धनबाद: प्रथम एकल गौग्राम कुंभ शुरू, पहले दिन देशभर से आये प्रतिनिधियों ने किया 38 गांवों का भ्रमण
एकल गौग्राम योजना का अखिल भारतीय प्रथम एकल गौग्राम कुंभ शनिवार से न्यू टाउन हॉल में शुरू हो गया. इस तीन दिवसीय कुंभ में देश भर से एकल कार्यकर्ता जुटे हैं.
एकल गौग्राम योजना का अखिल भारतीय प्रथम एकल गौग्राम कुंभ शनिवार से न्यू टाउन हॉल में शुरू हो गया. इस तीन दिवसीय कुंभ में देश भर से एकल कार्यकर्ता जुटे हैं. कार्यक्रम का उद्घाटन गौग्राम योजना की केंद्रीय उपाध्यक्ष मीना अग्रवाल ने अखंड ज्योत का प्रज्जवलित कर किया. इसके बाद देश भर से आये प्रतिनिधियों, गौ-पालकों, गौ-सेवकों, एकल सेवावर्ती कार्यकर्ताओं की उपस्थिति भारत माता की आरती की गयी. कुंभ के पहले दिन 38 समूहों में प्रतिनिधि धनबाद के आसपास के 38 गांवों में भ्रमण के लिए गये. प्रतिनिधियों ने यहां ग्रामीण जीवन का दर्शन किया. गांवों में प्रतिनिधियों का ग्रामवासियों ने ढोलक की थाप पर नृत्य के साथ का स्वागत किया. गावों में प्रतिनिधि उन कृषक परिवारों से भी मिले, जहां एकल गौग्राम योजना के तहत देसी नस्ल की गायों का संरक्षण किया जा रहा है. ग्राम भ्रमण के बाद सभी समूह शाम तक लौट आये. शाम में न्यू टाउन हॉल में कार्यक्रम के दूसरे सत्र की शुरुआत गौमाता और शबरी माता की आरती से हुई. इसके बाद एकल प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ. धनबाद की शबरी बस्ती के छोटे-छोटे बच्चों ने मनमोहक लोक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया. पूर्वी सिंहभूम से आये पहले कृषक अर्जुन शर्मा घरों में पोषण वाटिका महत्व बताया. इसके पश्चात ग्राम भ्रमण से लौटे देश भर से आये प्रतिनिधियों ने अनुभवों को साझा किया. ओड़िशा से आये प्रिय रंजन चौधरी ने अपने दल के साथ बलियापुर प्रखंड के पलानी गांव हुए थे. मुंबई से आये वीरेंद्र याज्ञनिक ने अपने दल के साथ पूर्वी टुंडी के साल पहाड़ी और अमरपुर में भ्रमण के लिए गये थे. इनके साथ सभी दलों के प्रतिनिधियों ने अपने ग्राम यात्रा के अनुभवों को साझा किया. इनके बाद उत्तराखंड से आये बच्चों ने भी अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुति दी. दूसरे सत्र का समापन शबरी माता की आरती के साथ हो गयी.
रविवार को सार्वजनिक सभा
एकल गौग्राम कुंभ के दूसरे दिन गोल्फ ग्राउंड में सार्वजनिक सभा होगी. इसमें धनबाद जिले में चल रहे एकल विद्यालय ग्रामों से हजारों गौपालक व किसान भाग लेंगे. दूसरे दिन चार सत्रों में कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. सार्वजनिक कार्यक्रम तीसरे सत्र में दोपहर दो बजे से शाम के 4:35 तक संचालित होगी.
आकर्षण का केंद्र है एकल प्रदर्शनी
एकल गौग्राम कुंभ में मुख्य कार्यक्रम स्थल पर पूरी तरह से ग्रामीण परिवेश में ढला हुआ प्रतीत हो रहा है. यहां एकल ग्रामोत्थान फाउंडेशन द्वारा अपने विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगायी है. प्रदर्शनी में गाय के गोबर से बने अगरबत्ती, दीया समेत अन्य उत्पादों का स्टॉल लगा है. इसके साथ एक गाैग्राम योजन के तहत देश भर में चलाये जा रहे विभिन्न प्रकल्पों की जानकारी देने के लिए भी स्टॉल लगाये गये हैं. वहीं एक स्टॉल पूरी तरह से जड़ी-बुटियों से हुए औषधियों को समर्पित है. साथ ही यहां हैंडलूम कपड़े, हस्तशिल्प जैसे उत्पादों का स्टॉल लगा.
देसी नस्ल की गायों को बचाने का प्रयास : केदारनाथ मित्तल
एकल गौ ग्राम योजना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष केदार नाथ मित्तल ने कहा कि एकल गौग्राम योजना का यह पहला अखिल भारतीय कुंभ है. इस योजना के माध्यम से यह प्रयास किया जा रहा है कि भारतीय देसी गायों के नस्ल को कैसे बचाया जाये. किसी न किसी कारणवश गांव से देसी नस्ल के गाय-बछड़े का पलायन हो रहा है. इस कारण हल-बैलों की खेती समाप्त हो रही है. खेतों के लिए आवश्यक उर्वरक गोबर-गोमूत्र की कमी हो रही है. दूध नहीं देने वाली बूढ़ी गायें महानगर की गौशालाओं में अस्वाभाविक जीवन जीने को विवश हैं या फिर कत्लखानों में जा रही हैं. उन्होंने बताया कि अगले 10 वर्षों में देसी नस्ल की गाय कैसे गांव में बचया जाये और पुनः जैविक खेती हो और बिना दूध देने वाली या बूढ़ी गायों को भी आर्थिक रूप से स्वावलंबी जीवन जीने लायक बनाया जाय, यही इस कुंभ का उद्देश्य है.
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एकल गौग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य देशी नस्ल के गौवंश को संरक्षण प्रदान करना है. साथ ही देशी गांवों को देश के हर घर में पहुंचाना है. गायों को हम सिर्फ दूध के नहीं पाले. देशी नस्ल की गाय कई बीमारियों का इलाज हैं. यह गौवंश रासायनिक खादों की जहर से मुक्ति का आधार है. जिस घर में देशी नस्ल की गाय है. उस घर में सुख और शांति दोनों का वास होता है. गाय हमारे लिए गोधन है. – शंकर लालजी, अखिल भारतीय संयोजक, एकल गौग्राम योजना
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एकल का गौग्राम प्रकल्प काफी बेहतर काम कर रहा है. धनबाद के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों परिवार इस अभियान से जुड़कर बेहतर काम कर रहे हैं. ऐसे कार्यक्रमों से इस अभियान को मजबूती मिलेगी. यहां तीन दिनों मंथन चलेगा कि किस तरह देशी नस्ल के गायों को घर- घर पहुंचाया जाये. इस तरह के अभियान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. – अमरेन्द्र सिंह, समाज सेवी, निदेशक सेंट जेवियर्स इंटरनेशनल स्कूल
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