Dhanteras 2023 के दिन धन लक्ष्मी के साथ क्यों होती है यमराज की पूजा, जानें इस दिन क्यों किया जाता है दीपदान

Dhanteras 2023 Deepdaan: 10 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार धनतेरस का त्योहार मनाया जायेगा.हिंदू कैलेंडर के अनुसार ​कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी वाले दिन धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वतरि, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है.

By Shaurya Punj | November 8, 2023 3:39 PM
  • कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीपक रखना चाहिए

  • 10 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार धनतेरस का त्योहार मनाया जायेगा

Dhanteras 2023 Deepdaan: हिन्दू पंचाग में कार्तिक मास का बहुत महत्व है इस माह में प्रायः सभी देवताओं के साथ यमराज की पूजा के लिए एक विषेश महत्त्व है. स्कंदपुराण के अनुसार धनतेरस को लेकर एक श्‍लोक का वर्णन किया हुआ है इसके अनुसार ‘कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे. यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति. इसका अर्थ है, कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायं काल में घर के बाहर यमदेव की पूजा के उद्देश्य से दीपक रखने से अल्पमृत्यु का निवारण होता है. वहीं पद्मपुराण के अनुसार, ‘कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके. यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति.’ इसका अर्थ है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीपक रखना चाहिए .इससे मृत्यु का नाश होता है.धनतेरस के दिन तेल का एक चौमुखा दीपक जलाया जाता है. कहा जाता है अंधेरा यमराज का मना जाता है जब हम दीपक जलाते है प्रकाश बन जाता है अंधेरा खत्म हो जाती है. चौमुख दिया जलाने के बाद वहा पर प्रकाश और तेज हो जाता है यथा अन्य दिया के अपेक्षा चौमुख दिया ज्यादा समय तक जलता है. इस लिए इस दिन यम के लिए दीपक जलाया जाता है.

कब है धनतेरस

10 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार धनतेरस का त्योहार मनाया जायेगा.हिंदू कैलेंडर के अनुसार ​कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी वाले दिन धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन भगवान धन्वतरि, भगवान कुबेर और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. साथ ही धनतेरस के दिन यमराज की पूजा का भी विशेष महत्व होता है.

यम दीप जलाने की क्या है रहस्य

धनतेरस के दिन यम के नाम से दीपदान की परंपरा पुराण काल से चली आ रही है और इस दिन यमराज के लिए आटे का चौमुख दीपक बनाकर उसे घर के मुख्य द्वारा पर रखा जाता है. घर की महिलाएं या मुख्य पुरुष रात के समय इस दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं. इस दीपक का मुख दक्षिण दिशा की ओर होता है. दीपक जलाते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करके ‘मृत्युनां दण्डपाशाभ्यां कालेन श्यामया सह. त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम्’ मंत्र का जाप किया जाता है. दीपक जलाने के बाद हाथ धो लेना चाहीए.

Also Read: Dhanteras 2023 Kab Hai: दो दिन बाद धनतेरस, जानें तिथि मुहूर्त और धनतेरस पूजा का समय

इसलिए करते हैं दीपदान

धनतेरस के दिन यमराज के नाम से दीपदान किया जाता है. यमराज के लिए दीप दान आटे के चौमुख दीपक बनाकर जलाते है दूसरे दिन दीपक को आटे से बनी चौमुख दीपक को नदी में प्रवाहित कर दे या गाय को खिला दे इसे आपके अल्पमृत्यु का भय दूर होता है इसे इधर उधर फेके नही.इस परंपरा के पीछे एक और पौराणिक कथा जुड़ी हुई है जिसके अनुसार एक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण लेते समय किसी पर दयाभाव आया है. तब वे संकोच में आकर बोलते हैं नहीं महाराज. यमराज ने उनसे फिर दुबारा यही सवाल पूछा तो उन्होंने संकोच छोड़ बताया कि एक बार एक ऐसी घटना घटी थी जिससे हमारा हृदय कांप उठा था.

कब जलाए यमराज के लिए दीपक

धनतेरस की रात्रि में में सभी काम समाप्त करते एक दीपक में सरसों का तेल डालें रूईबती उसमे डाले. इसके बाद दीपक को घर से बाहर ले जाएं और दक्षिण दिशा में मुंह करके रख दें फिर दीपक जला दे.इससे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है.

धनतेरस के दिन दीपदान करने वालों को अकाल मृत्यु के भय से मिलती है मुक्ति

एक बार हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र का जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षण गणना करके बताया कि जब इस बालक का विवाह होगा, उसके चार दिन बाद ही इसकी मृत्यु हो जाएगी. यह जानकर राजा ने बालक को यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया. एक बार जब महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी ​तो उस ब्रह्मचारी बालक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर दिया. लेकिन विवाह के चौथे दिन ही वह राजकुमार मर गया. पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलख कर रोने लगी और उस नवविवाहिता का विलाप देखकर हमारा यानि यमदूतों का हृदय कांप उठा. तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि ‘क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है?’ यमराज बोले- एक उपाय है. अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करना चाहिए. इसके बाद अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता. तभी से धनतेरस पर यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा है.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा

ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ

8080426594/9545290847

Next Article

Exit mobile version