Diwali 2022: इस साल यानी 2022 में आज 24 अक्टूबर को दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है, पर क्या आपको पता है अगले साल यानी 2023 में किस दिन दीपावली मनाई जाएगी. साल 2023 में दिवाली 12 नवंबर दिन रविवार को मनाई जायेगी
पंचांग के मुताबिक कार्तिक मास की अमावस्या तिथि 12 नवंबर 2023 को दोपहर बाद 02 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन यानी 13 नवंबर सोमवार को दोपहर बाद 02 बजकर 56 मिनट तक रहेगी.
हिंदू पंचांग के मुताबिक, कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने का विधान है. ऐसे में साल 2023 में दिवाली 12 नवंबर को मनाना उचित होगा. हालांकि 13 को भी अमावस्या तिथि है. ऐसे में कुछ लोग दिवाली का पर्व 13 नवंबर को भी मना सकते हैं.
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 17:40:57 से 19:36:50 तक
अवधि : 1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल : 17:29:11 से 20:07:41 तक
वृषभ काल : 17:40:57 से 19:36:50 तक
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त : 23:39:02 से 24:31:52 तक
अवधि : 0 घंटे 52 मिनट
महानिशीथ काल : 23:39:02 से 24:31:52 तक
सिंह काल : 24:12:32 से 26:30:11 तक
दीपावली पर माता लक्ष्मी की पूजन करने का बेहद ही खास महत्व होता है. सनातन धर्म की पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन सभी जगह माता लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूजा की जाती है. समाज के सभी वर्गों के लोग अपने क्षेत्र में उन्नति के लिए पूजन कर माता लक्ष्मी से प्रार्थना करते हैं.
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सबसे पहले पूजा वाले स्थान अथवा मंदिर को पवित्र, शुद्ध और साफ करें.
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माता लक्ष्मी की मूर्ति या पाने को पूजा स्थान पर स्थापित करें.
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पूजन की थाली में सभी आवश्यक सामग्री जैसे अबीर, गुलाल, कुमकुम, सिंदूर और चावल आदि से पूजन की थाली को सजा लें.
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इसके बाद कलश स्थापना के लिए कलश के नीचे धान बिछाए और सर्वप्रथम कलश और गणपति जी का पूजन करें.
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माता लक्ष्मी की यदि मूर्ति हो तो उन्हें स्नान कराएं, पंचामृत से शुद्ध करें और उन्हें नए वस्त्र और आभूषण धारण कराएँ.
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उसके बाद माता लक्ष्मी का चंदन, सिंदूर, इत्र, चावल, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर पूजन करें.
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पूजा के दौरान घर के सभी आभूषण, धन आदि को पूजा स्थान पर रखना चाहिए.
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पूजन के बाद माता लक्ष्मी की आरती करना चाहिए.
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भगवान से आशीर्वाद लेकर अपने बेहतर भविष्य की मनोकामना भगवान से करना चाहिए.
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सभी को प्रसाद वितरित करना चाहिए.
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पूजा के बाद पूरे घर में द्वीप प्रज्वलित करना चाहिए.
दिवाली दूसरों को खुशियां देने और माफ करने का उत्सव है. दिवाली में लोगो के लिए अन्याय और द्वेष को भूल और क्षमा करने का प्रतिक है. इस त्यौहार पर लोग हर जगह खुलके, उत्सव और मित्रता की मिठास बाटते हैं.
दिवाली एक नई और कायाकल्प आत्मा के जन्म का प्रतीक है. दिवाली के दौरान एक खुश और ताज़ा दिमाग, दुसरे व्यक्ति को एक स्वस्थ, नैतिक व्यक्ति के रूप में बदलाव करने के लिए प्रेरित करता है, जो अपने काम में अधिक कुशल होगा, और आध्यात्मिक रूप से भी उन्नत होगा.
Diwali एक ऐसा उत्सव है जो हर कोने, धर्म और जाति के लोगों को एकजुट करता है. सरल मुस्कान और दयालु, मिलनसार हृदय कठोर से कठोर हृदय को भी पिघला देता है. यह एक ऐसा समय होता है जब लोग खुशी-खुशी एक-दूसरे को गले लगाते हैं और एक-दूसरे के गले लगते हैं.
सबसे खास बात यह है कि दिवाली हमारे भीतर की रोशनी को रोशन करती है. दिवाली की रोशनी हमारी सभी अंधेरी इच्छाओं, अंधेरे विचारों को नष्ट करने में मदद करती है. यह त्यौहार एक गहरी, आंतरिक रोशनी और आत्म-प्रतिबिंब के समय का भी प्रतीक है.