Jharkhand News: कोरोना के दौरान कई युवा हुए डायबिटीज के शिकार, 10 फीसदी मरीज 25 साल से नीचे
कोरोना के दौरान कई डायबिटीज के शिकार हुए हैं, एक हफ्ता में तीन से चार नये युवा मरीज हर रोज इलाज कराने पहुंच रहे हैं. आकड़ों पर नजर डाले तो 10 फीसदी डायबिटीज के मरीज 25 साल से नीचे के हैं.
रांची : कोरोना संकट के ढाई सालों में युवा बड़ी संख्या में डायबिटीज से पीड़ित होने लगे हैं. कोरोना से ठीक हुए या बचे लोगों को नयी स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं. राजधानी के डायबिटीज रोग विशेषज्ञों के क्लीनिक या उनके अस्पतालों के ओपीडी रिकॉर्ड (एक हफ्ता का) की मानें, तो टाइप-टू डायबिटीज के 10 से 12 युवा परामर्श लेने आ रहे है.
वहीं टाइप-वन के एक हफ्ता में तीन से चार नये युवा मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं, जबकि पहले एक महीना में एक नया युवा मरीज परामर्श लेने आता था. देश के बड़े एंडोक्राइनोलॉजिस्ट ने अपने शोध का डाटा जारी कर इस नयी मुसीबत की जानकारी दी है. उन्होंने अपने-अपने राज्यों के डाटा में बताया है कि 10 फीसदी डायबिटीज के मरीज 25 साल से नीचे के हैं.
झारखंड में बढ़ जायेंगे डायबिटीज पीड़ित युवा :
विशेषज्ञ डॉक्टर जब युवाओं में शुगर लेवल की जांच कर रहे हैं, तो यह काफी अधिक पाया जा रहा है. कई में शुगर के साथ-साथ मोटापा भी कारण माना जा रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर यही हाल रहा, तो आनेवाले कुछ समय में डायबिटीज पीड़ित युवा मरीजों की संख्या झारखंड में बढ़ जायेगी.
वर्तमान समय में डायबिटीज के आठ से 10 फीसदी मरीज हैं, जो पिछले दो साल में तेजी से बढ़ रहे हैं. आइसीएमआर ने भी अपनी जारी रिपोर्ट में इसे लेकर आगाह किया है. 20 से 30 साल की उम्र में डायबिटीज होने से युवाओं को 40 से 45 साल की उम्र में हार्ट, किडनी, आंख की बीमारी के अलावा पैर में गंभीर घाव होने का खतरा होगा.
कोरोना काल में 20 से 30 साल के युवाओं में डायबिटीज की बीमारी बढ़ी है. टाइप-वन और टाइप-टू दोनों के मरीज बढ़े हैं. पहले टाइप-टू के दो से तीन मरीज ही परामर्श लेने आते थे, लेकिन अब हफ्ता में 10 से 12 आ रहे हैं. वहीं टाइप-वन के महीना में एक मरीज आते थे, लेकिन अब तीन से चार आ रहे हैं. आइसीएमआर ने भी सचेत किया है.
डॉ वीके ढ़ाढ़निया, डायबिटीज रोग विशेषज्ञ आर्किड
Posted By: Sameer Oraon