दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में की जाती है, इसलिए इस दिन उदया तिथि को आधार नहीं मानते हुए अमावस्या तिथि में प्रदोष काल देखा जाएगा. अमावस्या तिथि में प्रदोष काल 12 नवंबर को प्राप्त हो रहा है, 13 नवंबर को प्रदोष काल के समय शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. इस वजह से इस साल दिवाली का त्योहार 12 नवंबर को ही मनाया जाएगा.
दिवाली को प्रदोष काल में माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा होती है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद से प्रारंभ होता है. दिवाली पर माता लक्ष्मी की पूजा निशिता मुहूर्त में भी की जाती है. इस साल दिवाली पर आयुष्मान और सौभाग्य नाम के दो शुभ योग बन रहे हैं, इसके साथ ही उस दिन स्वाती और विशाखा नक्षत्र हैं.
12 नवंबर को दिवाली के दिन सूर्यास्त शाम 05 बजकर 29 मिनट पर होगा. प्रदोष काल शाम 05 बजकर 29 मिनट से शुरू होगा. दिवाली पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 39 मिनट से शाम 07 बजकर 35 मिनट तक है, इस बार लक्ष्मी पूजा के लिए 1 घंटा 56 मिनट का शुभ समय मिलेगा.
दिवाली के दिन प्रदोष काल 05 बजकर 30 मिनट से रात 08 बजकर 09 मिनट तक है, जबकि वृषभ काल शाम 05 बजकर 39 मिनट से शाम 07 बजकर 35 मिनट तक है. इस साल दिवाली पर लक्ष्मी पूजा निशिता मुहूर्त रात 11 बजकर 39 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 32 मिनट तक है.
लक्ष्मी पूजा निशिता मुहूर्त की अवधि 53 मिनट की होगी. उस समय सिंह लग्न देर रात 12 बजकर 10 मिनट से 02 बजकर 27 मिनट तक है. निशिता काल मुहूर्त में लोग लक्ष्मी मंत्रों को सिद्ध करते हैं.
इस बार दिवाली की लक्ष्मी पूजा सौभाग्य योग और स्वाती नक्षत्र में होगी. दिवाली को प्रात:काल से आयुष्मान योग है, जो शाम 04 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से सौभाग्य योग प्रारंभ होगा, जो अगले दिन दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक है. ये दोनों ही शुभ योग हैं. वहीं स्वाती नक्षत्र प्रात:काल से लेकर रात तक है.
दिवाली की शाम माता लक्ष्मी, भगवान गणेश और धन के देवता कुबेर की पूजा करने से सुख, संपत्ति, धन, वैभव और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है. पूरे वर्ष माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे धन का संकट नहीं रहता.