Varanasi : भगवान धन्वंतरि की पूजा की तैयारी हुई पूरी, जानें पूजा के तरीके से लेकर प्रसाद वितरण की सारी खूबियां

दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों से श्रद्धालुओं का आगमन यहां होता है. लोग दर्शन पाकर अपने को आरोग्य एवं स्वस्थ जीवन जीने का अमृत रूपी प्रसाद पाकर धन्य हो जाते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 1, 2021 11:38 AM

Varanasi News : सात वार और नौ त्यौहार के लिए प्रसिद्ध काशी में आयुर्वेद के भगवान कहे जाने वाले भगवान धन्वंतरि की भी वर्ष में एक दिन पूजा की जाती है. कार्तिक क़ृष्ण यानी धनतेरस के दिन मंगलवार (कल) को सुड़िया स्थित धन्वन्तरि निवास में यह पूजा-अर्चना की जाती है. देशभर में यह एक अनोखी पूजा का स्थल माना जाता है.

इस बारे में जानकारी देते हुए पण्डित समीर कुमार शास्त्री ने बताया कि विगत 100 वर्षों से हमारी पीढ़ियों द्वारा आयुर्वेदिक चिकित्सा की जाती है. हम हर वर्ष आयुर्वेद चिकित्सा के देवता भगवान धन्वंतरि की जयंती मनाते हैं. इनकी पूजन करते हैं. आमजन को सार्वजनिक रूप से इनका दर्शन करने देते हैं. उन्हें आज के दिन यहां पूजा-पाठ करने का अवसर देते हैं. ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से हर तरीके के कष्टों से मुक्ति मिलती है.

Varanasi : भगवान धन्वंतरि की पूजा की तैयारी हुई पूरी, जानें पूजा के तरीके से लेकर प्रसाद वितरण की सारी खूबियां 3

वे आगे बताते हैं कि इस दिन भगवान धन्वंतरि का विशेष पूजन करने के लिए शाम 4 बजे से भक्तों के दर्शन हेतु कपाट खोल दिया जाएगा. इस दिन औषधि स्वरूप अमृत वर्षा की जाएगी. भारतवर्ष को कोरोना से मुक्ति की कामना हेतु धन्वंतरि निवास में विराजमान भगवान धन्वंतरि भगवान की अष्टधातु की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार कर विद्वान ब्राह्मणों द्वारा विधि विधान से पूजन-अर्चन किया जाता है.

उन्होंने बताया कि प्रसाद स्वरूप रोग निवारण हेतु औषधि वितरण की जाती है. दो नवंबर को दोपहर 2 बजे से भगवान धन्वंतरि का श्रृंगार दर्शन पूजन कर के जन्मोत्सव मनाकर 4 बजे से आम जनता के लिए दर्शन हेतु अनुमति प्रदान कर दी जाएगी. ये दर्शन अनवरत रात्रि 11 बजे तक चलता रहता है. इस बार कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा.

उन्होंने बताया कि इसमें मास्क लगाने के साथ साथ सेनेटाइजर भी अनिवार्य होगा. साफ-सफाई की पूरी व्यवस्था रखी गई है. इस बार भगवान धन्वंतरि का दर्शन कमरे में न रखकर बाहर खुले मैदान में रखकर किया जा सकेगा. आयुर्वेद ने ही इस बार कोविड में महामारी से बचाव का बेहतर इलाज ढूंढकर निकाला है. इसलिए इस बार कोरोना महामारी से मुक्ति के लिए भगवान धन्वंतरि के दरबार में अमृत वर्षा की जाएगी. इस दौरान धन्वंतरि निवास में विशेष पूजा अर्चना के बाद औषधि स्वरूप प्रसाद का वितरण किया जाएगा.

Varanasi : भगवान धन्वंतरि की पूजा की तैयारी हुई पूरी, जानें पूजा के तरीके से लेकर प्रसाद वितरण की सारी खूबियां 4

काशी ही नहीं पूरे भारत में एक मात्र अष्टधातु के भगवान धन्वंतरि की मूर्ति सुड़िया स्थित धन्वंतरि निवास में राजवैद्य स्व. पंडित शिव कुमार शास्त्री के आवास में विराजमान है. जो कि अत्यंत प्राचीन लगभग 300 साल पुरानी अष्टधातु की बनी हुई है. इसके ऊपर चांदी का छत्र मौजूद है. भगवान चांदी के सिंहासन पर विराजमान रहते हैं और उनके चारों हाथों में अमृत का कलश, चक्र, शंख व जोंक सुशोभित करते हैं. उनको विशिष्ट चमत्कारी औषधियों जैसे रस, स्वर्ण, हीरा, माणिक, पन्ना, मोती तथा जड़ी-बूटियों में केशर, कस्तूरी, अम्बर, अश्वगंधा, अमृता, शंखपुष्पी, मूसली आदि का विशेष भोग लगाया लगाया जाता है.

भगवान की मूर्ति के आस-पास विशेष सुगंधित प्रभावकारी विशेष फूल जो की हिमालय से मंगवाए जाते हैं. इसमें आर्किड, लिली, गुलाब, ग्लेडियोलस, रजनीगंधा, तुलसी, गेंदा से श्रृंगार कर भव्य आरती कर आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाता है. दर्शन के लिए देश ही नहीं विदेशों से श्रद्धालुओं का आगमन यहां होता है. लोग दर्शन पाकर अपने को आरोग्य एवं स्वस्थ जीवन जीने का अमृत रूपी प्रसाद पाकर धन्य हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि इस दौरान राजवैद्य पंडित शिव कुमार शास्त्री के पुत्र पंडित रामकुमार शास्त्री, नंदकुमार शास्त्री, समीर कुमार शास्त्री एवं प्रपौत्र उत्पल शास्त्री, आदित्य, मिहिर एवं पवन सिंह उपस्थित रहेंगे.

Also Read: दीपावली पर अपने दोस्तों-रिश्तेदारों को उपहार में न दें ये चीजें, बिगड़ जाएंगे भाग्य के ग्रह-नक्षत्र

रिपोर्ट : विपिन सिंह

Next Article

Exit mobile version