Dhoni Retired : बक्सर के डुमरांव से जुड़ी है धोनी की यादें, पुआल व दरी बिछाकर सोते और खेली थी ताबड़तोड़ पारी…

Dhoni retirement, बक्सर: 30 जनवरी 1998 का दिन था, जब बक्सर जिले के दुल्लहपुर गांव के जन्में आइपीएस अधिकारी शहीद रविकांत सिंह की स्मृति में आयोजित टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल मैच चल रहा था. पहले बल्लेबाजी करते हुए टाइफोन जिम वाराणसी की टीम ने 197 रनों का लक्ष्य रखा था ,जिसका पीछा सेल रांची की टीम कर रही थी. बनारस की तरफ से धर्मेंद्र मिश्रा खतरनाक गेंदबाजी कर रहे थे. जिसके चलते रांची के विकेट धड़ाधड़ गिरते जा रहे थे लेकिन एक छोर से बल्लेबाजी को लंबे बालों वाला महेंद्र नाम का एक लड़का संभाले हुए था, उसके गगनचुंबी छक्के देख डुमरांववासी हैरान थे. क्योंकि 2 छक्के राज उच्च विद्यालय के बड़े मैदान और भवन को पार करते हुए सड़क पर जा गिरे थे, उसने कुल 55 रन बनाए लेकिन सेल की टीम कुल 171 रन ही बना पायी और क्वार्टर फाइनल मैच हार गयी. मैन ऑफ दी मैच बनारस के खिलाड़ी धर्मेंद्र मिश्रा को दिया गया, लेकिन लोगों के दिलों को सेल की तरफ से धाकड़ बल्लेबाजी करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने जीत लिया.

By Prabhat Khabar News Desk | August 18, 2020 9:48 AM
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बक्सर: 30 जनवरी 1998 का दिन था, जब बक्सर जिले के दुल्लहपुर गांव के जन्में आइपीएस अधिकारी शहीद रविकांत सिंह की स्मृति में आयोजित टूर्नामेंट का क्वार्टर फाइनल मैच चल रहा था. पहले बल्लेबाजी करते हुए टाइफोन जिम वाराणसी की टीम ने 197 रनों का लक्ष्य रखा था ,जिसका पीछा सेल रांची की टीम कर रही थी. बनारस की तरफ से धर्मेंद्र मिश्रा खतरनाक गेंदबाजी कर रहे थे. जिसके चलते रांची के विकेट धड़ाधड़ गिरते जा रहे थे लेकिन एक छोर से बल्लेबाजी को लंबे बालों वाला महेंद्र नाम का एक लड़का संभाले हुए था, उसके गगनचुंबी छक्के देख डुमरांववासी हैरान थे. क्योंकि 2 छक्के राज उच्च विद्यालय के बड़े मैदान और भवन को पार करते हुए सड़क पर जा गिरे थे, उसने कुल 55 रन बनाए लेकिन सेल की टीम कुल 171 रन ही बना पायी और क्वार्टर फाइनल मैच हार गयी. मैन ऑफ दी मैच बनारस के खिलाड़ी धर्मेंद्र मिश्रा को दिया गया, लेकिन लोगों के दिलों को सेल की तरफ से धाकड़ बल्लेबाजी करने वाले महेंद्र सिंह धोनी ने जीत लिया.

अब धोनी डुमरांववासियों के लिए एक गौरव के रूप में

उस समय डुमरांववासियों को यह उम्मीद नहीं थी कि तीन दिनों से लगातार उनके नगर में रहने वाला खिलाड़ी पूरे भारतीयों के दिल की धड़कन बन जाएगा. हालांकि रांची के हारने के पीछे सील टीम के मैनेजर दीपक घोष को जिम्मेवार ठहराया गया था. जिन्होंने अपने खेलने के चक्कर में तीन अच्छे खिलाड़ियों को जगह नहीं दिया था तथा स्वयं शून्य पर आउट हो गए थे. अब धोनी डुमरांववासियों के लिए एक गौरव के रूप में है.

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टीम के लिए होती थी साधारण व्यवस्था

शहीद रविकांत सिंह मेमोरियल टूर्नामेंट के आयोजक मंडल के वरिष्ठ सदस्य अरविंद कुमार चौरसिया ने बताया कि तब आर्थिक कारणों से टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले टीम के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था नहीं हो पाती थी. ऐसे में हरिजी हाता में बने केसरी भवन में खिलाड़ियों को रहने का इंतजाम किया जाता था. जाड़े का मौसम होने के चलते हैं. जमीन पर पुआल एवं दरी डालकर खिलाड़ियों को सोने की व्यवस्था की जाती थी लेकिन धोनी लोगों से जमीनी रूप से जुड़े थे. ऐसे में उन्होंने व्यवस्था को लेकर कोई शिकायत नहीं की थी.

धोनी को लिट्टी है बहुत पसंद: रामजी प्रसाद

डुमरांव थाना के सामने आज भी लिट्टी-चाय की दुकान चलाने वाले रामजी प्रसाद धोनी को यादों को ताजा करते हैं. उन्होंने प्रभात खबर को बताया कि टूर्नामेंट के लिए आने वाले टीम के सभी खिलाड़ियों के नाश्ता-खाना का इंतजाम किया करते थे. ’98 में धोनी उनके दुकान पर कई बार नाश्ता करने के लिए आए. उन्हें लिट्टी-सब्जी बहुत पसंद आता था तथा जमकर खाते थे. बातचीत में बहुत ही विनम्र थे तथा हंसकर बातें किया करते थे.

आज भी धोनी की यादों में है डुमरांव: प्रदीप कुमार सिंह

डुमरांव राज परिवार से जुड़े प्रदीप कुमार सिंह उर्फ रज्जू सिंह अपने रियल एस्टेट व्यवसाय के कारणों से धनबाद और रांची में रहते हैं .ऐसे में कुछ वर्ष पूर्व रांची से दिल्ली जाने के क्रम में प्लेन में उनकी मुलाकात महेंद्र सिंह धोनी से हो गयी थी. जब रज्जू ने बताया कि वह डुमरांव के रहने वाले हैं तो आश्चर्यजनक ढंग से धोनी डुमरांव को याद कर लिए तथा बताया कि वह कई वर्षों पूर्व डुमरांव खेलने गए थे. उन्होंने यह भी कहा कि हमारी टीम हार गयी थी. राज उच्च विद्यालय को याद करते हुए बताया कि उसका भवन लाल रंग का था तथा वहां के दर्शक बहुत ही अच्छे थे.

( रिपोर्ट-डॉ विष्णुदत्त दि्वेदी )

Posted by : Thakur Shaktilochan Shandilya

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