Dilip Kumar 101 Birth Anniversary: सुपरस्टार दिलीप कुमार की 101वीं जयंती है. अपने लंबे करियर में, अभिनेता ने कई हिट फिल्मों में अभिनय किया है. उन्होंने अपनी उम्दा एक्टिंग के दम पर सिनेमा जगत के इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज करवाया. सिल्वर स्क्रीन के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार को कई नामों से जाना जाता था. कुछ लोगों के लिए वह मुगल-ए-आजम के सलीम थे. दूसरों के लिए, वह देव थे, क्योंकि वह शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के इसी नाम के उपन्यास के रीमेक में देवदास की भूमिका निभाने वाले दूसरे अभिनेता बन गए. आज उनके 101वें जन्म जयंती पर हम आपको बताएंगे कि दिलीप कुमार का असली नाम आखिर क्या था और किसने उनके नाम को बदला और क्यों. दरअसल, दिवंगत अभिनेता दिलीप कुमार का स्क्रीन नाम निर्माता देविका रानी द्वारा दिया गया था. अभिनेता का जन्म पाकिस्तान के पेशावर में एक अवान परिवार में मुहम्मद यूसुफ खान के रूप में हुआ था.
मुहम्मद यूसुफ खान ने नाम बदलकर दिलीप कुमार क्यों रखा?
11 दिसंबर, 1922 को पेशावर (अब पाकिस्तान में) के लाला गुलाम सरवर खान और उनकी पत्नी आयशा बेगम के घर मुहम्मद यूसुफ खान के रूप में जन्मे दिलीप कुमार ने निर्माता देविका रानी के अनुरोध पर एक स्क्रीन नाम चुना. बाद में निर्माता ने उन्हें 1944 की फिल्म ज्वार भाटा में मुख्य भूमिका दी. अपनी आत्मकथा, दिलीप कुमार: द सबस्टेंस एंड द शैडो में, अनुभवी अभिनेता ने खुलासा किया था कि उन्होंने अपना नाम क्यों बदला. दिवंगत एक्टर ने लिखा, “उन्होंने (देविका रानी) ने बिल्कुल तथ्यात्मक रूप से कहा, ‘यूसुफ, मैं एक अभिनेता के रूप में जल्द ही आपके लॉन्च के बारे में सोच रही थी और मुझे लगा कि अगर आपने एक स्क्रीन नाम अपनाया तो यह बुरा विचार नहीं होगा. आप जानते हैं , एक ऐसा नाम जिससे आप जाने जाएंगे और जो आपके दर्शकों के लिए बहुत उपयुक्त होगा और जो आपकी स्क्रीन उपस्थिति के माध्यम से आपकी रोमांटिक छवि के अनुरूप होगा. मुझे लगा कि दिलीप कुमार एक अच्छा नाम है. यह मेरे मन में तभी आया जब मैं आपके लिए एक दूसरे नाम के बारे में सोच रहा था. यह आपको कैसा लगता है?”
दिलीप कुमार का करियर
दिलीप कुमार ने बॉम्बे टॉकीज की ओर से निर्मित फिल्म ज्वार भाटा (1944) से एक अभिनेता के रूप में शुरुआत की. जुगनू (1947) में उनकी पहली बॉक्स ऑफिस हिट थी. इसके बाद अभिनेता ने अंदाज (1949), आन (1952), दाग (1952), इंसानियत (1955), आजाद (1955), नया दौर (1957), मधुमती (1958), पैगाम (1959), कोहिनूर (1960), मुगल-ए-आजम (1960), गंगा जमना (1961), राम और श्याम (1967) जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया. उन्होंने दास्तान (1972), सगीना (1974), बैराग (1976), क्रांति (1981), विधाता (1982), शक्ति (1982), कर्मा (1986), सौदागर (1991) में भी अपनी दमदार एक्टिंग से सभी का दिल जीता.उनकी आखिरी ऑन-स्क्रीन उपस्थिति असफल किला (1998) में थी, जिसमें उन्हें दोहरी भूमिका में देखा गया था.
दिलीप कुमार के बारे में
7 जुलाई, 2021 को, खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे अभिनेता का मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया था. उन्होंने 1966 में अभिनेत्री सायरा बानो से शादी की थी, जब वह उनसे 22 साल छोटी थीं. 1922 में पेशावर – जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है – में मोहम्मद यूसुफ खान के रूप में जन्मे दिलीप कुमार 1940 और 1960 के दशक के बीच भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग में एक प्रमुख सितारे बन गए, उन्होंने 50 साल के करियर में लगभग 60 फिल्मों में अभिनय किया.
दिलीप कुमार के बारे में ये बातें शायद ही जानते होंगे आप
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दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर, 1922 को ब्रिटिश भारत के किस्सा खवानी पेशावर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है.
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दिलीप कुमार ने एक बार अपनी फिल्म बैराग में तीन किरदार निभाए थे.ऐसी भूमिका निभाने वाले वह अपनी पीढ़ी के एकमात्र अभिनेता थे.
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वह सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित होने वाले पहले अभिनेता थे. वह 1955, 1956 और 1957 में लगातार तीन वर्षों तक पुरस्कार पाने वाले एकमात्र व्यक्ति थे.
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दिलीप कुमार पश्तो, हिंदको, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी सहित कई भाषाओं में पारंगत थे.