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इस दिवाली बन रहा है शुभ योग
इस बार दिवाली पर दुर्लभ संयोग बन रहा है. सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, बुध ग्रह और चंद्रमा ग्रह एक ही राशि में स्थित हैं. तुला राशि में इन चारों ग्रहों का एक साथ स्थित होना व्यक्ति के जीवन में शुभ परिणाम लेकर आने की वजह बन सकता है.
नौकरी में संकट के उपाय
नौकरी में संकट हो तो दिवाली के दिन एक नींबू को साफ कर सुबह के समय घर के मंदिर में रखें और रात के समय उसे सर से 7 बार वार के 4 भागों में काट लें. इसके बाद चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में एक-एक फेंक दें.
दिवाली पर लक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के उपाय
धनिया धन को आकर्षित करने वाली वनस्पति माना जाता है. भगवती लक्ष्मी को दीपावली के दिन धनिया के बीज और गुड़ अर्पित करना शुभ माना जाता है.
दिवाली के दिन तोहफे में भूलकर भी न दें ये चीज, नाराज हो सकती हैं मां लक्ष्मी
दिवाली के खास अवसर पर लोग एक-दूसरे को तोहफे देते हैं. लेकिन ध्यान रखें कि इस दिन किसी को भी चमड़े से बनी कोई भी चीज गिफ्ट न करें.
दिवाली पर इन चीजों का जरूर करें पूजन
यदि आपके घर में बरकत नहीं होती है तो दिवाली के दिन लाल चंदन, रोली और गुलाब के फूल को लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें. जब पूजन पूर्ण हो जाए तो बाद में इसकी पोटली बना लें और इस पोटली को धन स्थान पर रख दें. माना जाता है कि इससे फिजूल खर्च कम हो जाते हैं.
दिवाली पर इन चीजों का जरूर करें पूजन
यदि आपके घर में बरकत नहीं होती है तो दिवाली के दिन लाल चंदन, रोली और गुलाब के फूल को लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें. जब पूजन पूर्ण हो जाए तो बाद में इसकी पोटली बना लें और इस पोटली को धन स्थान पर रख दें. माना जाता है कि इससे फिजूल खर्च कम हो जाते हैं.
प्रदोष काल और निशिता काल (Diwali Puja Timings)
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा का निशिता काल मुहूर्त – रात 11बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
दीपावली पूजा मंत्र (Diwali 2021 Puja Mantra)
नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।
दिवाली पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन की तैयारी से पहले स्नान कर लें. पूजा से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए, घर को फूल, आम के पत्तों और रंगोली आदि से सजाना चाहिए. घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीपक जलाना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
कब करें दिवाली पर लक्ष्मी पूजन
धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जानी चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है. निशिता काल में यानी रात 12 बजे के आस-पास पूजा करना भी शुभ माना जाता है. इस समय तांत्रिक, पंडित और साधकों द्वारा पूजा की जाती है. इस अवधि में मां काली की पूजा की परंपरा है.
लक्ष्मी बीज मन्त्र (Diwali 2021 Lakshmi Beej Mantra)
ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
दिवाली पूजा मंत्र
मां लक्ष्मी मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र- ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कुबेर मंत्र-ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।
Diwali 2021: दिवाली 2021 पूजा सामग्री
लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल, आम के पत्ते, जल, कपूर, कलाव, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, धूप, जनेऊ, दक्षिणा (नोट और सिक्के), एक छोटी झाड़ू, आरती थाली.
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व
दीपावली के दिन शाम या रात के समय लक्ष्मी पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर भ्रमण करने आती हैं और प्रत्येक घर में विचरण करती हैं. इस दौरान जो घर साफ-सुथरा और प्रकाशवान होता है वहां देवी लक्ष्मी ठहर जाती हैं. इसलिए दिवाली से पहले ही घरों की अच्छी तरह से साफ-सफाई की जाती है.
लक्ष्मी आरती करने से पहले ये मंत्र बोलें
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥
अर्थ - जो पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मीरूप से, पापियों के यहाँ दरिद्रतारूप से, शुद्ध अन्त:करणवाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सत्पुरुषों में श्रद्धारूप से तथा कुलीन मनुष्य में लज्जारूप से निवास करती हैं, उन महालक्ष्मी को हम नमस्कार करते हैं. देवि! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये.
लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।
निवास स्थान पर मुहूर्त रात्रि कालीन मुहूर्त:
शाम 5:31 से 6:43 प्रदोष काल 6:10 से 8:04 वृषभ लग्न योग रात्रि साधना : 12:40 से 2:27 सिंह लग्न घर में दीपावली का पूजन प्रदोष काल उपरोक्त वर्णित स्थिर लग्न में ही श्रेष्ठ फलदाई होता है.
दिवाली पर माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए क्या करें
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन की तैयारी से पहले स्नान कर लें. पूजा से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए, घर को फूल, आम के पत्तों और रंगोली आदि से सजाना चाहिए. घर के प्रवेश द्वार के दोनों ओर दीपक जलाना चाहिए. कहते हैं कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
शाम 6:10 से 8:04 तक स्थिर लग्न में करें पूजन
- दिवाली के दिन दोपहर 1:45 से 3 बजे के बीच भी स्थिर लग्न (कुम्भ) रहेगा। इस मुहूर्त पर व्यापारिक प्रतिष्ठानों और खाताबहियों का पूजन होगा.
- व्यवसाय स्थलों और कार्यालयों पर दोपहर 1:45 से 3 बजे के बीच स्थिर लग्न का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा.
कब करें दिवाली पर लक्ष्मी पूजन
धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जानी चा. प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है. निशिता काल में यानी रात 12 बजे के आस-पास पूजा करना भी शुभ माना जाता है. इस समय तांत्रिक, पंडित और साधकों द्वारा पूजा की जाती है। इस अवधि में मां काली की पूजा की परंपरा है.
कब करें दिवाली पर लक्ष्मी पूजन
धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जानी चाहिए। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सबसे शुभ माना जाता है। निशिता काल में यानी रात 12 बजे के आस-पास पूजा करना भी शुभ माना जाता है। इस समय तांत्रिक, पंडित और साधकों द्वारा पूजा की जाती है। इस अवधि में मां काली की पूजा की परंपरा है।
ये दिवाली इन 4 राशि वालों के लिए रहेगी लकी
इस वर्ष दिवाली पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। 4 नवंबर को 4 ग्रह एक ही राशि में विराजमान हैं. सूर्य ग्रह, मंगल ग्रह, बुध ग्रह और चंद्र ग्रह चारों एक साथ तुला राशि में स्थित रहेंगे. इन चारों ग्रहों के एक साथ होने से कई राशि के लोगों को लाभ मिलेगा. लेकिन मुख्य रूप से ये स्थिति 4 राशि वालों के लिए विशेष रहने वाली है. माता लक्ष्मी की इन राशि के लोगों पर विशेष कृपा रहेगी.
दिवाली वाले दिन जरूरतमंदों का कुछ न कुछ दान जरूर करें
दिवाली पूजा के बाद अपनी श्रद्धा अनुसार और अपनी यथाशक्ति अनुसार जरूरतमंद लोगों के बीच खाने की चीज़ें, कपड़े, और अन्य जरूरी सामान दान करें.
दिवाली पर बन रहा है अद्भुत संयोग
दिवाली पर इस बार कई अद्भुत संयोग मिल रहे हैं. करीब चालीस साल बाद दिवाली पर रविपुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, महामंगल योग प्राप्त हो रहा है. हालांकि गुरुवार को दिवाली पूजन के लिए समय कम मिलेगा. शाम को 6:10 से स्थिर वृषभ लग्न में 8:04 तक पूजा की जा सकेगी.
कब मनाते हैं दिवाली? Diwali 2021
पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल होने पर दीपावली पूजा करने का विधान है. इस दिन देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती, मां काली और कुबेर देवता की पूजा होती है.
दिवाली पर इस बात का रखें विशेष ध्यान
घर के प्रवेश द्वार पर कहीं भी गंदगी नहीं रहने देना चाहिए. कहते हैं कि वरना मां लक्ष्मी का घर में आगमन नहीं होता है.
Diwali 2021 Astro Tips: दिवाली पर इन चीजों का जरूर करें पूजन
यदि आपके घर में बरकत नहीं होती है तो दिवाली के दिन लाल चंदन, रोली और गुलाब के फूल को लाल कपड़े पर रखकर पूजन करें. जब पूजन पूर्ण हो जाए तो बाद में इसकी पोटली बना लें और इस पोटली को धन स्थान पर रख दें. माना जाता है कि इससे फिजूल खर्च कम हो जाते हैं.
दिवाली पर इस बात का रखें विशेष ध्यान
घर के प्रवेश द्वार पर कहीं भी गंदगी नहीं रहने देना चाहिए. कहते हैं कि वरना मां लक्ष्मी का घर में आगमन नहीं होता है.
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व
दीपावली के दिन शाम या रात के समय लक्ष्मी पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर भ्रमण करने आती हैं और प्रत्येक घर में विचरण करती हैं. इस दौरान जो घर साफ-सुथरा और प्रकाशवान होता है वहां देवी लक्ष्मी ठहर जाती हैं. इसलिए दिवाली से पहले ही घरों की अच्छी तरह से साफ-सफाई की जाती है.
प्रदोष काल और निशिता काल (Diwali Puja Timings)
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल का मुहूर्त – शाम 5 बजकर 35 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक
लक्ष्मी पूजा का निशिता काल मुहूर्त – रात 11बजकर 38 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट तक
दिवाली पर उपयोग होने वाली पूजन सामग्री
मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, , शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद.
दीपावली पूजा मंत्र (Diwali 2021 Puja Mantra)
नमस्ते सर्वगेवानां वरदासि हरे: प्रिया।
या गतिस्त्वत्प्रपन्नानां या सा मे भूयात्वदर्चनात्।।
लक्ष्मी बीज मन्त्र (Diwali 2021 Lakshmi Beej Mantra)
ॐ श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।
मां लक्ष्मी-गणेश पूजन विधि-
सबसे पहले पूजा का संकल्प लें
श्रीगणेश, लक्ष्मी, सरस्वती जी के साथ कुबेर जी के सामने एक-एक करके सामग्री अर्पित करें
इसके बाद देवी-देवताओं के सामने घी के दीए प्रवज्जलित करें
ऊं श्रीं श्रीं हूं नम: का 11 बार या एक माला का जाप करें
एकाक्षी नारियल या 11 कमलगट्टे पूजा स्थल पर रखें
श्री यंत्र की पूजा करें और उत्तर दिशा में प्रतिष्ठापित करें
देवी सूक्तम का पाठ करें
लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता।
लक्ष्मी पूजा की विधि
- लक्ष्मी पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई अच्छी तरह कर लें. घर में गंगाजल का छिड़काव करें. पूरे घर को फूलों और रौशनी से सजाएं.
- मुख्य द्वार को फूलों और तोरण से सजाएं, मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं.
-पूजा स्थल पर एक चौकी रखें. उस पर लाल कपड़ा बिछाकर वहां मां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.
-चौकी के पास जल से भरा कलश भी रखें.
-माता लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा पर रोली से तिलक लगाएं. घी का दीपक जला कर रखें.
-जल, मौली, फल, अबीर-गुलाल, गुड़, हल्दी, चावल अर्पित करें.
- मिठाई का भोग लगाएं.
- पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें.
-पूजा पूरी करने के बाद अंत में माता लक्ष्मी की आरती करें.
लक्ष्मी आरती करने से पहले ये मंत्र बोलें -
या श्री: स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मी:
पापात्मनां कृतधियां हृदयेषु बुद्धि:।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नता: स्म परिपालय देवि विश्वम्॥
अर्थ - जो पुण्यात्माओं के घरों में स्वयं ही लक्ष्मीरूप से, पापियों के यहाँ दरिद्रतारूप से, शुद्ध अन्त:करणवाले पुरुषों के हृदय में बुद्धिरूप से, सत्पुरुषों में श्रद्धारूप से तथा कुलीन मनुष्य में लज्जारूप से निवास करती हैं, उन महालक्ष्मी को हम नमस्कार करते हैं. देवि! आप सम्पूर्ण विश्व का पालन कीजिये.
लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:35 AM से 07:58 AM
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 AM से 02:49 PM
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 04:11 PM से 05:34 PM
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 05:34 PM से 08:49 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:05 AM से 01:43 AM, नवम्बर 05
दिवाली पूजा मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त – 06:09 PM से 08:04 PM
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – 11:39 PM से 12:31 AM, नवम्बर 05
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 04, 2021 को 06:03 AM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
दिवाली पूजा मंत्र
मां लक्ष्मी मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र- ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कुबेर मंत्र-ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय।
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का महत्व
दीपावली के दिन शाम या रात के समय लक्ष्मी पूजा की जाती है. मान्यता के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या की रात को देवी लक्ष्मी स्वयं धरती पर भ्रमण करने आती हैं और प्रत्येक घर में विचरण करती हैं. इस दौरान जो घर साफ-सुथरा और प्रकाशवान होता है वहां देवी लक्ष्मी ठहर जाती हैं. इसलिए दिवाली से पहले ही घरों की अच्छी तरह से साफ-सफाई की जाती है.
दिवाली पूजन प्रदोष काल में किया जाता है
दिवाली पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं. आज दीपावली है. इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान गणेश की पूजा की जाती है. दिवाली हर साल कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. दिवाली पूजन प्रदोष काल में किया जाता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से मां लक्ष्मी की पूजा करता है उसके सारे दुख दूर हो जाते हैं.
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) - 06:35 amसे 07:58 ए एम
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 10:42 amसे 02:49 pm
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 04:11 pm से 05:34 pm
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) - 05:34 pm से 08:49 pm
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 12:05 amसे 01:43 ए एम, नवम्बर 05
Diwali 2021: दिवाली 2021 पूजा सामग्री
लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल, आम के पत्ते, जल, कपूर, कलाव, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, धूप, जनेऊ, दक्षिणा (नोट और सिक्के), एक छोटी झाड़ू, आरती थाली.