Dhanbad Nagar Nigam News: बनियाहीर झरिया की जमीन हो रही बंजर, जानें क्या है वजह
नगर निगम को बने 12 साल बीत गये, लेकिन आज तक कचरा के निष्पादन की व्यवस्था नहीं होने से एक ओर जहां शहर साफ हो रहा है, वहीं बनियाहीर का एक बड़ा इलाका बंजर हो रहा है. उस इलाके के लोग दुर्गंध, कचरे में लगी आग के जहरीले धुएं व पानी के प्रदूषित होने का दंश झेल रहे हैं. पढ़ें सुधीर सिन्हा की विशेष रिपोर्ट..
Dhanbad Nagar Nigam News: धनबाद नगर निगम बोर्ड का गठन हुए 12 साल बीत गये, लेकिन आज तक कचरा के निष्पादन की व्यवस्था नहीं होने से एक ओर जहां शहर साफ होने लगा, वहीं बनियाहीर का एक बड़ा इलाका बंजर हो रहा है. उस इलाके के लोग दुर्गंध, कचरे में लगी आग के जहरीले धुएं व पानी के प्रदूषित होने का दंश झेल रहे हैं. इसे लेकर अब लोग आंदोलित होने लगे हैं, जल्द इसका निदान नहीं हुआ तो आनेवाले दिनों में बड़ी समस्या उत्पन्न होगी. जानकारी के अनुसार धनबाद शहर से हर दिन 400 टन कचरा निकलता है, पर इसके निस्तारण की व्यवस्था नहीं की जा सकी है, तो कुछ दिनों के लिए बीसीसीएल की बंद परियोजना बनियाहीर को कचरा डंप करने के लिए चिह्नित किया गया, पर 12 सालों में नयी व्यवस्था नहीं की जा सकी और लगातार यहां कचरा डंप हो रहा है. अब तो इसने पहाड़ का रूप ले लिया है. जबकि होना यह था कि यहां जमीन की तलाश कर वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित कर कचरे का निस्तारण करना था. रिपोर्ट सुधीर सिन्हा की.
कचरा उठाव, प्रोसेसिंग और डिस्पोजल पर 76 करोड़ खर्च
शहर की सफाई व्यवस्था नगर निगम के हाथों में है. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नगर निगम व रैमकी कंपनी के बीच करार हुआ है. एग्रीमेंट के मुताबिक रैमकी को 25 सालों तक डोर टू डोर कचरा का उठाव, प्रोसेसिंग व डिस्पोजल करना है. इसके लिए नगर निगम को 76 करोड़ देना है. इसके अलावा ट्रांसपोर्टिंग के लिए प्रति टन 1400 रुपया का भुगतान होता है. कचरा डिस्पोजल नहीं होने से कीड़े मकोड़ों का आतंक बढ़ गया है. नगर निगम बोर्ड का गठन हुए 12 साल बीत गये लेकिन आजतक वेस्ट डिस्पोजल प्लांट लगाने की योजना धरातल पर नहीं उतरी. 2011 में ए टू जेड कंपनी से करार हुआ था. नगर निगम व ए टू जेड के बीच विवाद के कारण एजेंसी ए टू जेड ने बीच में ही काम छोड़कर चला गया. मामला हाई कोर्ट में चल रहा है. दूसरी एजेंसी को काम किये ढ़ाई साल से अधिक समय हो गया लेकिन कचरा निस्तारण के लिए जमीन नहीं मिली.
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दूसरी एजेंसी को भी नहीं मिली डंपिंग यार्ड के लिए जमीन
यहां कचरा निष्पादन के लिए दो एजेंसियां आयीं, करार भी हुआ, पर कुछ खास नहीं हो पाया. विभागीय सूत्रों के अनुसार वर्ष 2011 में ए-टू-जेड कंपनी के साथ निगम का करार हुआ. पुटकी में बीसीसीएल ने कचरा निष्पादन के लिए जमीन भी दी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण मामला लटक गया. जमीन नहीं मिलने के कारण ए टू जेड के साथ विवाद शुरू हुआ और मामला कोर्ट पहुंच गया. फिर इस मामले में रैमकी के साथ करार हुआ, पर दो साल बाद भी रैमकी को जमीन नहीं मिली है.
अभी हर माह हो रहा तीन करोड़ खर्च
फिलवक्त शहर का कचरा साफ करने पर प्रति माह तीन करोड़ रुपये खर्च हो रहा है. इसमें गाड़ियों के परिचालन पर लगभग 1.6 करोड़, लगभग 800 दैनिक मजदूर व 88 सफाई कर्मचारियों सहित डीजल खर्च मिलाकर लगभग 1.5 करोड़ रुपये खर्च हो है.
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क्या होता है लिगेसी वेस्ट
पुराना एवं प्रत्यक्त कूड़ा को लिगेसी वेस्ट कहते हैं. इससे कंक्रीट, पॉलीथिन व मिट्टी को अलग किया जाता. इससे निकलने वाला आरडीएफ (जलने वाला कूड़ा ईंधन) सीमेंट फैक्ट्रियों को बेचा जायेगा.
बिना डंपिंग प्वाइंट 19.23 करोड़ के टेंडर पर सवाल
निगम अभी तक कचरा डंपिंग प्वाइंट की व्यवस्था नहीं कर पाया है, वहीं दूसरी तरफ लिगेसी वेस्ट के प्रोसेसिंग के लिए 19.23 करोड़ का टेंडर निकाला दिया है. टेंडर को 26 नवंबर को खुलना है. रैमकी को कचरे का प्रोसेसिंग व डिस्पोजल के लिए जमीन नहीं मिली और जहां कचरा डंप हो रहा वह अग्नि प्रभावित इलाका है और बीसीसीएल का बंद खदान है, ऐसे में यह सवाल उठने लगा है कि कहीं यह योजना भी बेकार न हो जाये.
इधर, केंदुआ में भी संकट, खुले में फेंक रहे कचरा
कचरा निष्पादन की सही व्यवस्था नहीं होने का दंश सब झेल रहे हैं. हालत यह है कि केंदुआ में खुले में कचरा फेंका जा रहा है. केंदुआ सिनेमा हॉल के पीछे सड़क को कचरा डंपिंग जोन बना दिया गया है. निगम के मुताबिक यहां कांपेक्टर स्टेशन बनने का प्रस्ताव था, लेकिन नहीं बना. अब यहां पर कचरा डंप कर उसे फिर बनियाहीर डंपिंग प्वाइंट ले जाया जाता है. इस वजह से यह इलाका भी नारकीय बना हुआ है.
एक भय यह भी
आबादी के बीच खुले में कचरा फेंकने से कई समस्याएं सामने आती हैं. दरअसल, इस कचरा में मेडिकल वेस्ट से लेकर हर तरह का कचरा होता है. इससे कई गंभीर समस्या के होने का खतरा रहता है. इसे लेकर भी लोगों में भय है. जानकार भी कहते हैं कि यह कचरा और उसके अवशेष जमीन व पानी में चले जाने के कारण वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी गंभीर परेशानियां उत्पन्न होने का संकट होता है.
क्या कहते हैं लोग : जी रहे नरक का जीवन
शहर का पूरा कचरा बनियाहीर में गिराया जाता है, इसमें मेडिकल वेस्ट भी रहता है. इतनी बदबू निकलती है कि इस रास्ते से गुजरते वक्त नाक पर रूमाल रखकर गुजरना पड़ता है. नगर निगम व प्रदूषण बोर्ड में लिखित शिकायत की गयी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अमित चौहान, बनियाहीर
पिछले 10 सालों से नरक की जिंदगी जी रहे हैं. कोई सुनने वाला नहीं. नगर निगम को कचरा का प्रोसेस की व्यवस्था कहीं और करना चाहिए, ताकि हम लोग चैन से जीवन जी सकें. डंपिंग स्टेशन से थोड़ी दूर दलित बस्ती है. 50 से 60 परिवार रहते हैं, हम लोग नरक में जी रहें हैं.
सुशीला देवी, बनियाहीर
नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार से सीधी बात
सवाल – अब तक कचरा डंप करने के लिए जमीन नहीं मिली?
जवाब- जी, यह सही है पर अब वेस्ट टू एनर्जी के लिए आमझर बलियापुर में जमीन देखी गयी है. इसके अलावा पेटिया में भी जमीन है. दोनों में किसी जगह डंपिंग स्टेशन बनाया जायेगा.
सवाल- बनियाहिर में कचरा से लोग परेशान हैं?
जवाब- बनियाहिर का कचरा वैज्ञानिक तरीके से खत्म किया जायेगा. अमृत-2 योजना के तहत लिगेसी वेस्ट का डिस्पोजल किया जायेगा.
सवाल – क्या निगम कचरा निष्पादन के काम में फेल हुई है?
जवाब – दिक्कतें सामने आयीं पर उसका निदान खोज लिया गया है. सब ठीक होगा.
सवाल – कचरा के कारण बनियाहिर में नाराजगी है?
जवाब – इस समस्या का समाधान कर लिया गया है.