धनबाद में कोयला चोरों और उनके संरक्षकों की चांदी है. पहुंच के बल पर उनका अवैध कारोबार बदस्तूर जारी है. वैध-अवैध खदानों व साइडिंग से पहले कोयले की चोरी की जाती है, फिर उसे निर्धारित डिपो तक पहुंचाया जाता है. इसके लिए साइकिल-मोटरसाइकिल और कहीं-कहीं हाइवा का भी इस्तेमाल होता है. बाद में सुविधानुसार डिपो से विभिन्न वाहनों के माध्यम से कोयला दूसरी जगहों पर पहुंचा दिया जाता है.
बताते चलें कि गरीब लोगों को ध्यान में रख साइकिल से कोयला ढोने वालों को कुछ छूट मिली थी, पर इसका फायदा कोयला चोरों व तस्करों ने उठाया. साइकिल व मोटरसाइकिल गैंग ही तैयार कर लिया गया, जिनके माध्यम से यह धंधा जारी है. दूसरी ओर इसका भी फायदा चोरी रोकने के जवाबदेहों ने उठाया और जगह-जगह साइकिल व बाइक वालों से भी वसूली शुरू कर दी. जानें काले कारोबार के इस दूसरे रूप के बारे में.
झरिया, निरसा और कतरास-बाघमारा कोयलांचल में बीसीसीएल की विभिन्न वैध-अवैध खदानों से चोरी किया कोयला साइकिल व मोटरसाइकिल के जरिए जीटी रोड के कोक भट्ठों में पहुंचाया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, कुसुंडा एरिया स्थित गोंदूडीह व इस्ट बसुरिया कोलियरी-परियोजना और सिजुआ व गोविंदपुर एरिया की विभिन्न परियोजनाओं से चोरी का कोयला साइकिल से हर रोज लोहार बरवा मंडल टोला ले जाया जाता है.
वहां कोयला जमा करने के बाद उसे ट्रक से मंडियों में भेज दिया जाता है. जीटी रोड से महज सौ-डेढ़ सौ मीटर अंदर होने के कारण ट्रक से माल डिस्पैच करने में कोई दिक्कत नहीं होती. यह खेल रात होते ही शुरू हो जाता है और पौ फटने से पहले खत्म हो जाता है. इसके लिए अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग सिंडिकेट सक्रिय है.
साइकिल व बाइक सवारों से वसूली के काम में दलाल किस्म के लोग भी लगे होते हैं. वे सड़क किनारे या जगह-जगह खड़े रहते हैं. वहां से गुजरने वाले धंधेबाजों द्वारा फेंके गये पैसे उठा कर जमा करते हैं. शाम में सब पैसे का मिलान होता है और उसे कई हिस्सों में बांटा जाता है.
कोयला के इस अवैध धंधे में पासिंग का खेल भी बड़े ही शातिराना अंदाज में संचालित हो रहा है. सड़कों पर भारी संख्या में गुजर रही अवैध कोयला लदी साइकिल-मोटरसाइकिलों से कदम-कदम पर वसूली होती है. खासकर केंदुआडीह, धनसार, बैंक मोड़, धनबाद, सरायढेला, बरवाअड्डा, गोविंदपुर व निरसा थाना तथा इसके आसपास के क्षेत्रों में सुबह के समय सबसे ज्यादा अवैध कोयला पासिंग का खेल चलता है.
बाइक और साइकिल के जरिए ढुलाई करने वाले और ड्यूटी पर तैनात पुलिसवालों के बीच इशारेबाजी होती, फिर तय राशि देने के बाद जाने का सिग्नल मिल जाता है. हद तो यह कि चेकपोस्ट पर रुकना नहीं पड़े, इसके लिए बाइक सवार अपनी मोटरसाइकिल की टंकी पर रुपये को मोड़-मोड़ कर रबर बैंड में रख लेते हैं, ताकि जिस चेकपोस्ट से गुजरें, वहां बिना रुके, बिना बाइक नियंत्रित किये रुपये फेंकते चले जायें. रोज ऐसा खेल सभी देखते हैं. सोशल मीडिया पर भी यह तस्वीर वायरल होती है, पर कुछ नहीं होता.
रोज के हिसाब से देखें तो जिले के विभिन्न इलाकों से हजारों साइकिल व मोटरसाइकिल पर कोयला ढोया जाता है. इसमें करीब 60-70 फीसदी कोयला मोटरसाइकिल से ढुलाई होती है. रूट के हिसाब से देखें तो हर धंधेबाज को कम से कम आठ से 10 चेकपोस्ट से गुजरना पड़ता है. इस दौरान एक साइकिल व मोटरसाइकिल से करीब 150-250 रुपया तक की वसूली होती है. एक अनुमान के मुताबिक, मोटरसाइकिल व साइकिल सवारों से हर दिन हजारों रुपये की वसूली हो रही है. यह पैसा सभी के बीच बंटता है.