धनबाद में बैसाखी के सहारे आपदा प्रबंधन विभाग, जानें पूरा मामला

धनबाद में नाम के लिए चल रहा है आपदा प्रबंधन विभाग. विभाग के पास ना कोई साधन और ना ही कर्मी. सिर्फ दो अधिकारी हैं जो पूर्ण रूप से विभाग का काम देखते हैं. कोई बड़ी घटना होने पर आपदा विभाग की याद आती है. कई निर्णय होते हैं. फिर सब ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 19, 2023 9:34 AM

आपदा की आशंकाओं के दृष्टिकोण से धनबाद जिला हाई रिस्क जोन में आता है. यहां अक्सर घटनाएं होती रहती हैं. जब बड़ी घटनाएं होती हैं तो आपदा प्रबंधन विभाग को मजबूत करने के लिए कई घोषणाएं होती हैं. बैठक में निर्णय भी लिए जाते हैं. फिर सब भुला दिया जाता है. यहां जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार (डीडीएमए) गठित है. उपायुक्त इसके पदेन अध्यक्ष हैं. अपर समाहर्ता पदेन सीइओ हैं. इसी तरह अंचलों में भी सीओ की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन कार्यरत है. लेकिन, जिला स्तर पर भी आपदा विभाग में कोई सुविधा नहीं है. एक वाहन तक नहीं है. यहां एक जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी एवं एक इंजीनियर पदस्थापित हैं.

एनडीआरएफ टीम तैनात करने की है अनुशंसा : धनबाद जिला के कोलियरी क्षेत्रों तथा डैम, फॉल में अक्सर होने वाली घटनाओं को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से एनडीआरएफ या एसडीआरएफ की एक टुकड़ी तैनात करने की अनुशंसा वर्षों से लंबित है. एक दशक पहले यहां एनडीआरएफ का ट्रेनिंग सेंटर खोलने का प्रस्ताव भी तैयार हुआ था. बाद में यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया. यहां कई बार बड़ी घटना होने पर रांची से एनडीआरएफ टीम को बुलाना पड़ता है. इससे रेस्क्यू कार्य प्रभावित भी होता है.


संकरी गली में शहर का मार्केट, छोटी-सी चिंगारी से हो सकता है बड़ा हादसा

धनबाद : आशीर्वाद टावर व हाजरा क्लिनिक अग्निकांड में 19 लोगों की की मौत के बाद सोमवार की रात केंदुआ में अगलगी की घटना में तीन लोगों की मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है. इन घटनाओं से भी हमलोग सबक नहीं ले रहे हैं. जब घटना घटती है तो जांच टीम बनती है. जांच भी होती है लेकिन कुछ फलाफल नहीं निकलता. जांच रिपोर्ट फाइलों में ही सिमट कर रह जाती है. इसके लिए विभाग के साथ हम भी दोषी हैं. सड़क का अतिक्रमण कर दुकानदार उसे संकरी बना देते हैं. धनबाद में कई ऐसे मार्केट हैं, जहां दमकल की गाड़ियां नहीं पहुंच पाती है. झरिया पटाखाकांड को ही लें. 25 अक्तूबर 1992 में पटाखा दुकान में आग लगने से लगभग 60 लोगों की मौत हो गयी थी. इस घटना को याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं. वहीं 28 जनवरी 2023 को हाजरा क्लिनिक में अगलगी की घटना में पांच लोगों की मौत हो गयी. इसके तीन दिन बाद ही 31 जनवरी 2023 को आशीर्वाद टावर में अगलगी की घटना में 14 लोगों की मौत हो गयी थी. तीन बड़ी घटनाओं के बाद भी प्रशासन कुछ नहीं सीख पाया. 13 नवंबर 2023 को केंदुआ में अगलगी से तीन लोगों की मौत हो गयी. शहर में लगातार घटनाएं घट रही हैं और प्रशासन ठोस कदम नहीं उठा रहा है.

हीरापुर हटिया में दमकल वाहन जाने की जगह नहीं : हीरापुर हटिया में दमकल वाहन जाने की जगह नहीं है. यहां छोटी-बड़ी पांच सौ दुकानें हैं. हीरापुर मुख्य सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ दुकानदारों ने अतिक्रमण कर लिया है. स्थिति यह है कि बड़ी गाड़ियां इस मार्ग से नहीं गुजरती हैं. पांच नवंबर 2019 की घटना को लें. देर रात यहां कपड़े की दुकान में आग लग गयी थी. यहां के दुकानदारों ने अग्निशामक विभाग को सूचना दी. काफी मशक्कत के बाद भी दमकल की गाड़ी हीरापुर हटिया पहुंच नहीं पायी. देखते-देखते 15 लाख के कपड़े जलकर राख हो गये.

पुराना बाजार में अतिक्रमण, हो सकता है बड़ा हादसा

धनबाद का सबसे पुराना मार्केट है पुराना बाजार. यहां छोटी-बड़ी 2200 दुकानें हैं. खुदरा से लेकर होलसेल की दुकानें हैं. रोज करोड़ों का कारोबार होता है. सड़क पर अतिक्रमण यहां की सबसे बड़ी समस्या है. अतिक्रमण के कारण बड़ी गाड़ियां यहां से नहीं गुजरती हैं. रतनजी रोड व दरी मुहल्ला में बड़ी-बड़ी बिल्डिंग व प्रतिष्ठान हैं. वहीं सब्जी का बड़ा मार्केट है. यहां करीब पांच सौ खुदरा की दुकानें हैं. पुराना बाजार में चार बार अगलगी की घटनायें घट चुकी हैं. सड़क संकरी होने के कारण दमकल की गाड़ी यहां पहुंच नहीं पायी और लाखों का सामान जल गया.

होलसेल मार्केट है रांगाटांड़, सड़कें संकरी होने से लगता है जाम

धनबाद में होलसेल मार्केट के रूप में रांगाटांड़ मार्केट की अलग पहचान है. यहां 200 के आसपास दुकानें हैं. माल व शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी है. रोज यहां करोड़ों का कारोबार होता है. इतने बड़े मार्केट में सड़क की स्थिति दयनीय है. सड़क पर अतिक्रमण के कारण हमेशा जाम लगा रहता है. दमकल वाहन व बड़ी गाड़ियां नहीं आ पाती. मार्केट में जगह-जगह बिजली के पोल पर तारों का मकड़जाल है. शॉट सर्किट के कारण यहां कई बार अगलगी की घटना घट चुकी है.

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