्ष 2000 में सेवानिवृत्त होने के बाद जरूरतमंदों की मदद में जुट गये थे. वह अपार्टमेंट के सचिव भी थे. किसी को कोई जरूरत हो, वह हर स्तर से समस्या दूर करने का प्रयास करते थे. जो लोग गोरा दा को जानते थे, उनके मुंह से एक ही बात निकली, वे आत्महत्या नहीं कर सकते. घटना की जानकारी मिलने के बाद बंगाली वेलफेयर सोसाइटी के गोपाल भट्टाचार्या समेत अन्य लोग उनके घर पहुंचे. परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है.
पत्नी को नहीं दी गयी है जानकारी
पत्नी निभा को गोरा दा की मौत की जानकारी देर रात तक नहीं दी गयी थी. वह रह-रह कर गोरा दा को खोज रही थीं. उन्हें बताया जा रहा है कि अभी तो साथ में थे, कहीं निकले हैं. गोरा दा की बेटी अनमुना गुप्ता दिल्ली से धनबाद आ रही हैं. मंगलवार को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव का अंतिम संस्कार किया जायेगा.
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