बोकारो के बारी को-ऑपरेटिव स्थित राजेंद्र नगर में रहनेवाले पिंटू मंगलवार की रात सात बजे बोकारो स्टील प्लांट में काम कर रहे थे. अचानक उनके बेटे अमन ने फोन किया कि पापा आग लग गयी है. जल्दी आइये. इतना सुनते ही पिंटू आनन-फानन में रात साढ़े आठ बजे तक धनबाद पहुंचे. आशीर्वाद अपार्टमेंट पहुंचे तो देखा कि आग लगी है. सात वर्षीय बेटे अमन और पत्नी सविता को खोजने लगे. चौथे तल्ले पर जहां आग लगी थी, वहां पहुंचने की जी तोड़ कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सके.
काफी देर बाद पता चला कि दोनों इस दुनिया में नहीं रहे. बदहवास हालत में रात गुजारने के बाद सुबह सात बजे एनएमएमसीएच पहुंचे पिंटू ने कहा कि अब तक पत्नी और बेटे के शव को देखने नहीं दिया गया है. कोई बतानेवाला नहीं है कि पोस्टमार्टम कब होगा. आरोप लगाया कि समय पर रेस्क्यू टीम पहुंच जाती तो इतना कुछ नहीं होता.
धनबाद़ स्वाति के पिता सुबोध श्रीवास्तव ने कहा कि बेटी की खुशी मनाने का दिन था, अब मातम मना रहा हूं. क्या करूंगा जी कर. अब किसके लिए जीना है. सबकुछ तो खत्म हो गया. पिता का साया और पत्नी का साथ छूट गया. बोले, ऐसा होगा सोचा भी नहीं था. भगवान इतना कठोर तो नहीं हो सकता है. कौन सी गलती की थी, जिसकी इतनी बड़ी सजा मिली. सुबोध के बेटे किशन श्रीवास्तव और बलराम श्रीवास्तव की भी यही स्थिति थी.
अपनों को बचाने की हर कोशिश बेकार हो गयी: सुबोध के मौसरे दामाद हजारीबाग निवासी अशोक लाल ने बताया कि रात सात बजे होंगे. अचानक देखा कि अपार्टमेंट के दूसरे तल्ले से धुआं निकल रहा है. कुछ ही देर बाद देखा कि आग तीसरे और चौथे तल्ले पर लग चुकी थी. हर तरफ काला धुआं फैला हुआ था. वे दो-चार सीढ़ी चढ़े ही थे कि घबराहट होने लगी.
फिर भी ऊपर जाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हो सके. इस बीच वे वहीं पर गिर गये. किसी तरह उठने के बाद देखा कि अपार्टमेंट की बिजली कटी हुई है. हर तरफ अंधेरा पसरा हुआ है. ऊपर जाने की हर कोशिश बेकार हो चुकी थी. इसके बाद वे चीखने चिल्लाने लगे. अपार्टमेंट के सामने भीड़ लगी थी. समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें. काफी देर बाद पता चला कि आग की चपेट में आने से छोटे भाई संजीत लाल की बेटी तन्नु कुमारी, चाची सुशीला देवी व साली सविता देवी की मौत हो चुकी है.