Loading election data...

धनबाद : पंचेत में पं नेहरू को माला पहना मुसीबत झेलने वाली बुधनी मंझियाइन का निधन

पंचेत डैम के उद्घाटन समारोह में बुधनी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का स्वागत करते हुए उन्हें माला पहनायी थी. समाज की परंपरा के मुताबिक अगर कोई महिला किसी पुरुष के गले में माला डालती है तो इसका मतलब है कि उसने उस व्यक्ति के साथ विवाह कर लिया है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 18, 2023 11:13 AM

छह दिसंबर 1959 को देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू के साथ डीवीसी पंचेत डैम का उद्घाटन कर देश भर में चर्चित और इसी दौरान उन्हें माला पहनाने के कारण आदिवासी समाज से बहिष्कृत बुधनी मंझियाइन का शुक्रवार की रात आठ बजे निधन हो गया. डीवीसी के पंचेत हिल हॉस्पिटल में उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 85 वर्ष की थीं और कई महीनों से बीमार चल रही थीं. बुधनी का पैतृक गांव तत्कालीन मानभूम जिला के खैरबना में था, जो डैम निर्माण के दौरान पूर्णत: विस्थापित हो गया.

राजीव गांधी ने दिलायी थी नौकरी : बुधनी का मुद्दा समय-समय पर मीडिया में उछलता रहा. राजीव गांधी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब उनके समक्ष बुधनी का मामला आया तो उन्होंने डीवीसी को आदेश देकर बुधनी को खोज निकालने और नियोजन देने का आदेश दिया. डीवीसी ने सालतोड़ से बुलाकर बुधनी को डीवीसी में नौकरी दी थी. सेवानिवृत्ति के बाद वह सालतोड़ में ही रह रही थी. बुधनी की एक पुत्री रत्ना दत्ता है. रत्ना की शादी हो चुकी है. निधन की खबर सुनकर मुखिया सचिन मंडल, मुखिया भैरव मंडल पंचेत हिल अस्पताल पहुंचे और शोकाकुल परिवार से मिल कर संवेदना जतायी. उनकी बेटी रत्ना व अन्य परिजन हिल अस्पताल में जमे हुए थे.


पंडित जवाहरलाल नेहरू से शादी की बात कह आदिवासी समाज ने कर दिया था बहिष्कार

पंचेत डैम के उद्घाटन समारोह में बुधनी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का स्वागत करते हुए उन्हें माला पहनायी थी. उस रात संथाली समाज की बैठक हुई. कहा गया कि बुधनी अब नेहरू की पत्नी बन चुकी है. क्योंकि समाज की परंपरा के मुताबिक अगर कोई महिला किसी पुरुष के गले में माला डालती है तो इसका मतलब है कि उसने उस व्यक्ति के साथ विवाह कर लिया है. अंतत: एक ग़ैर-आदिवासी से शादी रचाने के आरोप में संथाली समाज ने उन्हें जाति और गांव से बाहर निकालने का फ़ैसला सुना दिया. वह बगल के पुरुलिया जिला के सालतोड़ (रघुनाथपुर) काम की तलाश में चली गयी. वहां सालतोड़ के सुधीर दत्त से उनकी मुलाकात हुई. बुधनी से सुधीर दत्त ने विवाह कर लिया. दोनों की एक पुत्री है.

Also Read: धनबाद में रेल यात्रियों की सुविधा में होगी बढ़ोतरी, भीड़ को नियंत्रित करने के लिए RPF को मिलेगी खास सुविधा

Next Article

Exit mobile version