Diwali 2020 Lakshmi pujan muhurat, pujan vidhi : लक्ष्मी पूजा का टाइम, दिवाली पूजा विधि और शुभ मुहूर्त दीये जलाने का, जानिए सभी जानकारियां यहां पर

Diwali puja time, Lakshmi pujan 2020, pujan vidhi, mantra, samagri : 499 साल के बाद ऐसा योग आज बन रहा है. दिवाली पर इस बार बहुत ही उत्तम योग बन रहा है. आज पूजन के कई मुहूर्त होने से श्रद्धालुओं को सौभाग्य और समृद्धि के अधिक अवसर मिलेंगे. 14 नवंबर को शनिवार है और अमावस्या की शुरुआत दोपहर में हो रही है. सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इस बार लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेयस्कर होगा. काली पूजा अमावस्या की मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है. इस बार स्थिर लग्न में लक्ष्मी कुबेर पूजन का पूजन किया जाएगा. दीपावली पर शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग सुबह से लेकर रात 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. दिवाली सर्वार्थसिद्धियोग के साथ ग्रहों की स्थिति भी बहुत उत्तम है. इस बार दिवाली पर शुक्र बुध की राशि कन्या में , शनिदेव स्वराशि मकर में ,राहु शुक्र की राशि वृष में तो केतु मंगल की राशि वृश्चिक में मौजूद हैं. आज सूर्य तुला राशि में रहेंगे और चंद्रमा शुक्र की राशि तुला में ,पराक्रम कारक ग्रह मंगल गुरु की राशि मीन में , बुध शुक्र की राशि तुला में हैं. ग्रहों की ऐसी स्थिति 499 साल पहले 1521 में थी. दिवाली का पूजन स्थिर लग्न में करना अच्छा होता है. आइए जानते है दिवाली का पूजन मुहूर्त, पूजा विधि के साथ पूरी डिटेल्स...

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 14, 2020 6:03 PM
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मुख्य बातें

Diwali puja time, Lakshmi pujan 2020, pujan vidhi, mantra, samagri : 499 साल के बाद ऐसा योग आज बन रहा है. दिवाली पर इस बार बहुत ही उत्तम योग बन रहा है. आज पूजन के कई मुहूर्त होने से श्रद्धालुओं को सौभाग्य और समृद्धि के अधिक अवसर मिलेंगे. 14 नवंबर को शनिवार है और अमावस्या की शुरुआत दोपहर में हो रही है. सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इस बार लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल, वृषभ लग्न और सिंह लग्न में करना श्रेयस्कर होगा. काली पूजा अमावस्या की मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है. इस बार स्थिर लग्न में लक्ष्मी कुबेर पूजन का पूजन किया जाएगा. दीपावली पर शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग सुबह से लेकर रात 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. दिवाली सर्वार्थसिद्धियोग के साथ ग्रहों की स्थिति भी बहुत उत्तम है. इस बार दिवाली पर शुक्र बुध की राशि कन्या में , शनिदेव स्वराशि मकर में ,राहु शुक्र की राशि वृष में तो केतु मंगल की राशि वृश्चिक में मौजूद हैं. आज सूर्य तुला राशि में रहेंगे और चंद्रमा शुक्र की राशि तुला में ,पराक्रम कारक ग्रह मंगल गुरु की राशि मीन में , बुध शुक्र की राशि तुला में हैं. ग्रहों की ऐसी स्थिति 499 साल पहले 1521 में थी. दिवाली का पूजन स्थिर लग्न में करना अच्छा होता है. आइए जानते है दिवाली का पूजन मुहूर्त, पूजा विधि के साथ पूरी डिटेल्स…

लाइव अपडेट

कैसे करें ऑफिस में लक्ष्मी पूजा

व्यवसाय को बढ़ाने तथा सुख-समृद्धि के साथ अपना कारोबार बढ़ाने के लिए दीपावली (Dipawali) के दिन लक्ष्मी जी और गणेशजी की पूजा विधिपूर्वक अवश्य करनी चाहिए. दीपावली पर ऑफिस (Diwali Puja at office) तथा घर में लक्ष्मी पूजा की विधि में थोड़ा- सा ही अंतर होता है. यह अंतर मात्र वस्तुओं के उपलब्ध होने और ना होने पर ही आधारित है। दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा चाहे घर पर करनी हो या मंदिर में या ऑफिस (Diwali Puja at Office in Hindi) में विधि एक ही होती है, इसमें बहेद मामूली अंतर ही होता है.

पूजा की सामग्री (Diwali Pooja Thali)

लक्ष्मी जी की पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं चाहिए होती है.

पूजा में आवश्यक साम्रगी (Important Things for Diwali Puja)

महालक्ष्मी पूजा या दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए.

लक्ष्मी मंत्र (Laxmi Mantra in Hindi)

लक्ष्मी जी की पूजा के समय निम्न मंत्र का लगातार उच्चारण करते रहना चाहिए:

ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: ॥

आज के शुभ चौघडिये

  • सुबह 8-18 बजे से 9-39 बजे तक शुभ का चौघडिया

  • दोपहर 12-22 बजे से 1-44 बजे तक चर का चौघडिया

  • दोपहर 1-44 बजे से 3-05 बजे तक लाभ का चौघडिया

  • दोपहर 3-05 बजे से 4-27 बजे तक अमृत का चौघडिया

  • शाम 5-49 बजे से 7-27 बजे तक लाभ का चौघडिया

  • रात 9-06 बजे से 10-44 बजे तक शुभ का चौघडिया

  • रात्री 10-44 बजे से 12-23 बजे तक अमृत का चौघडिया

  • मध्यरात्रि 12-23 बजे से 2-01 बजे तक चर का चौघडिया

  • रात्रि के अंत में 5-18 बजे से 6-57 बजे तक लाभ का चौघडिया

दीपक की मात्रा का रखें खास ख्याल

दीपक खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि घर में दीपकों की संख्या शुभ संख्या में होनी चाहिए. जैसे -51, 101, 151 आदि.

घर के मुख्य दरवाजे पर जलाएं दीपक

दिवाली की रात लोगों को देसी घी का दीपक घर के मुख्य द्वार पर जलाना चाहिए. यही वह स्थान है जहां से महा लक्ष्मी का आग्मन होगा.

कैसे करें पूजा

-सर्वप्रथम पूजा का संकल्प लें

-श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर का पूजन करें

-ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें

-एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें

-श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें

- देवी सूक्तम का पाठ करें

ज्योतिषियों की बीमार लोगों को सलाह

कोरोना प्रभावित केवल मानसिक पूजा करें। जो स्वस्थ भी हो चुके हैं वे भी धूप, अगरबत्ती, धुनी और आतिशबाजी से बचें।

व्यापारिक प्रतिष्ठान पूजा मुहूर्त

  • सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त अभिजित: दोपहर 12:09 से शाम 04:05 तक

  • लक्ष्मी पूजा 2020: चौघड़िया मुहूर्त

  • दोपहर: (लाभ, अमृत) 14 नवंबर की दोपहर 02:17 से शाम को 04:07 तक

  • शाम: (लाभ) 14 नवंबर की शाम को 05:28 से शाम 07:07 तक

  • रात्रि: (शुभ, अमृत, चल) 14 नवंबर की रात्रि 08:47 से देर रात्रि 01:45 तक

  • प्रात:काल: (लाभ) 15 नवंबर को 05:04 से 06:44 तक

लक्ष्मी पूजन के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

  • 14 नवंबर 2020

  • घर पर दिवाली पूजन

  • लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:28 से शाम 7:30 तक ( वृष, स्थिर लग्न)

  • प्रदोष काल मुहूर्त: 14 नवंबर की शाम 5:33 से रात्रि 8:12 तक

  • महानिशीथ काल मुहूर्त ( काली पूजा)

  • महानिशीथ काल मुहूर्त्त: रात्रि 11:39 से 00:32 तक।

  • सिंह काल मुहूर्त्त: रात्रि 12:15 से 02:19 तक।

नष्‍ट हो जाती है नकारात्‍मक ऊर्जा

हर दिन न‍ियमित रूप से दीपक जलाना चाहिए. मान्‍यता है जहां पर भी दीपक जलाया जाता है उस स्‍थान पर हमेशा ही सकारात्‍मकता बनी रहती है. इसका कारण दीपक के धुएं से वातावरण में उपस्थित हानिकारक कीटाणुओं का नष्‍ट होना माना जाता है. लेकिन ध्‍यान रखें कि कभी भी खंड‍ित दीपक न जलाएं.

मां लक्ष्मी जी के साथ करें श्रीयंत्र की पूजा

मां लक्ष्मी के साथ-साथ दिवाली में श्री यंत्र की पूजा भी की जाती है. 2020 की दीपावली में गुरु धनु राशि में रहेगा. यही कारण है कि श्री यंत्र की पूजा कच्चे दूध से करने से सभी राशि के जातकों को लाभ होगा. इधर, शनि अपनी मकर राशि में विराजमान होंगे. साथ ही साथ इस दिन अमावस्या का भी योग बन रहा है. ऐसे में इस दौरान भी तंत्र-यंत्र की पूजा करनी चाहिए. इस यंत्र को तांबे, चांदी और सोने किसी भी धातु पर बनाया जा सकता है. ऐसी मान्‍यता है कि श्रीयंत्र, मां लक्ष्मी का प्रिय यंत्र है, इसीलिए इसकी पूजा करने से देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

हर जगह नहीं रखें दीपक

जब भी पूजा करने बैठें तो सबसे पहले दीपक को अच्‍छे से साफ कर लें. इसके बाद अगर घी का दीपक जला रहे हैं तो उसे अपने बाएं हाथ की ओर रखें. लेकिन तेल का दीपक जला रहे हों तो उसे अपने दाएं ओर रखें.

दीप में देवताओं का बसता है तेज

धर्म ग्रंथों में इस दिन दीप जलाने का बड़ा ही महत्व बताया गया है. दीप में देवताओं का तेज बसता है. ऐसे ऋग्वेद में बताया गया है. इसलिए सकारात्मक ऊर्जा के संचार के लिए दीप जलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो यह हमेशा फायदेमंद हो सकता है.

499 साल बाद आज बन रहा है सर्वार्थ सिद्धि योग

दीपावली पर शनि स्वाति योग से सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है. यह योग सुबह से लेकर रात 8 बजकर 48 तक रहेगा. दिवाली सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ ग्रहों की स्थिति भी बहुत उत्तम है.

दीपमालिका पूजन

- एक थाली में 11, 21 या उससे ज्यादा दीपक जलाकर महालक्ष्मी के पास रखें.

- एक फूल और कुछ पत्तियां हाथ में लें. उसके साथ सभी पूजन सामग्री भी लें. इसके बाद ॐ दीपावल्यै नम: इस मंत्र बोलते हुए फूल पत्तियों को सभी दीपकों पर चढ़ाएं और दीपमालिकाओं की पूजा करें.

- दीपकों की पूजा कर संतरा, ईख, धान इत्यादि पदार्थ चढ़ाएं. धान का लावा (खील) गणेश, महालक्ष्मी तथा अन्य सभी देवी-देवताओं को भी अर्पित करें.

दीपावली पर होने वाली अन्य पूजा

दिवाली पर लक्ष्मीजी के साथ ही देहली विनायक (श्रीगणेश), कलम, सरस्वती, कुबेर और दीपक की पूजा भी की जाती है. मान्यता है कि ये दीपावली पूजा का ही हिस्सा है. इनकी पूजा से सुख, समृद्धि, बुद्धि और ऐश्वर्य मिलता है. साथ ही दीपों की पूजा से हर तरह के दुख और पाप खत्म हो जाते हैं.

दिवाली की शाम दीपक का महत्व

प्राचीन कथाओं में यह बताया जाता है कि दिवाली की रात श्री राम 14 सालों के बाद अयोध्या लौटकर आए थे और इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर उनके लिए रास्ता रौशन किया था.

पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जाप

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग ऋषिः सुतलं छन्दः कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।

त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥

ऊँ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोपि वा।

य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि:।।

पूजा विधि

सबसे पहले चौकी को साफ कर लें, उसके बाद उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और लक्ष्मी, गणेश एवं सरस्वती जी को स्थापित करें. पूजा के लोटे में जल भरकर उसमें गंगाजल मिलाएं. उस जल को प्रतिमाओं पर छिड़के साथ में पूरे घर में भी जल से छींटे मारे. हाथ में जल लेकर पूजा का संकल्प करें, फिर दीपक जलाएं.

दिवाली पूजन सामग्री की पूरी लिस्ट

मां लक्ष्मी की कमल पर बैठी और मुस्कुराती हुई प्रतिमा. गणेश जी की तस्वीर या प्रतिमा जिसमें उनकी सूंड बांयी ओर होनी चाहिए, इसके साथ में सरस्वती जी की प्रतिमा. कमल व गुलाब के फूल क्योंकि यह मां लक्ष्मी को प्रिय हैं. पान के डंडी वाले पत्ते जो कहीं से भी कटे-फटे न हो, रोली, सिंदूर और केसर, अक्षत यानि साबुत चावल जो बिलकुल भी खंडित न हो, पूजा की सुपारी, फल, फूल मिष्ठान, दूध, दही, शहद, इत्र और गंगाजल, कच्चे सूत वाला कलावा, धान का लावा (खील) बताशे, लक्ष्मी जी के समक्ष जलाने के लिए पीतल का दीपक और मिट्टी की दिए, तेल, शुद्ध घी और रुई की बत्तियां, तांबे या पीतल का कलश, एक पानी वाला नारियल, चांदी के लक्ष्मी गणेश स्वरुप के सिक्के, साफ आटा, लाल या पीले रंग का कपड़ा आसन के लिए. मंदिर लगाने के लिए चौकी और पूजा के लिए थाली.

दिवाली पूजा के शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल पूजा मुहूर्त- शाम को 5 बजकर 30 मिनट से लेकर शाम के 7 बजकर 07 मिनट तक 

निशीथ काल पूजा मुहूर्त-  रात्रि 08 बजे से रात 10 बजकर 50 मिनट तक होगा

अमृत मुहूर्त- 10 बजकर 30 मिनट पर, इसमें कनक धारा स्तोत्र का पाठ, श्री सूक्त का पाठ आदि कर सकते हैं.

महानिशीथ काल मुहूर्त- 08 बजकर अर्ध रात्रि के पश्चात 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. 

महानिशीथ काल मुहूर्त में ज्यादातर तंत्र साधना की जाती है.

पूजन सामग्री

रोली, मौली, पान, सुपारी, अक्षत, धूप, घी का दीपक, तेल का दीपक, खील, बताशे, श्रीयंत्र, शंख , घंटी, चंदन, जलपात्र, कलश, लक्ष्मी-गणेश-सरस्वतीजी का चित्र, पंचामृत, गंगाजल, सिन्दूर, नैवेद्य, इत्र, जनेऊ, कमल का पुष्प, वस्त्र, कुमकुम, पुष्पमाला, फल, कर्पूर, नारियल, इलायची, दूर्वा.

स्थिरलग्न में पूजन महूर्त

वृषभ राशि- शाम 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 30 मिनट के मध्य

सिंह राशि- रात 12:00 बजे से 2 बजकर 15 मिनट के मध्य

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