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Dhanbad ADJ Death Case : ऑटो चालक और उसका सहयोगी गया जेल, नार्को और ब्रेन मैपिंग टेस्ट के लिए मांगी गयी इजाजत

Dhanbad Judge Death Case Update : पुलिस ने सीजेएम कोर्ट में दिया आवेदन, तीन तरह की जांच कराना चाहती है ऑटो चालक और उसके सहयोगी की, आज हाइकोर्ट में भी मामले की सुनवाई

By Prabhat Khabar News Desk | August 3, 2021 12:18 PM
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Dhanbad Civil Court Judge Death Case धनबाद : जिला एवं सत्र न्यायाधीश (अष्टम) उत्तम आनंद की मौत के मामले में गिरफ्तार ऑटो चालक राहुल वर्मा एवं लखन वर्मा का ब्रेन मैपिंग, नार्को और साइकोलॉजिकल टेस्ट कराया जायेगा. सोमवार को पुलिस ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) की अदालत में आवेदन देकर तीन तरह की जांच के लिए इजाजत मांगी. अदालत ने इस पर पुलिस को कहा कि वह जांच करने वाले संस्थान से तिथि और समय ले कर आये.

इसके बाद आगे की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. इधर, शाम को पुलिस ने रिमांड अवधि पूरी होने पर दोनों अभियुक्तोें को सीजेएम के समक्ष पेश किया, जहां से दोनों को कड़ी सुरक्षा के बीच धनबाद मंडल कारा भेज दिया गया. इस बीच मंगलवार को इस मामले की हाइकोर्ट में सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ में सुनवाई के लिए यह मामला सूचीबद्ध है.

धनबाद के प्रधान जिला जज की रिपोर्ट पर हाइकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. साथ ही जांच की प्रगति रिपोर्ट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और एफआइआर की प्रति सीलबंद लिफाफे में मांगी थी. अदालत ने 2020 के बाद हुए अपराध का ब्याेरा भी मांगा था. इधर एसआइटी के प्रमुख एडीजी संजय आनंद लाठकर ने जोड़ापोखर में आरोपियों के परिवार के सदस्यों से पूछताछ की और धनबाद रेलवे स्टेशन का भी निरीक्षण किया, जहां आरोपियों ने शराब पी थी.

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गांधीनगर लैब में होगी जांच:

ब्रेन मैपिंग ( brain mapping test ) और नार्को टेस्ट( narco test ) की अनुमति के बाबत आवेदन पर अदालत ने पुलिस से पूछा कि किस तिथि को दोनों का टेस्ट कराना चाहते हैं? पहले संबंधित संस्थान से तिथि निर्धारित करवा लें, इसके बाद इसकी अनुमति मांगें. पुलिस ने बताया कि गुजरात के गांधीनगर लैब से ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराया जायेगा. अभियुक्तों ने भी कहा कि उन्होंने नशे की हालत में घटना की है. वे किसी भी जांच को तैयार हैं.

क्या होता है नार्को टेस्ट

नार्को टेस्ट किसी व्यक्ति से सही जानकारी प्राप्त करने के लिए कराया जाता है. यह एक फोरेंसिक परीक्षण होता है. पुलिस आरोपियों का नार्को टेस्ट अदालत के आदेश के बाद विशेषज्ञों से करवाती है. अधिकांश मामलों में देखा गया है कि आरोपी नार्को टेस्ट में सही जानकारी देता है. लेकिन कुछ संभावना रहती है कि वह नार्को टेस्ट के दौरान पूरी सच न बोले.

नार्को टेस्ट के दौरान संबंधित शख्स को उसकी आयु, लिंग, स्वास्थ्य और शारीरिक परिस्स्थतियों के अनुसार इंजेक्शन के सहारे विशेषज्ञों द्वारा कुछ दवाएं दी जाती है. इससे उत्तर देने के समय वह व्यक्ति पूरी तरह से होश में नहीं होता है, इससे वह प्रश्नों के सही उत्तर देता है. क्योंकि उसकी शारीरिक व मानसिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वह उत्तर घुमा-फिरा कर दे सके.

क्या होता है ब्रेन मैपिंग टेस्ट

ब्रेन मैपिंग टेस्ट में अभियुक्त के मस्तिष्क की हलचलों की छवियों से उसके दोषी होने का पता लगाया जाता है. इसमें अभियुक्त को कई सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लैस एक हेलमेट पहनाया जाता है, जो कंप्यूटर से जुड़ा होता है. जांच के दौरान फोरेंसिक विशेषज्ञ आरोपी को अपराध से जुड़ी वस्तुओं के चित्र दिखाते या कुछ ध्वनियां सुनाते हैं और उन पर आरोपी के मस्तिष्क की प्रतिक्रिया का निरीक्षण करते हैं.

सेंसर मस्तिष्क की गतिविधियों को मॉनिटर करता है और पी 300 तरंगों को अंकित करता है. ये तरंगे तभी पैदा होती हैं, जब आरोपी का उन चित्रों और ध्वनियों से कोई संबंध होता है. निर्दोष आरोपी अपराध से जुड़ी ध्वनियों और चित्रों को पहचान नहीं पाते, जबकि दोषी उन्हें पहचान लेते हैं.

सीबीआइ जांच के लिए गृह विभाग ने केंद्र को रजिस्टर्ड डाक से भेजी अनुशंसा

धनबाद सिविल कोर्ट के जज उत्तम आनंद के मौत की सीबीआइ जांच की अनुशंसा मुख्यमंत्री ने 31 जुलाई (शनिवार) को की थी. सोमवार को गृह विभाग ने रजिस्टर्ड डाक से सीबीआइ जांच का अनुशंसा संबंधी पत्र, धनबाद में दर्ज एफआइआर की कॉपी और जांच की प्रगति संबंधी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है. आगे इस मामले में अनुशंसा पर केंद्र के स्तर पर निर्णय होगा कि मामला सीबीआइ जांच के लिए दिया जाये या नहीं. फिलहाल झारखंड पुलिस की एसआइटी मामले की जांच कर रही है.

Posted By : Sameer Oraon

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