गोविंदपुर (धनबाद), दिलीप दीपक : गोविंदपुर थाना क्षेत्र के रतनपुर स्थित प्रसिद्ध न्यू खालसा होटल में बमबारी की घटना हुई. सोमवार सुबह 8:30 बजे एक मोटरसाइकिल पर सवार दो अपराधी आए और होटल के मुख्य गेट पर दो बम विस्फोट कर चलते बने. संभावना व्यक्त की जा रही है कि अपराधियों ने होटल मालिक को भयभीत करने और रंगदारी मांगने के उद्देश्य से बम का विस्फोट किया है. घटना की सूचना पाकर डीएसपी अमर कुमार पांडे एवं पुलिस इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार ने घटनास्थल का दौरा किया एवं घटना की जानकारी ली.
सीसीटीवी में दिखे अपराधी
यह होटल प्रसिद्ध व्यवसायी और समाजसेवी गुरुचरण सिंह ‘शेरा सिंह’ का है. होटल के बाहर लगे सीसीटीवी में एक मोटरसाइकिल पर सवार दो अपराधी होटल के पास बम फेंकते देखे गए हैं. सीसीटीवी फुटेज के जरिए पुलिस अपराधियों का पता लगाने का प्रयास कर रही है. हालांकि, सीसीटीवी में अपराधियों का चेहरा स्पष्ट नहीं दिख रहा है. साल 1984 के बाद गुरुचरण सिंह ‘शेरा’ इस होटल का संचालन कर रहे हैं. इससे पहले यह होटल काका सिंह का था, जो सिख दंगों के बाद होटल को गुरुचरण सिंह को बेचकर पंजाब चले गए थे. यह होटल जीटी रोड में वेज-नॉनवेज व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है. दिल्ली-कोलकाता लेन के लिए यह होटल काफी फेमस है.
अपराधियों ने पहले भी मांगी है रंगदारी
गुरुचरण सिंह उर्फ शेरा सिंह अपने दो बेटों रणजीत सिंह एवं तरनजीत सिंह के साथ यह होटल चलाते हैं. इस होटल की खासियत यह है कि यहां रात में भी महिलाएं वाहनों से उतरकर बेधड़क आती हैं और फ्रेश होने के साथ-साथ नाश्ता और भोजन कर जाती हैं. पूरब में कोलकाता और पश्चिम में गया, औरंगाबाद आदि इलाकों से चलने वाले लोग न्यू खालसा में उतरकर भोजन करने का मन बना चुके होते हैं. इसके पूर्व इस होटल में कभी भी अपराधियों द्वारा रंगदारी मांगने या बम गोलीबारी की घटना नहीं की गई थी. पिछले माह बस्तीपुर निवासी कोयला व्यवसायी बंटी सिंह चौधरी के घर एवं गोविंदपुर के प्रसिद्ध बिहारी लाल चौधरी के कपड़ा और ज्वेलर्स दुकान में प्रिंस खान के द्वारा रंगदारी के लिए गोलीबारी की घटना की गई थी. इन दोनों मामलों में प्राथमिक की दर्ज हुई थी, लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं है.
समाजसेवा में चर्चित नाम है गुरुचरण सिंह
कोयलांचल में समाजसेवा में एक चर्चित नाम है गुरुचरण सिंह उर्फ शेरा सिंह. एक समय जीटी रोड में कोई भी सड़क दुर्घटना होने पर शेरा सिंह का काम घायलों को अस्पताल पहुंचाना और उनकी मदद करना होता था. उस दौर में 108 एंबुलेंस या अन्य सरकारी एंबुलेंस नहीं होते थे और घायलों को निजी वाहनों से अस्पताल पहुंचाना पड़ता था. शेरा सिंह अपने वाहनों से घायलों को अस्पताल पहुंचाते थे. फिर उन्होंने लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया था और गोविंदपुर थाना इलाके में मिलने वाले अज्ञात लाश के क्रियाक्रम वह अपने खर्चे पर करते थे. साल 2004 में अपने दो युवा पुत्रों गुरमीत सिंह और हरमीत सिंह की जम्मू-कश्मीर में हुई दुर्घटना में एक साथ मौत के बाद उनकी याद में उन्होंने गोविंदपुर खुदिया घाट में शवदाह गृह बनाया और उसका विस्तार किया.
आज गोविंदपुर में यह स्वच्छ एवं सुंदर मोक्ष धाम है और यहां न केवल गोविंदपुर बल्कि धनबाद के भी लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करने आते हैं. हाल के दिनों में इस घाट में और पक्की छावनी का निर्माण कराया है, ताकि घाट आने वाले लोगों को बैठने में कोई परेशानी नहीं हो. बाग-बागवानी भी की है और अपनी ओर से लाइट्स भी लगवाए हैं. अब यहां रात में भी अंतिम संस्कार में कोई परेशानी नहीं होती है. इसके अलावा उन्होंने रतनपुर में दो मंदिर और करमाटांड कब्रिस्तान में भी छावनी का निर्माण अपने खर्चे पर कराया है. उनका सबसे महत्वपूर्ण कार्य झारखंड, बिहार और बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में शव रखने के लिए फ्रीजर उपलब्ध कराना है. उन्होंने धनबाद जिले के विभिन्न भागों सहित कोडरमा, गया, गिरिडीह, रानीगंज, वर्धमान आदि इलाकों में विभिन्न संगठनों को शव फ्रीजर उपलब्ध कराए हैं. न्यू खालसा परिवार की ओर से उपलब्ध इन फ्रीजर से लोगों को शव रखने में सुविधा होती है.
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