Bengal News: नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी में हिंदी के 60 हजार विद्यार्थियों की बढ़ी मुश्किलें, सीखनी होगी नयी भाषा
पश्चिम बंगाल अंतर्गत नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के करीब 60 हजार हिंदीभाषी विद्यार्थियों के सामने समस्या उत्पन्न हो गयी है. इन विद्यार्थियों को स्नातक की परीक्षा में हिंदी में उत्तर पुस्तिका लिखने पर रोक लगा दी गयी है. ACE शंकरी चक्रवर्ती के फरमान से हिंदीभाषी विद्यार्थियों की परेशानी बढ़ गयी है.
आसनसोल (पश्चिम बंगाल), शिवशंकर ठाकुर : नॉर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी की सहायक परीक्षा नियंत्रक (एसीई) शंकरी चक्रवर्ती के फरमान से पश्चिम बंगाल के छह जिले दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरदुआर, कूचबिहार, कालिम्पोंग और उत्तर दिनाजपुर स्थित एनबीयू के 50 में से 48 कॉलेजों में पढ़नेवाले करीब 60 हजार हिंदीभाषी विद्यार्थियों के सामने समस्या उत्पन्न हो गयी है. इन जिलों के कॉलेजों में स्नातक की परीक्षा में हिंदी में उत्तर पुस्तिका लिखने पर रोक लगा दी गयी है.
60 हजार हिंदीभाषी विद्यार्थियों के समक्ष समस्या
उत्तर बंगाल के जिलों में हिंदी को लेकर आंदोलन करनेवाली संस्था अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष तेज कुमार टोप्पो ने बताया कि इन जिलों में 70 से 80 फीसदी की आबादी गैर बांग्लाभाषी है. इनमें आदिवासी, बिहारी, मारवाड़ी, नेपाली आदि विभिन्न समुदाय के लोग शामिल हैं. यहां हिंदी माध्यम में शिक्षा व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से चल रही है. गैर बांग्लाभाषी विद्यार्थियों में 90 फीसदी हिंदी माध्यम से स्नातक की पढ़ाई करते हैं. अनुमान के अनुसार, ऐसे विद्यार्थियों की संख्या करीब 60 हजार है.
नये फरमान से हिंदीभाषी विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर
जानकारी के अनुसार, अब तक गैर हिंदी कॉलेजों में पढ़नेवाले हिंदी माध्यम के विद्यार्थी स्नातक की परीक्षा में उत्तर पुस्तिका हिंदी भाषा में लिखते आये हैं. इस नये फरमान से उनका भविष्य दांव पर लग गया है. अब उन्हें बांग्ला, नेपाली या अंग्रेजी यह तीन भाषाओं में अपनी उत्तर पुस्तिका लिखनी होगी. तेज कुमार टोप्पो बताते हैं, इस फरमान को कभी भी बर्दाश्त नहीं किया जायेगा. इससे विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद हो जायेगा. जो हिंदी भाषा में पढ़ते लिखते आये हैं, उन्हें अचानक से अन्य भाषा में उत्तर पुस्तिका लिखना काफी जटिल कार्य होगा. इससे विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद हो जायेगा. विश्वविद्यालय के इस तुगलगी फरमान के खिलाफ हिंदीभाषी एकजुट होकर आंदोलन करेंगे.
क्या है पूरा मामला
एनबीयू की सहायक परीक्षा नियंत्रक शंकरी चक्रवर्ती ने 30 जनवरी, 2023 को एक अधिसूचना जारी की. इसमें कहा गया कि एनबीयू अधीन सिर्फ दो कॉलेज बिरसा मुंडा कॉलेज और बानरहाट कार्तिक उरांव राजकीय हिंदी महाविद्यालय के अलावा अन्य किसी कॉलेज में परीक्षा से पहले सही प्रश्नपत्र का चुनाव रजिस्ट्रेशन के दौरान ही कर लें. हिंदी में उत्तर पुस्तिका लिखने पर वह रद्द कर दी जायेगी. इस अधिसूचना के खिलाफ राज्य भर के हिंदीभाषियों में गोलबंद होने के संभावना बन गयी है. हिंदीभाषी इस अधिसूचना को राज्य सरकार द्वारा सीधे हिंदीभाषियों पर प्रहार मान रहे हैं.
यूनिवर्सिटी का लोगो हिंदी में लिखा है उत्तरबंग विश्वविद्यालय
एनबीयू के लोगो में ‘उत्तर बंगाल विश्वविद्यालय’ हिंदी में लिखा हुआ है. परिषद के अध्यक्ष कहते हैं कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में हिंदीभाषी छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्रश्नपत्र मुहैया कराने को लेकर आदिवासी विकास परिषद ने पांच दिनों तक जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग में प्राइमरी से लेकर कॉलेज स्तर तक सभी शिक्षण प्रतिष्ठानों को बंद करा दिया था. इसके उपरांत राज्य में हिंदीभाषी छात्रों के लिए हिंदी में प्रश्नपत्र दिये जाने की सुविधा मिली. अब इस बार भी संगठन रणनीति के तहत आंदोलन शुरू करेगा.
विरोध में परिषद ने पांच दिनों तक कई शिक्षण संस्थान कराया था बंद
परिषद के अध्यक्ष कहते हैं कि माध्यमिक और उच्च माध्यमिक में हिंदीभाषी छात्रों के लिए हिंदी भाषा में प्रश्नपत्र मुहैया कराने को लेकर आदिवासी विकास परिषद ने पांच दिनों तक जलपाईगुड़ी और दार्जिलिंग में प्राइमरी से लेकर कॉलेज स्तर तक सभी शिक्षण प्रतिष्ठानों को बंद करा दिया था. इसके बाद राज्य में हिंदीभाषी छात्रों के लिए हिंदी में प्रश्नपत्र दिये जाने की सुविधा मिली. अब इस बार भी संगठन रणनीति के तहत आंदोलन शुरू करेगा.