पश्चिम बंगाल के विपक्ष के नेता दिलीप घोष को बुधवार की रात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फोन आया था. जिसके बाद दिलीप घोष गुरुवार की सुबह दिल्ली के लिए रवाना हुए. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री गुरुवार शाम को अपने आवास पर दिलीप के साथ बैठक कर सकते हैं. गौरतलब है कि उस बैठक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी को कोई फोन नहीं आया था. दिलीप घोष को आखिरकार अचानक क्यों बुलाया गया या फिर हाल ही में पार्टी के सभी पद गंवाने वाले बंगाल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व अखिल भारतीय उपाध्यक्ष दिलीप का सम्मान करना ही केंद्रीय नेतृत्व का मकसद है ? प्रदेश बीजेपी के भीतर तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गई हैं ?
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में बंगाल का दौरा किया था. कुल तीन कार्यक्रमों में जेपी नड्डा की दिलीप घोष से मुलाकात हुई थी. दिलीप घोष नियमित रूप से राज्य भाजपा कोर कमेटी की बैठक और सांसदों और विधायकों के साथ नड्डा की बैठक में उपस्थित रहते थे. वहां भी उन्होंने कुछ खास नहीं कहा. आमतौर पर वह संगठनात्मक बैठक में मौजूद रहते हैं, लेकिन पिछले शनिवार और रविवार को न्यू टाउन के होटल में हुई बैठक में वह मौन रहे. जिसे देखकर कई लोगों को लगा कि दिलीप थोड़े ‘अहंकारी’ हैं.
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29 जुलाई को दिलीप को पार्टी पद से ‘मुक्त’ कर दिया गया. उनकी एकमात्र पहचान मेदिनीपुर का सांसद बनी. केंद्रीय बीजेपी की ओर से आधिकारिक तौर पर कोई कारण नहीं बताया गया है कि दिलीप को पार्टी के सभी पदों से क्यों हटाया गया है. हालांकि, दिलीप ने खुद कहा, यह फैसला लिया गया है कि लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के सांसदों को संगठनात्मक कर्तव्यों से हटा दिया जाएगा. यह कदम इसलिए है ताकि सांसद अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में अधिक समय बिता सकें. हालांकि राज्य भाजपा ने अन्य चर्चाएं कीं. कई लोगों ने कहा कि दिलीप को पद से इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने बार-बार केंद्रीय नेतृत्व के प्रतिबंध की अवहेलना की और अपने रास्ते चले.
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संयोग से 31 जून, 2022 को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा दिलीप को ‘सेंसर’ कर दिया गया था. उनकी ओर से यह पत्र नड्डा ने नहीं, बल्कि पार्टी के महासचिव और मुख्यालय के कार्यवाहक नेता अरुण सिंह ने भेजा था. पत्र मिलने के बाद दिलीप कुछ दिनों तक चुप रहे. हालांकि पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान वह बाकी नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे थे. लेकिन उस संघर्ष के दौरान उन्हें पार्टी पद से हटा दिया गया. राज्य भाजपा के अंदर कई लोगों का कहना है कि निष्कासन का कारण जो भी हो, दिलीप “क्रोधित” हैं. अपने लोकसभा क्षेत्र से बाहर विशेष कार्यक्रम नहीं ले जा रहे हैं. हालांकि, राज्य भाजपा द्वारा गुरुवार को जारी धूपगुड़ी उपचुनाव के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में दिलीप का नाम है। इसी बीच शाह ने दिलीप को बुलाया.
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गुरुवार शाम को दिल्ली में प्रस्तावित बैठक को लेकर प्रदेश भाजपा में कई तरह की राय है. कुछ लोगों का कहना है कि बंगाल दौरे के दौरान नड्डा ने दिलीप से कोई चर्चा नहीं की, लेकिन बाद में दिल्ली में उन्होंने कहा होगा कि राज्य के संगठन के लिए दिलीप की जरूरत है. अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र से परे दिलीप को लोकसभा चुनावों के लिए राज्य में कहीं और इस्तेमाल करने की आवश्यकता है इसीलिए शाह दिलीप से अलग से बात करना चाहते हैं. केंद्रीय बीजेपी के बंगाल की सीटें जीतने के लक्ष्य को सफल बनाने के लिए किस तरह की प्लानिंग की जरूरत है, इस पर भी चर्चा हो सकती है. कुल मिलाकर दिलीप का ‘अपमान’ और बंगाल में ताकत बढ़ाने के लिए उनका इस्तेमाल करना बैठक की मुख्य चर्चा होगी. दिलीप के करीबियों का कहना है कि केंद्रीय नेता अच्छी तरह जानते हैं कि दिलीप बंगाल के सबसे ‘सफल’ नेता हैं. प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान पार्टी ने लोकसभा या विधानसभा में महत्वपूर्ण परिणाम दिये. उन्होंने खुद भी जीत हासिल की और टीम को भी जीत दिलाई.
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