कोलकाता : सभी अटकलों को धता बताते हुए सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल कर न केवल बहुमत का आंकड़ा पार किया, बल्कि पिछले चुनावों से ज्यादा सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुई. यह चुनाव इसलिए भी याद रखा जायेगा कि इसमें प्रचार अभियान के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच जमकर वाकयुद्ध हुआ.
बंगाल की 292 में से 212 सीटें जीतने वाली ममता बनर्जी की पार्टी के वोट में भी इस बार वृद्धि हुई है. पार्टी को लगभग 48 प्रतिशत मत मिले हैं. उम्मीदवारों के कोरोना से पीड़ित होने के बाद दो निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान टाल दिया गया था. ममता बनर्जी ने अपने समर्थकों से कहा, ‘यह बंगाल के लोगों की जीत है.’ हालांकि, नंदीग्राम से वह खुद चुनाव हार गयीं.
ममता बनर्जी तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के करीब हैं. उन्होंने अपने समर्थकों से जश्न न मनाने को कहा. साथ ही कहा कि कोरोना काल में अपनी सेहत का ख्याल रखें. कोरोना को हराने के लिए बहुत काम करना है. इसलिए विजय जुलूस नहीं निकलेगा. जश्न मनायेंगे, लेकिन बड़े पैमाने पर नहीं. कोरोना संकट बीत जायेगा, तो ब्रिगेड परेड ग्राउंड में इस जीत का जश्न मनायेंगे.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने यह भी कहा कि राज्य में महामारी से निबटना उनकी प्राथमिकता होगाी. वहीं, प्रतिद्वंद्वी भाजपा की राज्य की सत्ता में काबिज होने की आकांक्षा अधूरी रह गयी और वह 77 सीटें ही जीत पायी. भाजपा के लिए यह वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव परिणाम के विपरीत है. तब इसने 18 लोकसभा सीट जीतकर 120 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में बहुमत हासिल किया था.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न था. उन्होंने भाजपा को जीत दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. पार्टी ने 200 से अधिक सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन वह इस आंकड़े के आसपास तक भी नहीं पहुंच पायी. भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपने कई सांसदों एवं केंद्रीय मंत्रियों को भी उतार दिया था.
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प्रधानमंत्री अपनी प्रचार सभाओं में बनर्जी पर निशाना साधते समय प्राय: ‘दीदी ओ दीदी’ कहते थे, लेकिन उनकी यह कटाक्ष शैली भी ममता बनर्जी को शिकस्त देने में योगदान नहीं दे पायी. पश्चिम बंगाल में 34 साल तक शासन करने वाला वाम मोर्चा और राज्य में दो दशक तक सत्ता में रही कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में औंधे मुंह गिरी है. कयास लगने लगे हैं कि ममता अब 2024 के आम चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए अन्य राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की कोशिश करेंगी.
Posted By : Mithilesh Jha